खारिज : राहुल गांधी
- अरविन्द सीसोदिया
बिहार में जो भी परिणाम आये उनके कई अर्थ हैं .., पहला तो यह कांग्रेस के द्वारा जो राहुल को देश पर थोपने की साजिश हो रही थी वह जनता ने नकार दी ...! साथ ही यह भी सन्देश दे दिया की केंद्र के पैसे की बात अस्वीकार्य है ..., कांग्रेस इस देश के लोगों को शायद कम बुद्धी समझती है .., अन्यथा केंद्र के पास पैसा जा कहाँ से रहा है ...!! सोनिया जी भूल जातीं हैं कि एक एक पाई राज्यों में रहने वाले आम नागरिकों का है .., उनके द्वारा दिए जारहे टेक्स का है , उनके राज्य की सम्पत्ति का है , उनके संसाधनों को गिरवी रख आकर हंफ्स्ल किये जाने वाके उधार का है ...! एक भी पाई कांग्रेस नामक दल से नही आई है .., बिहार क्या किसी भी राज्य में किसी भी व्यक्ती का एक रुपया पर्सनल खाते से नहीं लगा है ...! चाहे योजना आयोग हो चाहे कोई अन्य केन्द्रीय योजना .., खर्च होने वाला धन इस देश के नागरिकों का है , उनके टैक्स और उन्हें गिरवी रख कर उठाये उधर से है ..! उनके उत्पादन और संसाधनों से है ..! यह कांग्रेस का झूठ बिहार में नहीं चला ..!
* बिहार को १७ मुख्य मंत्री देने वाली कांग्रेस दयनीय स्थिति में है , राहुल ने १७ और सोनिया जी नें ५ आम सभाएं कीं थी ..!! कांग्रेसके प्रदेश अध्यक्ष चौधरी महबूब अली केसर चुनाव हार गये ....!!
- इस चुनाव में कांग्रेस महज चार सीटों तक ही सिमट कर रह गई। चार में से उसके तीन उम्मीदवार अल्पसंख्यक हैं जबकि एक सीट पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सदानंद सिंह ने कहलगांव से कब्जा जमाया|
- कांग्रेस का प्रदर्शन विगत विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा। गत विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की 'बैशाखी' के सहारे कांग्रेस 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी |
- इस बार अकेले चुनाव लड़ने की राहुल की रणनीति ने सीटों का आंकड़ा डबल करने के पार्टी नेताओं के सपने को चकनाचूर कर दिया।
* राहुल ने विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कटिहार, अररिया और सुपौल में सभाएं की। कटिहार में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद कुमार यादव को महज 2570 वोट ही मिल सके। अररिया और सुपौल में कांग्रेस उम्मीदवारों को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
बिहार में जो भी परिणाम आये उनके कई अर्थ हैं .., पहला तो यह कांग्रेस के द्वारा जो राहुल को देश पर थोपने की साजिश हो रही थी वह जनता ने नकार दी ...! साथ ही यह भी सन्देश दे दिया की केंद्र के पैसे की बात अस्वीकार्य है ..., कांग्रेस इस देश के लोगों को शायद कम बुद्धी समझती है .., अन्यथा केंद्र के पास पैसा जा कहाँ से रहा है ...!! सोनिया जी भूल जातीं हैं कि एक एक पाई राज्यों में रहने वाले आम नागरिकों का है .., उनके द्वारा दिए जारहे टेक्स का है , उनके राज्य की सम्पत्ति का है , उनके संसाधनों को गिरवी रख आकर हंफ्स्ल किये जाने वाके उधार का है ...! एक भी पाई कांग्रेस नामक दल से नही आई है .., बिहार क्या किसी भी राज्य में किसी भी व्यक्ती का एक रुपया पर्सनल खाते से नहीं लगा है ...! चाहे योजना आयोग हो चाहे कोई अन्य केन्द्रीय योजना .., खर्च होने वाला धन इस देश के नागरिकों का है , उनके टैक्स और उन्हें गिरवी रख कर उठाये उधर से है ..! उनके उत्पादन और संसाधनों से है ..! यह कांग्रेस का झूठ बिहार में नहीं चला ..!
* बिहार को १७ मुख्य मंत्री देने वाली कांग्रेस दयनीय स्थिति में है , राहुल ने १७ और सोनिया जी नें ५ आम सभाएं कीं थी ..!! कांग्रेसके प्रदेश अध्यक्ष चौधरी महबूब अली केसर चुनाव हार गये ....!!
