मुश्किल है गिरफ्तारी : अरुंधति राय,सैयद अली शाह गिलानी की...
- अरविन्द सीसोदिया
जिस सरकार ने अपने अपने मंत्रालय की सलाह के बावजूद इन दोनों गद्दारों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया , उन्ही की पुलिस को अदालत के निर्देश पर रिपोर्ट दर्ज करनी पढ़ रही है .., अब यह पुलिस क्या करेगी ..., मुझे नहीं लगता की जांच से जुड़े अधिकारीयों के रीड होगी और वे कानून के हिसाब से कम करेगे..इनमें रीड होती तो सभ के समापन के साथ ही गिरफ्तारी होनी चाहिए थी ..!! न्यायालय का आदेश विफल होता नजर आता है ...! जब सरकार ही गद्दारों के साथ हो तब बचता क्या है ....!
----दिल्ली पुलिस ने लेखिका अरुंधति राय, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और अन्य लोगों पर पिछले महीने यहां एक सेमिनार में ‘भारत विरोधी’ भाषण देने के मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुशील पंडित नामक व्यक्ति की याचिका पर शनिवार को एक स्थानीय अदालत के दिशानिर्देश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी. पंडित ने आरोप लगाया था कि गिलानी और राय ने 21 अक्तूबर को ‘आजादी-द ओनली वे’ के बैनर तले हुई एक सेमिनार में भारत विरोधी भाषण दिया था.
राय और अन्य पर धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए लांछन), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और 505 (विद्रोह के इरादे से झूठे बयान, अफवाहें फैलाना या जन शांति के खिलाफ अपराध) के तहत मामले दर्ज किये गये हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘इन प्रावधानों को 1967 के गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम के प्रावधान 13 के साथ पढ़ा जाना है.’’ राय और गिलानी ने माओवादी समर्थक वारवरा तथा अन्य लोगों के साथ मंच साझा किया था.
मामला दर्ज हो जाने के बाद अब राय और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है. उन पर लगाये गये प्रावधान गैर जमानती हैं और यदि गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो उन्हें जमानत के लिए अदालत में जाना होगा. यदि उन्हें इन मामलों में दोषी साबित किया जाता है तो अधिकतम सजा उम्रकैद दी जा सकती है.आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इससे पहले गिलानी और राय के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया था और सरकार का मानना था कि इस तरह के कदम से उन्हें अनावश्यक प्रचार मिलेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में कानूनी सलाह मांगी थी, जिसने सुझाया था कि देशद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है. हालांकि राजनीतिक विचार विमर्श के बाद मंत्रालय ने गिलानी और राय के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया.
इससे पहले अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए राय ने कहा कि उन्हें शायद ‘जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ मरणोपरांत एक मामला दर्ज करना चाहिए.’ इसके लिए उन्होंने 14 घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि ‘किसी विवादित क्षेत्र या प्रदेश में शामिल करने के सवाल पर फैसला जनता की इच्छाओं के अनुरूप होना चाहिए.’
जिस सरकार ने अपने अपने मंत्रालय की सलाह के बावजूद इन दोनों गद्दारों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया , उन्ही की पुलिस को अदालत के निर्देश पर रिपोर्ट दर्ज करनी पढ़ रही है .., अब यह पुलिस क्या करेगी ..., मुझे नहीं लगता की जांच से जुड़े अधिकारीयों के रीड होगी और वे कानून के हिसाब से कम करेगे..इनमें रीड होती तो सभ के समापन के साथ ही गिरफ्तारी होनी चाहिए थी ..!! न्यायालय का आदेश विफल होता नजर आता है ...! जब सरकार ही गद्दारों के साथ हो तब बचता क्या है ....!
----दिल्ली पुलिस ने लेखिका अरुंधति राय, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और अन्य लोगों पर पिछले महीने यहां एक सेमिनार में ‘भारत विरोधी’ भाषण देने के मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुशील पंडित नामक व्यक्ति की याचिका पर शनिवार को एक स्थानीय अदालत के दिशानिर्देश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी. पंडित ने आरोप लगाया था कि गिलानी और राय ने 21 अक्तूबर को ‘आजादी-द ओनली वे’ के बैनर तले हुई एक सेमिनार में भारत विरोधी भाषण दिया था.
राय और अन्य पर धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए लांछन), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और 505 (विद्रोह के इरादे से झूठे बयान, अफवाहें फैलाना या जन शांति के खिलाफ अपराध) के तहत मामले दर्ज किये गये हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘इन प्रावधानों को 1967 के गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम के प्रावधान 13 के साथ पढ़ा जाना है.’’ राय और गिलानी ने माओवादी समर्थक वारवरा तथा अन्य लोगों के साथ मंच साझा किया था.
मामला दर्ज हो जाने के बाद अब राय और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है. उन पर लगाये गये प्रावधान गैर जमानती हैं और यदि गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो उन्हें जमानत के लिए अदालत में जाना होगा. यदि उन्हें इन मामलों में दोषी साबित किया जाता है तो अधिकतम सजा उम्रकैद दी जा सकती है.आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इससे पहले गिलानी और राय के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया था और सरकार का मानना था कि इस तरह के कदम से उन्हें अनावश्यक प्रचार मिलेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में कानूनी सलाह मांगी थी, जिसने सुझाया था कि देशद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है. हालांकि राजनीतिक विचार विमर्श के बाद मंत्रालय ने गिलानी और राय के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया.
इससे पहले अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए राय ने कहा कि उन्हें शायद ‘जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ मरणोपरांत एक मामला दर्ज करना चाहिए.’ इसके लिए उन्होंने 14 घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि ‘किसी विवादित क्षेत्र या प्रदेश में शामिल करने के सवाल पर फैसला जनता की इच्छाओं के अनुरूप होना चाहिए.’
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