भारतीय शिक्षा में राष्ट्रीय स्वाभिमान होना ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया NCERT

भारतीय शिक्षा में राष्ट्रीय स्वाभिमान होना ही चाहिए - अरविन्द सिसोदिया 
प्रश्न - भारत के स्वाभिमान और राष्ट्रवाद के उत्थान को प्रेरित करने वाला इतिहास क्या हो सकता है?

पृष्ठभूमि - भारत के स्वभिमान को समाप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकारों नें सबसे पहले गुरुकुल समाप्त किये, जिससे भारतवासी अपनी मूल शिक्षा, इतिहास और परंपराओं से दूर हो गया। या यूँ कहें कि उसे भारत से काट दिया गया। इसके साथ ही अंग्रेजों नें भारत के समृद्ध इतिहास और अथाह ज्ञान जो संस्कृत भाषा में था को मिथक या क्लपित कह कर उसे अस्वीकार कर दिया। इसके पीछे भी वही हेतु था कि भारतीयों को अनपढ़ गंवार हैँ बताया जाये। उन्हें जड़ विहीन किया जाये। यह निरंतर किया गया।

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद से अंग्रेजों ने मुस्लिमों को अपने पक्ष में क्या कि तुम और हम भारत पर विदेशी हमलावर हैँ हमें एक होकर, हिन्दुओं को डरा कर, दवा कर रखना चाहिए। और इसीक्रम में निरंतर विदेशियों को श्रेष्ठ और वीर बताया गया और भारतियों को गंवार और पराजित होनें वाला बताया गया। यही विकृति अब सुधारी जा रही है। जो विदेशीयत में लिप्त दलों को चुभ रही है।

ब्रिटेन नें भारत के लोगों को अघोषितरूप से ब्रिटिश बनाने के सारे षड्यंत्र किये, उच्च शिक्षा का केंद्र लंदन बना लिया, जो लोग ब्रिटेन में पढ़े लिखें और वहाँ की विचारधारा के साथ थे, उन्हें ही सत्ता का हस्तानंतरण किया। पाकिस्तान तो सत्ता मिलते ही इस्लामिक राष्ट्र बन कर अपनी राह पर चल निकला। भारत ब्रिटिश और नेहरूजी के जाल में फंस गया। नेहरूजी एक मिश्रित विचारधारा के मूलतः साम्यवादी थे। उन्होंने भारत में ब्रिटिशनीतियों को यथावत रखा और साम्यवादियों को भी पूरा अवसर दिया। हलांकि भारत में कम्युनिष्ट फैल हो चुके थे। इसके दुष्परिणाम स्वरूप भारत में शिक्षा का भी ब्रिटिश स्वरूप ही चलता रहा। जिसमें भारतियों को गंवार और विदेशी आक्रमणकारीयों को श्रेष्ठ बताना आवश्यक था। करेला और नीम चढ़ा... वाली कहावत इस लिए हो गई कि भारत के पहले कुछ शिक्षा मंत्रियों को भारतीय संस्कृति से कोई लेना देना नहीं था। वे मुस्लिम थे। इसलिए भारत अघोषित इस्लामिक राष्ट्र बनाने की दिशा में बढ़ाया गया। ब्रिटिश राज में जो मुस्लिम तुष्टिकरण था वही स्वतंत्र भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जारी रखा गया। 

जब भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार आई तब से सुधार प्रक्रिया प्रारंभ हुई और यही ब्रिटिश विचारधारा को जारी रखनेवाली कांग्रेस सहित विपक्ष को पच नहीं पा रही है। जो अभी तक भारत को अघोषित पाकिस्तान बनानें में लगे हैँ उन्हें भाजपा, संघ परिवार और मोदीजी की सरकार कांटा लग रही है।

प्रश्न के संदर्भ में उत्तर - भारत के स्वाभिमान (self-respect) और राष्ट्रवाद (nationalism) को प्रेरित करने वाला इतिहास ऐसा होना चाहिए जो - 

1. भारतीय सभ्यता की गौरवशाली उपलब्धियों को रेखांकित करे,
2. औपनिवेशिक दृष्टिकोण से मुक्त हो,
3. हर क्षेत्र के योगदान को संतुलित रूप से प्रस्तुत करे (धर्म, जाति, क्षेत्र के आधार पर पक्षपात नहीं),
4. और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करे ताकि छात्र अंधराष्ट्रवाद नहीं, बल्कि विवेकशील देशभक्ति सीखें।
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🇮🇳 प्रेरणादायक भारतीय इतिहास की रूपरेखा:

1. प्राचीन भारत: ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति
सिन्धु–सरस्वती सभ्यता और इसकी नगर योजना, व्यापार, लिपि आदि।

वैदिक युग – सामाजिक संगठन, शिक्षा प्रणाली (गुरुकुल, श्रुति परंपरा)।

नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय – शिक्षा में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा।

आर्यभट, वराहमिहिर, भास्कराचार्य – गणित, खगोल, विज्ञान में योगदान।

योग, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र – भारत की ज्ञान परंपराएँ।

