बाबरी विध्वंस : अड़ंगेबाजी ही इसके जनशक्ति के द्वारा ढहाए जाने का कारण बना ....!







- अरविन्द सिसोदिया 
बाबरी ढांचा ढहाए जाने की घटना का  मूल कारण क्या था..., इस पर विचार होना बहुत जरुरी है .., जबरिया धर्मान्तरण और पवित्र स्थलों को  ढहाना तथा उन पर विजेताओं के धर्म स्थल खड़े करना , विश्व व्यापी परवर्ती रही हे और जब भी उनसे वह समाज मुक्त हुआ तो उसने पुनः अपनी जबरिया छिनी गई अस्मिता को प्राप्त किया है..बाबरी विध्वंस भी इसी तरह की घटना है जो कई कारणों के साझा हो जाने से आक्रोशित जनसमूह के द्वारा ढहा दी गई ....बाबरी के बारे में तय तथ्य हैं की उसे रामलला के पवित्र स्थल को तोड़ कर बनी गई थी ..विजय के प्रतीक के रूप में , आजादी के पश्चात  जिस तरह से सोमनाथ का पुर्न निर्माण हुआ उसी तर्ज पर बाबरी के स्थान पर रामलला के पवित्र स्थल का भी पुर्न  निर्माण हो जाना चाहिए था...उसमें अनावश्यक अड़ंगेबाजी ही इसके जनशक्ति के द्वारा ढहाए जाने का कारण बना ....! मेरा  मानना है की सोमनाथ पेटर्न पर ही रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण अयोध्या में होना चाहिए इसमें कोर्ट की कोई जरुरत ही नहीं है ....  


============


बाबरी कांड महज एक घटना : सुप्रीम कोर्ट
16 Jan 2012, 
http://navbharattimes.indiatimes.com
नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अयोध्या का बाबरी कांड सिर्फ एक घटना है और इसके बारे में कुछ भी प्रख्यात या कुख्यात नहीं है। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 18 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला चलाने के लिए दायर सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख तय की। 
अदालत ने यह टिप्पणी अडिशनल सॉलिसिटर जनरल की बात पर की। उन्होंने कार्यवाही की शुरुआत में कहा कि मामला 'मशहूर' बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले से संबंधित है। इस पर जस्टिस एच. एल. दत्तू और जस्टिस सी. के. प्रसाद की बेंच ने कहा कि इसके बारे में क्या मशहूर है? 
यह एक घटना थी जो घटी और सभी पक्ष हमारे सामने हैं। यह प्रख्यात या कुख्यात नहीं है। बेंच के समक्ष कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि यह बताया गया कि मामले के कुछ पक्षों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। इसके बाद सुनवाई 27 मार्च तक स्थगित कर दी गई। 
किन पर है आरोप 
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 4 मार्च को 21 लोगों को नोटिस जारी किया था जिसमें आडवाणी, ठाकरे, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान, सी. आर. बंसल, एम. एम. जोशी, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, वी. एच. डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आर. वी. वेदांती, परमहंस रामचंद दास, जगदीश मुनि महाराज, बी. एल. शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे शामिल हैं। 
अदालत ने इन सभी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है कि बाबरी कांड के सिलसिले में उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के मामले क्यों नहीं फिर से शुरू किए जाएं। सीबीआई ने 21 मई 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने विशेष अदालत के इस फैसले को बहाल रखा था कि इन नेताओं के खिलाफ आरोप खारिज कर दिए जाएं।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi