आरएसएस,नागरिकों में श्रेष्ठतम राष्ट्रवादी चरित्र निर्माण करता है - सिसोदिया
आरएसएस,नागरिकों में श्रेष्ठतम राष्ट्रवादी चरित्र निर्माण करता है - सिसोदिया
कोटा 11 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविंद सिसोदिया ने कहा है कि " कांग्रेस द्वारा लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की झूठी आलोचना निहित राजनैतिक स्वार्थों से की जाती रही है। इसलिए यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण कि संघ के सत्यनिष्ठ स्वरूप से नई पीढ़ी परिचित हो। " उन्होंने कहा कि " संघ, संगठित, शिक्षित और राष्ट्रभक्त समाज निर्माण के द्वारा "सशक्त भारत" बना रहा है। संघ के स्वयंसेवक अपने अपने क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण की दिशा में उच्चतम उपलब्धियां हांसिल कर रहे हैँ।"
सिसोदिया नें कहा है कि "आरएसएस (संघ) द्वारा भारतीय नागरिकों में नैतिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास के लोकशिक्षण संपादित होते हैँ , जिसके माध्यम से नागरिकों में राष्ट्रवादी चरित्र निर्माण होता है। जिसकी भारत जैसे सदियों से परतंत्र रहे देश को, स्वाभिमान जागृति हेतु सख्त आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि " राष्ट्र का निर्माण केवल इमारतों या संसाधनों के विकास से नहीं होता, बल्कि चरित्रवान राष्ट्रहित चिंतक नागरिकों से होता है। आरएसएस (संघ) का संगठन, नागरिकों के नैतिक, शारीरिक और बौद्धिक स्तर पर विकास के लिए नियमित कार्य करता है, वह न केवल समाज को सशक्त करता है, बल्कि देश की आत्मा को भी मजबूत बनाता है। " उन्होंने कहा कि "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नें इसी दिशा में सतत कार्य करते हुए भारतीय राजनीती और सामाजिक क्षेत्र सहित विविध क्षेत्रों में श्रेष्ठतम राष्ट्रहित चिंतक स्वयंसेवक दिये, जिन्होंने राष्ट्र के उत्थान और विकास के नवीन कीर्तिमान स्थापित किये।"
सिसोदिया नें कहा कि " आरएसएस की शाखाओं में सबसे पहले जीवन मूल्यों पर ध्यान दिया जाता है। स्वयंसेवकों को सेवा, समर्पण, अनुशासन, व्यायाम,सत्य और परोपकार जैसे गुणों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी जाती है। इसीलिए साधारण नागरिक होते हुए भी स्वयंसेवकों नें असाधारण परिणामों की उपलब्धियां देश को दी हैँ।"
उन्होंने कहा कि " संघ समाज में फैली विषमताओं को दूर करने के लिए ही काम करता हैं। संघ ही वह संगठन है जिसे जातिवाद छू तक नहीं सका। वहीं आपदाओं में सबसे पहले सेवा और सहयोग के लिए संघ का स्वयंसेवक ही उपस्थित होता है,चाहे वह आपदा राहत हो, गरीबों की सहायता हो या सामाजिक समरसता के अभियान हों । यह नैतिक लोक शिक्षण उन्हें सच्चा देशभक्त, चरित्रवान और मानवतावादी बनाता है।"
सिसोदिया नें कहा है कि " आरएसएस अपने स्वयंसेवकों को देश, इतिहास, संस्कृति, और समसामयिक विषयों पर सोचने और समझने की दिशा में प्रेरित करता है। वे बौद्धिक , चर्चा, और अध्ययन के माध्यम से समसामयिक, विचारशील और जागरूक बनते हैं। इससे उनमें नेतृत्व और समस्या समाधान की क्षमता का विकास होता है। वे कुशल संगठक और नेतृत्वकर्ता बनते हैँ।"
सिसोदिया नें कहा कि " एक सशक्त राष्ट्रवादी चरित्र ही संघ की पहचान है जो उसे राष्ट्रीय स्वीकार्यता और आदरणीय प्रदान करता है। ऐसा चरित्र जो जाति, पंथ , भाषा और क्षेत्र के भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए सोचता है। जिसकी संपत्ति कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विशाल भारत है। जिनके लिए भारतमाता को परम वैभव पर विराजमान करना ही लक्ष्य है। क्योंकि यह इसलिए है कि " आरएसएस " अपने स्वयंसेवकों को "राष्ट्र सर्वोपरि " ही सिखाता है । "
सिसोदिया नें कहा कि " स्वस्थ शरीर, राष्ट्र सेवा की पहली शर्त है। आरएसएस में व्यायाम, योग, खेल, अभ्यास आदि के माध्यम से युवाओं को शारीरिक रूप से सशक्त बनाया जाता है। इससे उनमें आत्मबल, आत्मविश्वास, और अनुशासन की भावना विकसित होती है। यह शारीरिक प्रशिक्षण उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। जिसका अंतिम लाभ देश को संकटकाल में मिलता है।"
सिसोदिया नें कहा कि " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक श्रेष्ठ राष्ट्रहित चिंतक विचारधारा है, जो भारत को संगठित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सतत कार्य कर रही है। नैतिकता, शारीरिक क्षमता और बौद्धिकता से परिपूर्ण नागरिक ही राष्ट्र की असली पूंजी होते हैं, और आरएसएस इसी महान नागरिक पूंजी का निर्माण कर रहा है। "
सिसोदिया नें कहा कि " कांग्रेस अपनी विकृत विचारधारा से भारत में अस्वीकार होती जा रही है, यह अपने अंतिम पड़ाव पर है। वहीं देश का जनमत स्वयंसेवकों को स्वीकार कर रहा है, उन्हें देश को दिशा देनें और दशा सुधारने का कार्य सौंप रहा है, इसी से विचलित कांग्रेस मिथ्या दोषारोपण संघ पर रहती है। "
भवदीय
अरविन्द सिसोदिया
9414180151
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