कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार ...! अजी आदत में शुमार है ..!

खाओ पियो योजना में ..,
कमानवेल्थ के बाद  आदर्श सोसायटी ....

- अरविन्द सीसोदिया 
नई दिल्ली से खबर है कि ,  राष्‍ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुए महा भ्रष्‍टाचार के विवादों से निपटने से पहले ही महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का आदर्श भ्रष्टाचार के रूपमें सामने आया , आदर्श  सोसायटी कांड में फंसना कांग्रेस के लिए बड़ी जबावदेही बन गया है। लेकिन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए भ्रष्‍टाचार जैसे अहम मुद्दे जिक्र तक नहीं किया। जिक्र कैसे करतीं ... बोफोर्स घोटाले से ही उनकी स्थिति साफ़ है कि उन्हें घोटालों  से परहेज नहीं...! वे सबतरफ घोटालों पर आँख तरेरती नजर आती हैं .., मगर कभी किसी घोटालेबाज  का कुछ हुआ क्या....????? हो भी नही सकता जो स्विस बैंकों में जमा देश में वापस नहीं लाना चाहता वह किस मुह से अन्य घोटाले बाजों से बात कर सकता है !! कांग्रेस क्या ज्यादातर दलों में अब घोटाले चोर चोर मौसेरे भाई कि तरह का खेल हो गया ......!!! अब तो कई नेतागण इसे जस्टीफाई भी करने लगे ..!!
   सबसे महत्व पूर्ण बात यह है कि -- केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने घोटाले को लेकर चव्हाण को कठघरे में उतार दिया है। उन्होंने कहा कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में अशोक चव्हाण ने राजस्व मंत्री की हैसियत से आदर्श सोसायटी के उपनियम बदलवा दिए थे ताकि उसमें नागरिकों को भी फ्लैट मिल सकें। ...... कौन चोर है और कौन साहूकार यह तो खुद साफ़ है...!! 

