मेरा शासन My Gov चुनाव और कार्यकाल

भारतीय राजनीती को अनुशासित रखने, अधिकतम नागरिकों को अवसर प्रदान करने और राष्ट्र प्रथम के भाव से राष्ट्रवादी बनाने की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए, नये प्रावधान करना आवश्यक है। जैसे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति और राज्यपाल के पद पर एक बार का ही कार्य काल दिया जायेगा, अगर आप चुनाव नहीं जीत पाते तो चुनाव लड़ने के भी दो ही अवसर प्रदान किये जायेंगे । प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के लिए दो बार अवसर प्रदान किया जायेगा। किसी भी जनप्रतिनिधि के पद पर अधिकतम दो बार चुने जाने की ही अनुमति होगी। अर्थात तीन बार विधायक तीन बार सांसद रह सकेंगे।

स्थानीय स्तर के चुनावों में भी यही नियम रहेंगे। संस्था के मुख्य एवं उपपमुख्य पद पर अधिकतम दो कार्यकाल के ही अवसर रहेंगे। सदस्य के रूप में अधिकतम तीन कार्यकाल के अवसर रहेंगे।

देश में व्यापक सहकारी क्षेत्र है मगर इसमें कब्जावाद और माफियागिरी भी है। इसलिए इसमें भी लोकतान्त्रिक नियमों की आवश्यकता है। जैसे सभी स्तरों पर सहकारी समितियों में पांच साल में चुनाव होंगे। समिति में न्यूनतम 21 सदस्यों का कार्यकारणी मंडल होना आवश्यक है। सामन्य सदस्य संख्या भी कम से कम 100 से अधिक होनी चाहिए।

जो सदस्य व्यक्ति अध्यक्ष या समकक्ष चुना जायेगा वह कार्यकाल की समाप्ति के बाद कम से कम दो कार्यकाल अथवा दस वर्ष तक पुनः उसी पद को नहीं संभाल सकेगा। एक व्यक्ति एक पद पर अधिकतम तीन बार ही रह सकेगा।

भारतीय लोकतंत्र में सुधार हेतु प्रस्तावित प्रावधान

1. शीर्ष संवैधानिक पदों पर कार्यकाल की सीमा:

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए केवल एक बार का कार्यकाल।

कार्यकाल समाप्ति के पश्चात वे किसी अन्य संवैधानिक पद के लिए पात्र नहीं होंगे।

2. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पदों के लिए सीमाएं:

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पदों पर अधिकतम दो बार कार्य करने की अनुमति।

लगातार या अलग-अलग कार्यकाल, दोनों को मिलाकर दो बार की सीमा लागू होगी।

3. संसद और विधानमंडल में सदस्यता की सीमा:

सांसद (लोकसभा/राज्यसभा) और विधायक (विधानसभा/विधान परिषद) पद पर अधिकतम तीन कार्यकाल तक ही चुने जाने की अनुमति।

यदि कोई उम्मीदवार दो बार चुनाव हार चुका हो, तो उसे तीसरी बार चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
---
स्थानीय निकायों (पंचायत/नगरपालिका) हेतु प्रावधान:

प्रमुख (सरपंच/महापौर/अध्यक्ष) एवं उपप्रमुख पदों पर अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा।

सामान्य सदस्य पद के लिए अधिकतम तीन कार्यकाल की सीमा।

यह प्रावधान सभी स्थानीय निकायों पर समान रूप से लागू होंगे।
---

सहकारी समितियों हेतु लोकतांत्रिक सुधार:

1. चुनाव अनिवार्यता और अवधि:

सहकारी समितियों में हर पाँच वर्ष में चुनाव कराना अनिवार्य होगा।

चुनाव की विफलता पर समिति को विघटित मानकर प्रशासकीय समिति नियुक्त की जाएगी (अंतरिम रूप से 6 माह के लिए)।

2. समिति की संरचना:

हर सहकारी समिति में कम से कम 100 सामान्य सदस्य होने चाहिए।

समिति का कार्यकारिणी मंडल कम से कम 21 सदस्यों का होगा।

3. पदाधिकारियों की सीमा:

अध्यक्ष या समकक्ष पद पर कोई भी व्यक्ति अधिकतम तीन बार ही रह सकेगा।

अध्यक्ष पद से हटने के बाद वह व्यक्ति कम से कम दो कार्यकाल या 10 वर्ष तक पुनः उसी पद के लिए अयोग्य रहेगा।

4. पद-एक व्यक्ति, एक ही बार:

"एक व्यक्ति, एक पद" सिद्धांत लागू होगा — कोई व्यक्ति एक समय में एक ही सहकारी संस्था में एक पद पर रहेगा।
---





टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

God’s Creation and Our Existence - Arvind Sisodia

सनातन अर्थात हमेशा नयापन

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

My Gov केदियों से रक्षा बंधन, करबा चौथ और होली की भाई दौज पर मिलनी

दीपावली पर्व का समाज व्यवस्था सम्बर्द्धन का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण

कविता - भारत

My Gov गरिमापूर्ण वस्त्र अनिवार्यता नियम