सावधान ....फेसबुक के कारण एक तिहाई तलाक
- अरविन्द सिसोदिया
सावधान ....
फेसबुक सामाजिक संक्रांति और सोसल नेटवर्किंग का मजबूत हथियार बन कर तो उभरा हे मगर इसकी सुविधाओं ने एक अजीब सी सामाजिक विसंगति उत्पन्न कर दी की समाजशास्त्री अचंभित हैं , की क्या किया जाये , पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के उल्लंघन के कारण यह पति - पत्नी के बिच अविश्वास का कारण भी बनता जा रहा है ||| फेसबुक वालों को अपने आप पर नियंत्रण भी रखना होगा और अविश्वास से अपने आपको बचा कर रखना होगा...
दुनिया में एक तिहाई तलाक फेसबुक के कारण
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लंदन.पूरी दुनिया में होने तलाकों में से एक तिहाई सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के कारण हो रहे हैं। एक क़ानूनी फर्म 'डाइवोर्स ऑनलाइन' के मुताबिक फेसबुक को तलाक के मामलों में सबूत के तौर पर पेश करने की संख्या में इजाफा हुआ है।
फर्म के मुताबिक 'व्यवहार सम्बन्धी' तलाक आवेदनों में फेसबुक शब्द के इस्तेमाल में पिछले 2 सालों में 50 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।पिछले एक साल के दौरान फर्म में दाखिल तालाक के 5000 आवेदनों में से करीब 33 फीसदी ने फेसबुक वेबसाइट का नाम जिक्र किया।
'डाइवोर्स ऑनलाइन' के प्रबंधक मार्क कीनन ने बताया "कई लोगों के लिए फेसबुक अपने दोस्तों के साथ संवाद का मुख्य जरिया बन गया है। लोग अनजाने में अपने पूर्व साथियों को मेसेज भेजते हैं लेकिन यही बाद में मुसीबत का कारण बन जाता है। अगर कोई किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध या फ्लर्ट करना चाहता है तो यह सबसे आसन जगह है।"
फेसबुक से होने वाली समस्याओं में सबसे आम कारण, पति या पत्नी द्वारा फ्लर्टी मेसेज का पाया जाना,साथी के पार्टी की तस्वीरें जिसके बारे में वे नहीं जानते या ऐसे किसी के साथ पाया जाना जिसके साथ उन्हें नहीं होना चाहिए। डॉसन कॉर्नवेल में कानूनी सलाह देने वाले अन्ने मारी हचिंसन कहते है "अगर आप अपने साथी से चीजें छुपाते हैं तो फेसबुक इसे खोजने में आसन बना देता है।"
कीनन ने बताया कि वे अपने मुवक्किलों को तलाक की कार्रवाई के दौरान फेसबुक से दूर रहने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा "लोगों को फेसबुक पर कुछ भी डालने के दौरान सावधान रहना चाहिए क्योंकि अदालतों में आजकल लोगों के फेसबुक वाल्स और पोस्टिंग को वित्तीय और बच्चों से सम्बंधित विवादों में बतौर सबूत पेश किया जा रहा है।"
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विश्व में एक तिहाई तलाक फेसबुक के कारण
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लंदन। विश्व में एक तिहाई तलाक के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक जिम्मेदार है। यह दावा एक विधिक परामर्शदाता कम्पनी ने किया है। समाचार पत्र 'डेली मेल' ने 'डाइवोर्स ऑनलाइन' के हवाले से बताया कि तलाक के मामलों में फेसबुक का प्रयोग बतौर सबूत किया जा रहा है। कम्पनी ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान फेसबुक शब्द वाली तलाक याचिकाओं में 50 फीसदी इजाफा हुआ है। तलाक की 5000 याचिकाओं में कम से कम 33 फीसदी में फेसबुक के नाम का उल्लेख किया था।
'डाइवोर्स ऑनलाइन' के प्रबंध निदेशक मार्क कीनन ने कहा कि लोग अपने पूर्व मित्रों के साथ सरलता से संवाद स्थापित करते हैं लेकिन अंत समस्याप्रद होता है। यदि कोई अपने विपरीत लिंग के साथ ठिठोली करना या सम्बंध बनाना चाहता है तो यह आरामदायक स्थान है।
कीनन ने कहा कि उन्होंने अपने मुवक्किलों को तलाक की कार्यवाही के दौरान फेसबुक से दूर रहने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि फेसबुक पर जो भी सूचनाएं लोग रखते हैं उसके प्रति सचेत रहना चाहिए क्योंकि अदालतों में लोगों के वॉल एवं पोस्ट सबूत के तौर पर पेश किए जा रहे हैं।
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