आदर्श सोसायटी का सच....
सूत्रों की मानें तो आदर्श सोसायटी के अधिकारियों और तत्कालीन राजस्व मंत्री अशोक चव्हाण के बीच 3 जनवरी 2000 को हुई मुलाकात में जमीन के बदले फ्लैट आवंटित करने की शर्त रखी गई थी। खबरों के मुताबिक इस सौदेबाजी के तहत चव्हाण ने राजस्व विभाग की ओर से सोसायटी को क्लीयरेंस दिलवाया और बदले में उनके पांच रिश्तेदारों को आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट मिले। एक निजी चैलन के मुताबिक फ्लैट पाने वालों में सीएम की सास, साली, साले और एक अन्य रिश्तेदार का नाम शामिल है। एक निजी टीवी चैनल के अनुसार इस संदर्भ में सोसायटी की ओर से 20 जून 2000 को अशोक चव्हाण के नाम लिखा गया एक खत प्राप्त हुआ है, जिससे सौदेबाजी का खुलासा होता है। खत में साफ तौर पर लिखा गया है, 'महोदय, हमारे 3 जनवरी 2000 के पत्र और आपसे मुलाकात के बाद हमारी सोसायटी का निवेदन है हमें जमीन उपलब्ध कराई जाए। हमारी सोसयटी सेना के कर्मचरियों के अलावा सामान्य नागरिकों को भी फ्लैट देने को तैयार हैं। रक्षा सेवाओं के 31 सदस्यों की लिस्ट इस पत्र के साथ हैं।'
- कोलाबा की आदर्श सोसाइटी की जमीन सेना की थी, करगिल के शहीदों के लिए यहां 6 मंजिला इमारत में फ्लैट बनाने की बात हुई। लेकिन फौजियों, नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से ये इमारत 31 मंजिला बन गई और शहीदों के अधिकार उनके घरवालों की जगह उन्होंने खुद बांट लिए। इन फ्लैटों की बाजार में कीमत 8.5 करोड़ है। चूंकि ये जमीन शहीदों के घरवालों को मरहम के तौर पर दी गई थी, इसीलिए उनके लिए इसके दाम 65 से 85 लाख रुपए आए। दरअसल, 2003 में कोलाबा में आदर्श सोसायटी की 31 मंजिला इमारत बनने से पहले के 60 साल तक 6490 वर्ग मीटर के प्लॉट पर सेना का स्वामित्व था। इमारत का निर्माण 1999 के कारगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं और परिवारों को आवासीय इकाई देने के वादे के साथ शुरू हुआ था।
भास्कर डाट कम पर
मुंबई/नई दिल्ली. आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले पर मचे बवाल के बीच सेना ने कानूनी राय मांगी है कि क्या इस मामले में औपचारिक रूप से कोर्ट ऑफ इनक्वायरी चलाई जा सकती है। सेना भाई-भतीजावाद और बिल्डरों से मिलीभगत करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। मामले की जटिल प्रकृति को देखते हुए हर पहलू पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने नौसेना से भी जमीन के बारे में जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। डायरेक्टर जनरल डिफेंस एस्टेट्स और सेना पहले ही रक्षा मंत्री एके एंटनी को रिपोर्ट दे चुके हैं। तीनों रिपोर्ट मिलने के बाद एंटनी अगले कदम का फैसला करेंगे।
मेजर जनरल (रिटायर्ड) टीके कौल सहित सेना के कई बड़े अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। जब आदर्श सोयायटी शुरू की गई थी, तब वे मुंबई के सब एरिया कमांडर थे। सेना की जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) शाखा को जांच के बिंदु तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सेना के कई रिटायर्ड अधिकारी सोसायटी के सदस्य है, लेकिन सेना के पास रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सीमित शक्तियां हैं। ऐसे में जांच के निष्कर्र्षो को सरकारी जांच एजेंसियां के साथ बांटा जा सकता है।
क्या होंगे जांच के बिंदु :
- सेना ने किन हालात में जमीन का कब्जा छोड़ा।
- इससे किन अधिकारियों के हित जुड़े थे।
- क्या सेना के किसी अफसर ने पद का दुरुपयोग किया था।
- क्या सेना के कुछ अधिकारियों ने प्रॉक्सी के जरिये फ्लैट लिया है।
इन अफसरों की भूमिका संदिग्ध
- मेजर जनरल (रिटायर्ड) टीके कौल
- लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) तेजेंद्र सिंह
- मेजर जनरल आरके हूडा
- ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) एमएम वांचू
- मेजर जनरल (रिटायर्ड) वीएस यादव
सोनिया से मिले प्रणव, एंटनी
नई दिल्ली आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच कर रही कांग्रेस की दो सदस्यीय समिति के सदस्यों- प्रणव मुखर्जी और एके एंटनी ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। मुखर्जी ने पत्रकारों से कहा कि चव्हाण मसले पर चर्चा मंगलवार को कांग्रेस कमेटी की बैठक में होगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के इस्तीफे पर फैसला लेने में फिलहाल वक्त लगेगा।
सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएगी सोसायटी
मुंबई आदर्श हाउसिंग सोसायटी के प्रमोटरों ने सरकार के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है। ‘बेस्ट’ ने सोसायटी की पानी-बिजली काटने का नोटिस जारी किया है, जबकि एमएमआरडीए ने सोसायटी का कब्जा पत्र वापस लेने का फैसला किया है। विवाद उठने के बाद मुख्यमंत्री ने इस संबंध में निर्देश जारी किए थे।
राज्यपाल से मिला विपक्ष, सरकार बर्खास्त करो
मुंबई शिवसेना-भाजपा गठबंधन और रिपब्लिकन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेताओं ने सोमवार को राज्यपाल के. शंकरनारायण से अलग-अलग मुलाकात कर अशोक चव्हाण सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। समूचे विपक्ष के इस आक्रामक तेवर के बाद कांग्रेस पर जल्द से जल्द निर्णय लेने का दबाव बढ़ गया है।
एक और मंत्री विवादों में
 
मुंबई महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री रमेश बागवे भी विवाद में फंस गए हैं। बोरीवली पुलिस ने आरोप लगाया है कि बागवे और उनके कार्यालय के दो अधिकारियों ने जमीन हड़पने के मामले में एक बिल्डर के करीब 50 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करने के लिए दबाव डाला था।
 चव्हाण ने बदलवाए थे उपनियम : देशमुख 
केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने घोटाले को लेकर चव्हाण को कठघरे में उतार दिया है। उन्होंने कहा कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में अशोक चव्हाण ने राजस्व मंत्री की हैसियत से आदर्श सोसायटी के उपनियम बदलवा दिए थे ताकि उसमें नागरिकों को भी फ्लैट मिल सकें। देशमुख ने कहा कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है

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