अरूधंती रॉय : लगतीं है एजेंट पाकिस्तान की ...!!

अरूधंती  रॉय : भाषा पाकिस्तान की 
- अरविन्द सीसोदिया 
लगता है कि  अरूधंती रॉय पैसे के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती हैं .., उनकी अर्ली एज में जो भी इतिहास है वह भी बहुत सारे कामों का है.., यह इनाम जो उन्हें मिला हे वह तो सौदा है..., वह उपन्यास इनाम ले ही नहीं ...! उसका स्तर ही इनाम लायक नहीं है , विश्व कूटनीति में जासूस और अपने पक्षधर, प्रचारक  रखने के काम होते हैं.., पुराने समय में विष कन्याएं भी रखी जातीं थी .., इनका चाल चलन बताता है कि ये येशी ही कुछ हैं....! इन पर १०० / २०० अदालतों में केसा दर्ज हो जाएँ तो ये भी फ़िदा हुसेन की तरह देश छोड़ कर भाग जायेगी...! दो कौड़ी की लेखिका ऐसे उपदेश दे रही जैसे इसके बाप की जागीर का टुकड़ा भारत हो....!!!! भारत का मीडिया भी अब उसके विरोध में उठ खड़ा हुआ है .. दो लेखों के मात्र कुछ अंश प्रस्तुत हैं...!!  




विचारों की बेईमानी







वेंकटेशन वेंबू  ०१ /११ /२०१०




 दैनिक भास्कर , कोटा में प्रकाशित लेख के कुछ अंश....


'....अरुंधती केवल ऐतिहासिक रूप से ही गलत नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपने वक्तव्यों में सार्वजनिक रूप से जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वे भी कश्मीर मसले की गंभीरता के प्रति एक गैरवाजिब रुख का इजहार करते हैं।..'
'..खास तौर पर तब, जब दुनिया के सामने कश्मीर के अलगाववादी अभियानों की हकीकत का भंडाफोड़ हो चुका है। दुनिया जानती है कि आजादी की इस आवाज को पाकिस्तान-समर्थित जिहादियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनके मनसूबों को मामूली नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वे सेकुलर भारत को विभाजित कर देना चाहते हैं।.....''....कश्मीर समस्या का वास्तविक निदान केवल तभी संभव है, जब यह बुखार उतरेगा। फिलवक्त कश्मीर के जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं कि अरुंधती के ताकतवर शब्द इन ज्वरग्रस्त दिमागों को आर-पार की कार्रवाई करने के लिए उकसा सकते हैं।....'
'......वे कट्टर और उन्मादी भू-राजनीतिक ताकतों की कारगुजारियों का मूल्यांकन करने का प्रयास भी नहीं करतीं। इस वजह से भी वे नारेबाजी की कर्कश और स्पष्टतया खतरनाक फिसलनभरी ढलान से नीचे के रास्ते की ओर चली गई हैं, जिसके ‘यथार्थ’ की दुनिया में घातक परिणाम हो सकते हैं।....'
राष्ट्रदूत कोटा दिनांक १ नवम्बर २०१० के पेज ५ पर एक आलेख है बुकर मिला भी तो किसे ......
"...यह पहलीवार नहीं है कि जब अरुधंति राय कश्मीर पर दिए अपने बयान को लेकर विवादों में हैं | इससे पहले कश्मीर को पाकिस्तान को देने संबंधी बयान पर अरूधंती राय जूता भी कहा चुकी हैं | गौरतलव है कि १३ फरवरी को दिल्ली यूनिवर्सटी में एक वार्ता के दौरान युवा (यूथ यानिटी   फार  वाइब्रेंट एक्शन ) के एक सदस्य ने लेखिका पर पाकिस्तान का समर्थन करने  के विरोध में जूता फेंका दिया था | बाद में एक नीलामी में यह जूता एक लाख रूपये में बिका था | ...."
"....(अरूधंती राय ने कहा) वह खुद (भारत ) को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र साबित करने के लिए राज्यों को दवा रहा है |उन्होंने कहा कि कश्मीर ही नहीं नागालैंड , मणिपुर और पंजाब भी इसके उदाहरन  हैं |   ..."
  कुल मिला कर यह अरूधंती रॉय नहीं बोल रही यह तो पाकिस्तान बोलता है...! कोई शत्रु बोलता है..!! यह तो भारत विरोधी बोलते हैं ...? मगर भारत सरकार को क्या कहें जो दुम दावा कर इन सब को सहन कर रही है..! दिल्ली हो या कश्मीर दोनों जगह कांग्रेस की ही सरकार है.., जम्मू और कश्मीर में भी कांग्रेस के सर्थन से उअमर की सरकार है, उसे सदन में स्पष्ट बहुमत हांसिल नहीं है | यानी कि १९४७ से आज तक की सभी कायरताएं , नेहरु वंशजों के नाम हैं...!!   

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