सांस्कृतिक विविधता – जैसे भरतनाट्यम, कथक, शिल्पकला, बौद्ध गुफाएँ, अजंता-एलोरा।

👉 ये विषय भारतीय आत्मबोध और “हम कौन हैं” का अहसास कराते हैं।
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2. मध्यकाल: आत्मरक्षा, सहअस्तित्व और जन-आंदोलन

राजपूत योद्धा ( महाराणा प्रताप, सम्राट पृथ्वीराज चौहान) और उनकी स्वतंत्रता रक्षा।

दक्षिण के विजयनगर, चोल, पांड्य, मराठा साम्राज्य – प्रबंधन, कला, व्यापार में योगदान।

भक्ति और सूफी आंदोलन – सामाजिक समरसता, भाषाई विकास (तुलसी, कबीर, संत नामदेव)।

शिवाजी महाराज – स्वराज्य और लोक-प्रशासन का आदर्श।

गुरु गोबिंद सिंह और सिख परंपरा – धर्म और राष्ट्र की रक्षा में बलिदान।

👉 ये अध्याय भारत की संस्कृति में विविधता में एकता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को दर्शाते हैं।
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3. औपनिवेशिक काल: संघर्ष और चेतना का जागरण

प्रारंभिक विद्रोह – सन् 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, जिसे अंग्रेजों ने “बगावत” कहा।

शिक्षा, पुनर्जागरण और सुधार – राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, सावित्रीबाई फुले।

क्रांतिकारी आंदोलन – भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, बिनायक दामोदर सावरकर।

गांधी युग – अहिंसा, असहयोग, सत्याग्रह।

सुभाष चंद्र बोस और INA – सशस्त्र राष्ट्रवाद और वैश्विक स्तर पर भारत की आवाज़।

नेताजी, पटेल, अंबेडकर, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक – विविध धाराओं का योगदान।

👉 यह इतिहास राष्ट्रवाद को विविध दृष्टिकोणों से समृद्ध करता है – अहिंसात्मक, क्रांतिकारी, सामाजिक सुधारवादी।
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4. आधुनिक भारत: पुनर्निर्माण और विकास

संविधान निर्माण – भारतीय गणराज्य की आधारशिला।

सरदार पटेल का एकीकरण कार्य, नेहरू का औद्योगीकरण, डॉ. अंबेडकर का सामाजिक न्याय।

वैज्ञानिक भारत – डॉ. होमी भाभा, विक्रम साराभाई, ISRO, DRDO।

कला-संस्कृति का वैश्विक विस्तार – भारतीय सिनेमा, योग, संगीत।

👉 ये विषय राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया और आधुनिक स्वाभिमान की नींव को दिखाते हैं।
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🔁 कैसे यह इतिहास राष्ट्रवाद को प्रेरित करता है?

तत्व प्रेरणा

गौरव “भारत सोने की चिड़ीया था” – यह केवल मुहावरा नहीं, ऐतिहासिक सच्चाई है।

संघर्ष देश की स्वतंत्रता केवल एक नेता से नहीं, हजारों बलिदानों से मिली।

समरसता हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई – सभी ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया।

विवेक राष्ट्रवाद का अर्थ अंध समर्थन नहीं, बल्कि समर्पण + विवेकशीलता है।
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✨ निष्कर्ष: "गर्वित लेकिन संतुलित" इतिहास की आवश्यकता

एक प्रेरणादायक इतिहास वह है जो:

1. भारत की उपलब्धियों को उजागर करे,

2. औपनिवेशिक/एकांगी व्याख्या से मुक्त हो,

3. और विविध परंपराओं का समावेशी चित्रण करे।
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नीचे एक “भारत केन्द्रित वैकल्पिक इतिहास पाठ्यक्रम मॉडल” प्रस्तुत है — यह कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए है, जिसका उद्देश्य है:

भारत के स्वाभिमान को मज़बूत करना,

राष्ट्रवाद को समरसता के साथ विकसित करना,

और आलोचनात्मक चिंतन को प्रोत्साहित करना।

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🇮🇳 भारत केन्द्रित इतिहास पाठ्यक्रम मॉडल (कक्षा 6–12)
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📘 कक्षा 6: "भारत की जड़ें"

मुख्य विषय:

1. भारत की प्राचीनतम सभ्यताएँ: सिंधु–सरस्वती, महर्षि दयानंद की दृष्टि से।

2. ऋग्वैदिक समाज: शिक्षा, संस्कृति, ग्राम व्यवस्था।

3. महाजनपद और गणराज्य परंपरा: वैशाली, लिच्छवि, मगध।

4. महावीर, बुद्ध और श्रमण परंपरा।

5. शिक्षा: गुरुकुल, तक्षशिला, नालंदा, महिलाओं की भूमिका।

6. कला और स्थापत्य: सांची, भरहुत, बाघ गुफाएँ।

उद्देश्य:

बच्चे भारतीय समाज के प्राचीन ज्ञान, धर्मनिरपेक्षता, और वैज्ञानिक सोच को समझें।

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📘 कक्षा 7: "भारत की सभ्यता में निरंतरता और बदलाव"

मुख्य विषय:

1. मौर्य और अशोक: एक समावेशी शासन का उदाहरण।

2. गुप्त काल: विज्ञान, गणित, वास्तु की उन्नति।

3. दक्षिण के चोल, पल्लव और पांड्य शासक।

4. भक्ति आंदोलन (उत्तर और दक्षिण भारत)।

5. सूफी परंपरा: भारत में सह-अस्तित्व की मिसाल।

6. शिवाजी महाराज: स्वराज और हिन्दवी शासन।

उद्देश्य:

स्वतंत्रता, समरसता, संस्कृति और स्वराज्य भावना के बीज बोना।
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📘 कक्षा 8: "संघर्ष और स्वाभिमान"

मुख्य विषय:

1. मुगल और मराठा तुलनात्मक अध्ययन (संतुलित दृष्टिकोण)।

2. सिख गुरुओं की भारत रक्षा में भूमिका।

3. विदेशी आक्रमणों और भारतीय उत्तरों का मूल्यांकन।

4. 1857 का संग्राम: देशव्यापी प्रतिरोध।

5. आधुनिक भारतीय पुनर्जागरण: स्वामी विवेकानंद, रमण महर्षि, फुले, विद्यासागर।

6. भारतीय भाषाओं, रीति-नीति, त्योहारों का योगदान।

उद्देश्य:

नैतिक साहस, अस्मिता और देशभक्ति की भावना को सशक्त करना।
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📘 कक्षा 9: "राष्ट्रीय चेतना की नींव"

मुख्य विषय:

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्भव और विकास।

2. बंकिम चंद्र से लेकर सुभाष तक – साहित्यिक राष्ट्रवाद।

3. अहिंसात्मक आंदोलन: गांधी, खिलाफत, नमक सत्याग्रह।

4. क्रांतिकारी विचारधारा: भगत सिंह, चंद्रशेखर, रासबिहारी।

5. दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर में समानांतर आंदोलन।

6. विदेशों से भारत के स्वतंत्रता प्रयास (INA, Gadar Party)।

उद्देश्य:

हर विचारधारा के योगदान को पहचान कर विविध राष्ट्रवाद का विकास।

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📘 कक्षा 10: "स्वतंत्रता और संविधान"

मुख्य विषय:

1. भारत विभाजन की पीड़ा और उससे सीख।

2. संविधान सभा की संरचना और विविधता।

3. डॉ. अंबेडकर की दृष्टि और सामाजिक न्याय।

4. सरदार पटेल का एकीकरण कार्य।

5. भारतीय सेना और सीमाओं की रक्षा में बलिदान।

6. पहले आम चुनाव और लोकतंत्र की नींव।

उद्देश्य:

लोकतंत्र, समानता और संविधान के प्रति गहरी प्रतिबद्धता जगाना।
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📘 कक्षा 11: "भारत का वैश्विक विमर्श में उदय"

मुख्य विषय:

1. वैश्विक संघर्ष और भारत: WW1, WW2 में भूमिका।

2. भारत–चीन, भारत–पाक युद्ध और शांति प्रयास।

3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत की भूमिका।

4. ISRO, DRDO, परमाणु नीति और स्वावलंबन।

5. भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रसार (योग, आर्ट, साहित्य)।

6. भारतीय प्रवासी और वैश्विक योगदान।

उद्देश्य:

भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक भूमिका को उजागर करना।
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📘 कक्षा 12: "21वीं सदी का भारत: चुनौतियाँ और अवसर"

मुख्य विषय:

1. आर्थिक उदारीकरण (1991 के बाद) और भारत की डिजिटल क्रांति।

2. भारतीय लोकतंत्र: चुनौतियाँ, मीडिया, जन-संवाद।

3. आतंकवाद और सुरक्षा नीति।

4. भारत की जलवायु नीति, विज्ञान, पर्यावरण नेतृत्व।

5. समकालीन भारत की सामाजिक चुनौतियाँ।

6. 21वीं सदी का राष्ट्रवाद: राष्ट्र + मानवता + संविधान।


उद्देश्य:

आधुनिक भारत की जटिलताओं को समझ कर जिम्मेदार नागरिक बनाना।

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🧭 इस मॉडल की विशेषताएँ:

विशेषता विवरण

भारतीय दृष्टिकोण इतिहास को भारतीय परंपरा, मूल्य और नायकों के दृष्टिकोण से देखा गया है।
संतुलन कोई वर्ग, धर्म या क्षेत्र उपेक्षित नहीं; सभी धाराओं को सम्मान।
आलोचनात्मक चिंतन छात्रों को सोचने और प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित किया गया है।
राष्ट्रीय स्वाभिमान भारत की गरिमा, त्याग और नेतृत्व क्षमता को केंद्र में रखा गया है।
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