बिहार : इस भयावह जीत को संभालना होगा ..!
- अरविन्द सीसोदिया
बिहार के जनता दल यू के नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने गए हैं। भाजपा के सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री बनेंगे , पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2005 में जिस प्रकार नीतीश - मोदी की जीत हुई थी, वो सिर्फ इसलिए क्योंकि उससे पहले बिहार का शासन ' जंगल राज ' के समान था। वहां लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरे नीतीश-मोदी जोडी ने और ज्यादा सीटों पर कब्जा किया है। वहीं लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस की सीटें आधी से भी कम हो गईं। राम विलाश पासवान की पार्टी भी हंसिये पर आगई ..! वहां विपक्ष का नेता बनने की हैसियत तक किसी में नहीं बची ...!हारने वाली पार्टियों में सबसे ऊपर नाम है लालू की राष्ट्रीय जनता दल और रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी। राजद ने 2005 में जहां 54 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार वो 22 पर ही सिमट गई। वहीं लोजपा का स्कोर 10 से गिरकर 3 हो गया। कांग्रेस जो 2005 में 9 रन पर आउट हुई थी, इस बार मात्र 4 रन बना सकी। वाम दलों को भी जबर्दस्त नुकसान हुआ। वाम दलों को आठ सीटों का नुकसान हुआ और वो सिर्फ एक सीट जीत सके।
विपक्षी दल न नेता बनने के लिए १० प्रतिशत सीटें न्यूनतम चाहिए ...जो किसी विपक्षी दल पर नहीं है .., लालू जी की पार्टी पर २ सीटें कम हैं .., मगर उनकी पत्नीं राबड़ी देवी और दोनों साले चुनाव हार गये हैं .! इनके ही गठबंधन को यह पद मिलेगा .... येसी संभावना है ..! फैसला विधानसभा के अध्यक्ष को लेना होगा !
भयावह बहुमत
यूं तो एन ड़ी ए को खुश होना चाहिए कि उन्होंने सूफडा साफ़ जीत हांसिल की है ..! येशी जीतें पहले भी आती रहीं हैं .., तमिलनाडू में भी इस तरह के परिणाम कई वार दिखें हैं मगर इस तरह की जीत दूसरी वार हार में तब्दील हो जातीं हैं ..! इसी कारण यह बहुमत भयाबह है ...? इस भयावह जीत को संभालना होगा ..! यूं तो आजकल सामान्य तौर पर सरकारें रिपीट हो रहीं हैं ..! मगर इस जीत को संभालना होगा यह तय है .. लालू जी की सीटें भलेही बहुत कम हों मगर उनका प्रतिशत तो इस बात का सबूत है कि लालू जी कांग्रेस की पिछलग्गू बनने के बजाये .., उसका विकल्प बनने पर ध्यान दें तो जनता उन्हें स्वीकार कर लेगी ..!१
बिहार के जनता दल यू के नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने गए हैं। भाजपा के सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री बनेंगे , पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2005 में जिस प्रकार नीतीश - मोदी की जीत हुई थी, वो सिर्फ इसलिए क्योंकि उससे पहले बिहार का शासन ' जंगल राज ' के समान था। वहां लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरे नीतीश-मोदी जोडी ने और ज्यादा सीटों पर कब्जा किया है। वहीं लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस की सीटें आधी से भी कम हो गईं। राम विलाश पासवान की पार्टी भी हंसिये पर आगई ..! वहां विपक्ष का नेता बनने की हैसियत तक किसी में नहीं बची ...!हारने वाली पार्टियों में सबसे ऊपर नाम है लालू की राष्ट्रीय जनता दल और रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी। राजद ने 2005 में जहां 54 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार वो 22 पर ही सिमट गई। वहीं लोजपा का स्कोर 10 से गिरकर 3 हो गया। कांग्रेस जो 2005 में 9 रन पर आउट हुई थी, इस बार मात्र 4 रन बना सकी। वाम दलों को भी जबर्दस्त नुकसान हुआ। वाम दलों को आठ सीटों का नुकसान हुआ और वो सिर्फ एक सीट जीत सके।
विपक्षी दल न नेता बनने के लिए १० प्रतिशत सीटें न्यूनतम चाहिए ...जो किसी विपक्षी दल पर नहीं है .., लालू जी की पार्टी पर २ सीटें कम हैं .., मगर उनकी पत्नीं राबड़ी देवी और दोनों साले चुनाव हार गये हैं .! इनके ही गठबंधन को यह पद मिलेगा .... येसी संभावना है ..! फैसला विधानसभा के अध्यक्ष को लेना होगा !
भयावह बहुमत
यूं तो एन ड़ी ए को खुश होना चाहिए कि उन्होंने सूफडा साफ़ जीत हांसिल की है ..! येशी जीतें पहले भी आती रहीं हैं .., तमिलनाडू में भी इस तरह के परिणाम कई वार दिखें हैं मगर इस तरह की जीत दूसरी वार हार में तब्दील हो जातीं हैं ..! इसी कारण यह बहुमत भयाबह है ...? इस भयावह जीत को संभालना होगा ..! यूं तो आजकल सामान्य तौर पर सरकारें रिपीट हो रहीं हैं ..! मगर इस जीत को संभालना होगा यह तय है .. लालू जी की सीटें भलेही बहुत कम हों मगर उनका प्रतिशत तो इस बात का सबूत है कि लालू जी कांग्रेस की पिछलग्गू बनने के बजाये .., उसका विकल्प बनने पर ध्यान दें तो जनता उन्हें स्वीकार कर लेगी ..!१
पार्टी | 2005 | 2010 |
जनता दल (यूनाइटेड) | 88 | 115 |
भारतीय जनता पार्टी | 55 | 91 |
राष्ट्रीय जनता दल | 54 | 22 |
लोक जनशक्ति पार्टी | 10 | 3 |
कांग्रेस | 9 | 4 |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी | 9 | 1 |
निर्दलीय व अन्य पार्टियां | 18 | 7 |
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