- इस चुनाव में कांग्रेस महज चार सीटों तक ही सिमट कर रह गई। चार में से उसके तीन उम्मीदवार अल्पसंख्यक हैं जबकि एक सीट पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सदानंद सिंह ने कहलगांव से कब्जा जमाया|
- कांग्रेस का प्रदर्शन विगत विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा। गत विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की 'बैशाखी' के सहारे कांग्रेस 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी |
- इस बार अकेले चुनाव लड़ने की राहुल की रणनीति ने सीटों का आंकड़ा डबल करने के पार्टी नेताओं के सपने को चकनाचूर कर दिया।
* राहुल ने विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कटिहार, अररिया और सुपौल में सभाएं की। कटिहार में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद कुमार यादव को महज 2570 वोट ही मिल सके। अररिया और सुपौल में कांग्रेस उम्मीदवारों को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
* दूसरे चरण में राहुल ने सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में सभाएं की। सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही जबकि समस्तीपुर में उसके उम्मीदवार को 10,938 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे।
* तीसरे चरण में राहुल ने रामनगर, कुचायकोट और मांझी में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया लेकिन यहां के चुनावी नतीजों में उनका यही करिश्मा दिखा कि रामनगर में कांग्रेस दूसरे स्थान पर पहुंच गई तो कुचायकोट से कांग्रेस उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे। मांझी में तो कांग्रेस का और बुरा हाल रहा। कांग्रेस उम्मीदवार यहां पांचवें स्थान पर रहे।* चौथे चरण में राहुल ने बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर में सभाएं की। भागलपुर में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा ने बीजेपी के अश्विनी चौबे को अच्छी टक्कर दी। हालांकि वह चौबे को हराने में नाकाम रहे। चौबे को मिले 49,164 वोटों के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार शर्मा को 38,104 वोट मिले। बेगूसराय और मुंगेर में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही।
* राहुल ने पांचवें चरण में राज्य की शेखपुरा और नवादा तथा छठे चरण में सासाराम और औरंगाबाद में चुनावी सभाएं की लेकिन इन क्षेत्रों में भी कांग्रेस को कोई खास सफलता नहीं मिली। सासाराम में तो वह छठे स्थान पर पहुंच गई। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार सासाराम से ही कांग्रेस की सांसद हैं। औरंगाबाद में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही।- गत लोकसभा चुनाव से कम रहा है कांग्रेस का मत प्रतिशत (८.४ प्रतिशत), जबकि आम तौर पर यह विधान सभा चुनावों में बढता है ..!
- कांग्रेस नें सभी २४३ सीटों पर चुनाव लड़ा और सोनिया जी तथा राहुल ने ही धुआंधार प्रचार किया .. सीटें मिलीं चार ...!!
- यूं तो आर जे डी , लो ज पा और कांग्रेस का कुल मिला कर मत प्रतिशत ३४ है जबकी एन डी ए का मत प्रतिशत इस सारे योग से ५.२ प्रतिशत अधिक हो कर ३९.२ प्रतिशत है, इसी कारण से वह २४३ में से २०६ पर जीत हांसिल कर सकी ..!!
**** बिहार की जनता ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को विधानसभा चुनाव, 2010 में अभूतपूर्व सफलता दी है l 243 सदस्यों के सदन में जद (यू) को 115 सीटें एवं भाजपा को 91 सीटें; अर्थात राजग को कुल 206 सीटें प्राप्त हुई हैं l राजग तीन-चौथाई के बहुमत से आगामी पांच वर्षों के लिए बिहार पर राज करेगा l
**** बिहार के विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सफाया हो गया है l राष्ट्रीय जनता दल (राजद) बमुश्किल 22 सीटें जीत पाया है l राजद का सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) मात्र 3 सीट पाकर अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है l केंद्र में सत्तासीन एवं देश की सबसे पुरानी एवं बड़ी पार्टी कांग्रेस 4 सीट पाकर शर्मसार है l वामपंथ को इस चुनाव में सिर्फ़ 1 सीट मिला है l पूरे सदन में विपक्ष के मात्र 37 सदस्य बैठेंगे ल
- ब स पा और वाम दलों का तो सूफडा ही साफ हो गया .., १ सीट वामदल पर गिनने है ..!
दंभ ने किया सत्यानाश.... ==बिहार के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के मिथक को तोड़ कर रख दिया है l उनका करिश्मा नीतीश कुमार के काम के आगे दम तोड़ चुका है l इस चुनाव ने कांग्रेस को यह सबक जरुर दिया होगा कि जमीनी संगठन के आभाव में, नेहरु-गांधी परिवार का करिश्मा किसी काम का नहीं है l दूसरी गलती जो कांग्रेस ने की, वह यह थी कि कांगेस के सभी नेताओं ने ‘हमने केंद्र से पैसा दिया’ का दंभ भरा बयान बार-बार चुनावी सभाओं में दिया l उनके भाषणों से ऐसा लगता था मानो कांगेस अपने निजी खाते से बिहार को खैरात दे रहा हो l लोगों को कांग्रेस का यह रवैया रास नहीं आया l सबको यही लगा कि अगर राजग हारा तो लालू राज की वापसी हो जायेगी और यह बिहार के जनमानस को मंजूर नहीं था l फलस्वरूप कांग्रेस राजग की लहर में उड़ गई l सच यही है की बिहार ने कांग्रेस को " मूषकः भवः " की स्थिति में ला दिया है उसे अब फिर से शून्य से अपनी गिनती शुरू करनी पड़ेगी l
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