मेरा शासन My Gov सुशासन

जमीनी स्तर पर जनता के कार्य हो रहे हैँ या नहीं, समस्या समाधान हो पा रहा है या नहीं, कठनाईयों के संदर्भ में पूर्वांनुमान और उसके संदर्भ में तैयारी आदी की संवेदन शील व्यवस्था निर्माण करें, जो सुशासन के दायरे में आती हो। इस हेतु सादे वेश में गुप्तचर हों और वही समस्या निदान तंत्र के अधिकारी कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, पुलिस अधिक्षक, सर्किल इनपेक्टर, थाना अधिकारी हमेशा कार्यालय समय में कार्यालय में ही रहेंगे। बाहर जाने आने और अतिथियों आदी की अगुवाई हेतु एक प्रोटोकॉल अधिकारी अलग से नियुक्त करें,जन प्रतिनिधियों को अपने कार्यों को सरकारी कार्यालयों में ही आकर सम्पन्न करने होंगे। सामानानंतर कार्यालय कहीं भी नहीं चलेंगे। आप सांसद या उससे ऊपर हैँ तो कलेक्टर कार्यालय में बैठिये एक कक्ष वहाँ अलग से मिलेगा, इसी तरह विधायक हैँ तो उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में बैठिये। जनप्रतिनिधियों को अपने घर पर जनसुनवाई का कोई अधिकार नहीं होगा। शासनतंत्र एक ही होगा और प्रभावी होगा।

प्रशासन तंत्र में पूरी तरह निष्पक्षता, भृष्टाचारमुक्त, त्वरित समाधान और संवेदनशीलता के लिए भी अनिवार्यता की नियमावली भी आवश्यक है।

📘 सुशासन नियमावली (Good Governance Guidelines)

जन सरोकार, पारदर्शिता, जवाबदेही एवं एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था हेतु

1️⃣ समस्या समाधान की संवेदनशील व्यवस्था

1.1. गुप्तचर व्यवस्था:
सादे वेश में प्रशिक्षित गुप्तचर अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जो जनता के बीच जाकर जमीनी हकीकत की जानकारी गोपनीय रूप से जुटाएंगे।

1.2. साप्ताहिक रिपोर्टिंग:
गुप्तचर की रिपोर्ट सीधे ज़िला कलेक्टर व मुख्य सचिव को भेजी जाएगी, जिस पर 7 कार्यदिवस में कार्यवाही अनिवार्य होगी।

1.3. पूर्वानुमान तंत्र:
स्थानीय समस्याओं (जैसे पेयजल, बिजली, ट्रैफिक, अपराध आदि) का डेटा संकलन कर संभावित कठिनाइयों की पहचान की जाएगी एवं पूर्व तैयारी सुनिश्चित की जाएगी।

2️⃣ कार्यालयीन अनुशासन व उपस्थिति अनिवार्यता

2.1. कार्यालय उपस्थिति:
कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, पुलिस अधीक्षक, सीआई, थाना प्रभारी इत्यादि कार्यालयीन समय में कार्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।

2.2. बाह्य गतिविधियों हेतु अनुमति:
प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय से बाहर जाने हेतु पूर्वानुमोदित प्रोटोकॉल अनिवार्य होगा।

2.3. प्रोटोकॉल अधिकारी:
एक पृथक अधिकारी की नियुक्ति अतिथि स्वागत, निरीक्षणों, कार्यक्रमों में भागीदारी हेतु की जाएगी, जिससे प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय कार्य से न हटें।

3️⃣ जनप्रतिनिधियों के लिए कार्यालयीन व्यवस्था

3.1. कार्यालय में उपस्थिति:

  • सांसद – ज़िला कलेक्टर कार्यालय में पृथक कक्ष उपलब्ध।
  • विधायक – उपखंड अधिकारी कार्यालय में पृथक कक्ष उपलब्ध।

3.2. घर से जनसुनवाई निषेध:
कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी घर या निजी स्थान पर जनसुनवाई नहीं कर सकेगा

3.3. एकीकृत शासन तंत्र:
जनता की समस्याओं व सुझावों पर कार्यवाही हेतु सभी प्रतिनिधि व अधिकारी एक ही प्रशासनिक मंच से कार्य करेंगे

4️⃣ जनसुनवाई व समस्या समाधान तंत्र

4.1. केन्द्रित जनसुनवाई दिवस:
प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को जनसुनवाई दिवस घोषित किए जाएंगे, जहाँ संबंधित अधिकारी जनता से सीधी बातचीत करेंगे।

4.2. समस्या समाधान समयबद्ध प्रणाली:
प्रत्येक दर्ज समस्या को 15 दिनों में हल करना अनिवार्य होगा, विफलता पर उच्चाधिकारियों को स्वतः रिपोर्ट भेजी जाएगी।

4.3. ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम:
हर जनसुनवाई आवेदन को ट्रैक करने हेतु एक पारदर्शी ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध रहेगा।

