घोटाले : बड़ी से बड़ी जांच हो ...! भ्रष्टाचार कांग्रेस का अघोषित घोषणा - पत्र
-- अरविन्द सीसोदिया
लोगों की याद दास्त कम होने से,वे लोग जो देश का बुरा कर चुके , लोगों का बुरा कर चुके और भ्रष्टाचार और घोटालों में अग्रणी रहे .., बार बार चुन कर सत्ता और सांसद में पहुचते रहे हैं ...!! कहीं न कहीं इसे जन दोष भी माना जाएगा ..! इसे कानून की कमजोरी भी माना जाएगा !! देश के विभाजन के बाद कांग्रेस सत्ता में आती है ...! इग्लैंड या अमरीका होता तो यह संभव नहीं हो पाता ..!! १९८४ के सिख नरसंहार के बाद भी कांग्रेस पंजाब और दिल्ली में सत्ता में पहुच जाती है ...!! आपातकाल के दौरान हजारों निर्दोषों को जेल में डालने और जबरिया नसबंदी करवाने सहीत तमाम अत्याचारों को ढाई - तीन साल में ही भूल जाती है ..! और इसी का फायदा कांग्रेस ने उठाया और बिना झिझक के बड़े से बड़े घोटाले किये ...! यह उनकी संस्कृती बन गई.. और अन्य दलों में भी छूत की बीमारी कि तरह फैल गई..! कांग्रेस के तमाम घोषणा पत्र दिखावटी रहे , असली घोषणा पत्र तो अघोषित भ्रष्टाचार है ......, इसकी जननी भी यही डाल है ...! अब इसे सामान्य शिष्टाचार की तरह अन्य दलों ने भी अपना लिया ..! इस लिए अब इसे समाप्त तो करना ही होगा..! किसीना किसीको तो जोरदार प्रतिरोध तो देश हित में करना ही होगा ! प्रतिपक्ष की यही जिम्मेवारी है !! सरकार के स्तर के भ्रष्टाचार की जिम्मेवार तो सरकार का मुखिया होता है , वह लगातार मामले को टाल रहा है तो वह भी शामिल है ...! चुप्पी को मौन स्वीकृति माना जाता है ! सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह और गठबंधन की मुखिया सोनिया गांधी को जिम्मेवारी स्वीकारनी चाहिए ...!! पदों से इस्तीफा देना चाहिए ...!!
जे पी सी तो होनी ही चाहिए..., हर्षद मेहता प्रकरण में भी जे पी सी बैठी थी , इस लिए इस प्रकरण में तो जे पी सी बैठानी ही चाहिए ...! बल्की गिरफ्तारियां और संसद से सस्पेंशन होना चाहिए ...! जब मामूली से आरोपों पर आपने संसद से सदस्यता समाप्त कीं हों ..., तो यह तो देश की शर्मिन्दगी से जुड़ा मामला है ...!!
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Saturday, February २१ , २००९
नई दिल्ली. सीबीआई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के प्रमुख राजनीतिज्ञ पूर्व केंद्रीय संचारमंत्री सुखराम को 4.25 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में शुक्रवार को दोषी करार दिया। इसमें 2.45 करोड़ रुपए की रकम भी शामिल है
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सुखराम ने वर्ष 1991 से 1996 के बीच लोक सेवक रहते हुए 5.36 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति एकत्र की। सुखराम इस अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव मंत्रिमंडल में संचार मंत्री थे। तब सुखराम के पास उनके दिल्ली और हिमाचल प्रदेश स्थित निवासों से 3.61 करोड़ रुपए की नगदी, 10.29 लाख रुपए के आभूषण, 4.92 लाख रुपए बैंक बैलेंस के रूप में और अन्य सामान के अलावा 10.30 लाख रुपए के घरेलू उपकरण मिले थे। बाद में कोर्ट इस निष्कर्ष के पास पहुंचा कि सुखराम के पास 4.25 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्तियां हैं।
सुखराम की सफाई : सुखराम ने इन आरोपों के बारे में यह कहते हुए इनकार किया था कि उनके घर से मिली टाइमलाइन
*16 अगस्त 1996: सीबीआई के छापे। सुखराम के दिल्ली और हिमाचल प्रदेश स्थित निवासों से 3.61 करोड़ रुपए मिले।
*27 अगस्त: सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई।
*18 सितंबर: सुखराम की गिरफ्तारी।
*16 अक्टूबर: सुखराम को मिली जमानत।
*9 जून 1997: चार्जशीट दायर।
*6 नवंबर 2004: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने दर्ज कराई अपनी गवाही।
*17 फरवरी 2009: विशेष सीबीआई जज ने फैसला बाद में सुनाने की घोषणा की।
*20 फरवरी: कोर्ट ने सुखराम को दोषी ठहराया और कहा कि 24 फरवरी को सुनाई जाएगी सजा।रकम कांग्रेस पार्टी की थी। यह रकम उनके निवास से जब्त की गई थी। विशेष सीबीआई जज वीके माहेश्वरी ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के विभिन्न सेक्शनों के तहत सुखराम (82) को दोषी करार दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री को सजा 24 फरवरी को सुनाई जाएगी। सुखराम को संबंधित अपराधों में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है।
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पूर्व मंत्री सुखराम दोषी , सजा २४ को
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