हमें वीर केशव मिले आप जब से

संघ गीत 

हमें वीर केशव मिले आप जब से
हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

भटकते रहे ध्येय-पथ के बिना हम
न सोचा कभी देश क्या धर्म क्या है
न जाना कभी पा मनुज-तन जगत में
हमारे लिये श्रेष्ठतम कर्म क्या है
दिया ज्ञान जबसे मगर आपने है
निरंतर प्रगति की डगर मिल गई है ॥

हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

समाया हुआ घोर तम सर्वदिक् था
सुपथ है किधर कुछ नहीं सूझता था
सभी सुप्त थे घोर तम में अकेला
ह्रदय आपका हे तपी जूझता था
जलाकर स्वयं को किया मार्ग जगमग
हमें प्रेरणा की डगर मिल गई ॥

हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

बहुत थे दुःखी हिन्दु निज देश में ही
युगों से सदा घोर अपमान पाया
द्रवित हो गये आप यह दृश्य देखा
नहीं एक पल को कभी चैन पाया
ह्रदय की व्यथा संघ बनकर फुट निकली
हमें संगठन की डगर मिल गई है॥

हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

करेंगे पुनः हम सुखी मातृ भू को
यही आपने शब्द मुख से कहे थे
पुनः हिन्दु का हो सुयश गान जग में
संजोये यही स्वप्न पथ पर बढ़े थे
जला दीप ज्योतित किया मातृ मन्दिर
हमें अर्चना की डगर मिल गई है ॥

हमें वीर केशव मिले आप जब से
नई साधना की डगर मिल गई है॥

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी : अनमोल विचार Atal Bihari Vajpayee

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

दीवान टोडरमल के समर्पण शौर्य पर हिन्दुत्व का सीना गर्व से चौंडा हो जाता है - अरविन्द सिसौदिया Diwan-Todar-Mal

हिन्दू , एक मरती हुई नस्ल Hindu , Ek Marti Hui Nashal

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

वास्तविक "रघुपति राघव राजा राम " भजन Original "Raghupati Raghav Raja Ram" Bhajan