5️⃣ पैरेलल अथॉरिटी पर रोक

5.1. समानांतर कार्यालय निषेध:
किसी भी रूप में "शैडो ऑफिस" या घर पर चल रहे व्यक्तिगत कार्यालय अवैध माने जाएंगे।

5.2. एकल प्रशासनिक संरचना:
सभी आदेश, दिशा-निर्देश एवं योजनाओं का क्रियान्वयन सिर्फ अधिसूचित प्रशासनिक कार्यालयों से ही होगा।

6️⃣ जवाबदेही व अनुश्रवण

6.1. अधिकारियों की रैंक-आधारित जवाबदेही:
प्रत्येक स्तर पर समाधान न होने की स्थिति में उच्चाधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी।

6.2. जन-रेटिंग प्रणाली:
प्रत्येक कार्यालय में जनता द्वारा सेवा की गुणवत्ता को रेटिंग देने का प्रावधान होगा।

6.3. स्वतंत्र सुशासन प्रकोष्ठ:
एक स्वतंत्र "सुशासन निगरानी इकाई" का गठन होगा जो नियमावली के अनुपालन की साप्ताहिक समीक्षा करेगी।

🔍 भाग – 7 : निष्पक्ष, भ्रष्टाचारमुक्त, संवेदनशील और त्वरित प्रशासन नियमावली

7️⃣ प्रशासन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के नियम

7.1. राजनीतिक प्रभाव निषेध:
किसी भी अधिकारी को राजनीतिक दबाव में निर्णय लेने पर रोक होगी। ऐसा पाए जाने पर स्वत: अनुशासनात्मक जांच होगी।

7.2. ट्रांसफर/पोस्टिंग प्रणाली पारदर्शी होगी:
स्थानांतरण/पदस्थापन केवल सिस्टम जनरेटेड मैरिट व ट्रांसफर पॉलिसी के तहत होंगे। कोई मैनुअल हस्तक्षेप नहीं होगा।

7.3. प्रभावशाली व्यक्तियों से दूरी:
प्रशासनिक अधिकारी सामाजिक/राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्तियों से अनौपचारिक संबंध नहीं रख सकेंगे।

8️⃣ भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर नियम

8.1. "जीरो टॉलरेंस" नीति लागू:
किसी भी स्तर पर रिश्वत, कमीशन, पक्षपात आदि पाए जाने पर तत्काल निलंबन और विशेष जांच का प्रावधान होगा।

8.2. अनाम शिकायत पोर्टल:
जनता को भ्रष्टाचार के विरुद्ध गोपनीय शिकायत दर्ज करने हेतु ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा मिलेगी।

8.3. हर लेन-देन डिजिटल:
प्रशासन में सभी भुगतान, शुल्क, सहायता राशि आदि केवल डिजिटल माध्यम से ही किए जाएंगे।

8.4. धन-संपत्ति सत्यापन:
प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी की वार्षिक संपत्ति घोषणा अनिवार्य होगी, जिसे सार्वजनिक पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

9️⃣ त्वरित समाधान हेतु उत्तरदायित्व

9.1. समस्या समाधान समयसीमा:

सामान्य शिकायतें: 7 कार्यदिवस

जटिल प्रशासनिक मामले: 15 कार्यदिवस

आपातकालीन/जनहित के मामले: 48 घंटे

9.2. उत्तरदायित्व तय करना:
समयसीमा के उल्लंघन पर संबंधित अधिकारी की लिखित चेतावनी + वार्षिक मूल्यांकन में दर्ज किया जाएगा।

9.3. रियल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम:
जनता की समस्याओं की प्रगति रियल टाइम ट्रैकिंग डैशबोर्ड पर सार्वजनिक रूप से देखी जा सकेगी।

🔟 प्रशासन में संवेदनशीलता के नियम

10.1. जन सरोकार प्रशिक्षण (Public Sensitivity Training):
प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी को प्रत्येक 6 माह में एक बार संवेदनशीलता व नैतिक प्रशासन पर प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।

10.2. मानवता आधारित आचरण:
पीड़ित, वंचित, वृद्ध, विकलांग, महिला, बालक आदि से व्यवहार विनम्र, सहानुभूति पूर्ण और शीघ्रतापूर्वक होना चाहिए।

10.3. "नो रेजेक्शन पॉलिसी":
कोई भी आवेदन बिना कारण के अस्वीकार नहीं किया जाएगा; अस्वीकार करना हो तो स्पष्ट कारण सहित लिखित उत्तर देना अनिवार्य होगा।

10.4. भावनात्मक सेवा मूल्यांकन:
जनता की संतुष्टि पर आधारित “संवेदनशीलता रेटिंग” प्रत्येक अधिकारी की सेवा मूल्यांकन रिपोर्ट का हिस्सा होगी।
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🏛️ नीति प्रस्ताव : प्रभावी एवं संवेदनशील सुशासन तंत्र की स्थापना हेतु

