मेरा शासन My Gov भारतीय हिंदू धर्म क्षेत्र (मंदिर, मठ, तीर्थ आदि) प्रबंधन एवं संरक्षण

भारत में सभी हिंदू धर्म के देवी देवताओं के मंदिर मठ और धर्म स्थलों की सुरक्षा सुव्यवस्था नव निर्माण संरक्षण और सुविधाओं के विकास हेतु सार्वजनिक प्रबंध करनी बनाने की अनिवार्यता होगी। प्रत्येक धर्म क्षेत्र की सुव्यवस्थित व्यवस्था होगी और उनके स्थानीय पंजीकरण इत्यादि भी होगा, इसी के साथ एक शर्ट इतिहास हिस्ट्री भी साथ में पंजीकृत होगी। प्रत्येक धर्म क्षेत्र का मूल स्वामित्व उसे प्रतिमा का होगा जो उसमें प्रमुख तौर पर विराजमान है।

इस तरह की एक स्थाई व्यवस्था होगी। प्रबंध कारणी में, धर्मक्षेत्र के रखरखाव पर व्यक्तिवत व्यय करने वाले प्रमुख पांच व्यक्ति, मंदिर का पराँपरागत संरक्षण करने वाले पांच व्यक्ति,मंदिर की पूजा अर्चना करने वाले तीन व्यक्ति एवं एक उस क्षेत्र का निर्वाचित जनप्रतिनिधि अनिवार्यरूप से रहेंगे। इसे यथा आवश्यकता के बढ़ाया जा सकेगा।

भारतीय हिंदू धर्म क्षेत्र (मंदिर, मठ, तीर्थ आदि) प्रबंधन एवं संरक्षण नियमावली 

1. उद्देश्य

भारत के समस्त हिंदू धर्म स्थलों (मंदिर, मठ, तीर्थ आदि) की सुरक्षा, संरक्षण, सुव्यवस्था और विकास हेतु सार्वजनिक प्रबंध व्यवस्था स्थापित करना। धर्मस्थलों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्ता को सुरक्षित रखना।

2. धर्मस्थल की परिभाषा

“धर्मस्थल” से तात्पर्य उस स्थान से है जहाँ किसी हिन्दू देवी-देवता की मूर्ति, प्रतिमा, प्रतीक या उनका पूजन परंपरागत रूप से होता आया है। इसमें मंदिर, मठ, तीर्थ स्थान, स्मृति स्थल, पुरातन धार्मिक केंद्र आदि सम्मिलित होंगे।

3. पंजीकरण की अनिवार्यता

1- प्रत्येक धर्मस्थल का स्थानीय स्तर पर अनिवार्य पंजीकरण किया जाएगा।
2- पंजीकरण के समय निम्नलिखित जानकारी अनिवार्य होगी:
3- प्रमुख विराजमान देवता/देवी की जानकारी
4- धर्मस्थल का संक्षिप्त ऐतिहासिक विवरण (इतिहास)
5- भूमि एवं संपत्ति का विवरण
6- परंपरागत पूजा-पद्धति
7- पूर्व/वर्तमान संरक्षकों की सूची

4. मूल स्वामित्व

1-:धर्मस्थल की सम्पत्ति एवं मूल स्वामित्व उस देवता/देवी/प्रतिमा के नाम पर होगा जो वहाँ पर प्रमुख रूप से विराजमान हैं।

2-:मानव द्वारा किया गया संचालन केवल प्रबंधकीय और सेवा कार्य माना जाएगा।
3. देवस्थान विभाग पर एक पंजीयन रजिस्टर होगा जिसमें सब कुछ दर्ज होगा।
4.देवस्थान विभाग रिकार्ड आन लाईन प्रतिवर्ष, राजस्व विभाग की तरह करेगा। 

5. प्रबंध समिति (धर्मस्थल प्रबंध कारणी) का गठन

प्रत्येक धर्मस्थल हेतु एक स्थायी प्रबंध कारणी (Governing Committee) का गठन होगा, जिसमें निम्नलिखित सदस्य अनिवार्य होंगे:-

1. पांच व्यक्ति जिन्होंने मंदिर/धर्मस्थल के रखरखाव, विकास, संरक्षण हेतु व्यक्तिगत व्यय लगातार किया हो (स्थानीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हों)
2. पांच परंपरागत संरक्षक ( परंपरागत न्यासी, पूर्वजों से संबंधित सेवक वर्ग एवं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि सरपंच, पार्षद, विधायक, सांसद आदी में से )
3. तीन व्यक्ति जो नियमित पूजा-अर्चना/सेवा कार्य करते हों 

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