🔷 प्रस्ताव का उद्देश्य

इस नीति प्रस्ताव का उद्देश्य एक ऐसे प्रशासनिक ढाँचे की स्थापना करना है, जो पूर्णतः निष्पक्ष, भ्रष्टाचारमुक्त, त्वरित, संवेदनशील एवं जनहित केंद्रित हो, और जिसमें जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट रूप से परिभाषित हो।

🔷 प्रस्तावित सुशासन तंत्र के प्रमुख घटक

1️⃣ निष्पक्ष प्रशासन की अनिवार्यता

प्रशासनिक निर्णयों में किसी प्रकार के राजनीतिक प्रभाव अथवा दबाव को मान्यता नहीं दी जाएगी।

स्थानांतरण, नियुक्ति, और पदस्थापन डिजिटल पारदर्शी प्रक्रिया से होंगे।

अधिकारियों के गैर-आधिकारिक/राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्तियों से सामाजिक संबंधों पर निगरानी रखी जाएगी।

2️⃣ भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर नियंत्रण व्यवस्था

"जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन" नीति लागू की जाएगी।

हर स्तर पर डिजिटल भुगतान और फाइल प्रोसेसिंग अनिवार्य की जाएगी।

गुप्तचर तंत्र और स्वतंत्र भ्रष्टाचार जांच इकाई सक्रिय रहेगी।

प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी की वार्षिक संपत्ति घोषणा सार्वजनिक पोर्टल पर प्रदर्शित की जाएगी।

एक अनाम शिकायत पोर्टल का निर्माण होगा जो नागरिकों को सुरक्षा व गोपनीयता प्रदान करेगा।

3️⃣ त्वरित समाधान और जवाबदेही प्रणाली

समस्याओं के समाधान के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारण किया जाएगा:

सामान्य मामले – 7 दिन
जटिल प्रशासनिक मामले – 15 दिन
आपातकालीन सेवा – 48 घंटे

रियल टाइम ट्रैकिंग पोर्टल पर प्रत्येक समस्या की स्थिति सार्वजनिक रूप से देखी जा सकेगी।

समाधान में देरी पर संबंधित अधिकारी की प्रदर्शन समीक्षा में कटौती व चेतावनी का प्रावधान होगा।

4️⃣ संवेदनशील एवं मानव-केंद्रित प्रशासन

सभी अधिकारियों के लिए छमाही "जन-संवेदनशीलता प्रशिक्षण" अनिवार्य होगा।

पीड़ित, वंचित, वृद्ध, महिला, बालक व विकलांग नागरिकों के लिए अलग सहायता व्यवस्था व शीघ्र समाधान प्रणाली।

“नो रेजेक्शन पॉलिसी” – बिना ठोस कारण कोई आवेदन अस्वीकार नहीं किया जाएगा।

“संवेदनशीलता रेटिंग” नागरिकों की प्रतिक्रिया के आधार पर प्रत्येक अधिकारी की सेवा फाइल में जोड़ी जाएगी।

5️⃣ प्रशासनिक अनुशासन और कार्यालय संस्कृति

कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, पुलिस अधिकारी इत्यादि कार्यावधि के दौरान कार्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे।

जनप्रतिनिधियों को भी अपने कार्य सरकारी कार्यालयों में ही करने होंगे। 

व्यक्तिगत आवास या "शैडो ऑफिस" से कोई शासकीय कार्य या जनसुनवाई अवैध मानी जाएगी।

सांसद – कलेक्टर कार्यालय
विधायक – एसडीएम कार्यालय

अतिथि स्वागत एवं दौरे हेतु अलग प्रोटोकॉल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।

6️⃣ गुप्तचर और निगरानी तंत्र

सादे वेश में प्रशिक्षित गुप्तचर अधिकारियों द्वारा नियमित जमीनी सर्वेक्षण किया जाएगा।

गुप्तचर की रिपोर्ट सीधे कलेक्टर/मुख्य सचिव को जाएगी और उस पर कार्यवाही समयबद्ध होगी।

गुप्तचर रिपोर्ट के आधार पर स्वचालित सुधार प्रणाली लागू की जाएगी।

7️⃣ एकीकृत और केंद्रीकृत शासन ढाँचा

समानांतर अथवा निजी कार्यालयों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

सभी प्रशासनिक, सामाजिक, और राजनीतिक संवाद एकीकृत कार्यालय संरचना में ही संपन्न होंगे।

शासनतंत्र एक ही होगा – जिससे जनता को भ्रामक अथवा दोहरा संदेश न मिले।

🔷 निष्कर्ष

यह नीति प्रस्ताव प्रशासन को जवाबदेह, पारदर्शी, संवेदनशील, भ्रष्टाचार मुक्त और परिणाम केंद्रित बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। इसका क्रियान्वयन न केवल सुशासन की अवधारणा को मजबूत करेगा, बल्कि जनता के विश्वास एवं सहभागिता को भी पुनर्स्थापित करेगा।

> प्रस्तावित क्रियान्वयन समय: चरणबद्ध – प्रारंभिक 6 माह में पायलट, तत्पश्चात प्रदेश/राष्ट्रव्यापी विस्तार


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