आजादी के इस आँगन में : पंडित दयानंद शास्त्री"नारद"

देशभक्ति की कवितायेँ ---- (पंडित दयानंद शास्त्री"नारद"/अंजाना )

आजादी के इस आँगन में ,
जो बारूद बिछाएगा ,
कसम शहीदों की वह जालिम,
यहाँ नहीं रह पायेगा,
अब की बरी युद्ध छिड़ा तो,
विराम नहीं हो पायेगा,
जहाँ गड़ेगा अमर तिरंगा,
भारत ही कहलायेगा,
नहीं रुकेगा नहीं झुकेगा,
नहीं मिटेगा हिंदुस्तान,
चाहे दुनिया मिट जाये,
पर नहीं बंटेगा हिंदुस्तान.......
(पंडित दयानंद शास्त्री"नारद"/अंजाना )
==================================
ये हिंद हमारा हें
भारत के कोने कोने में
रहने वाला हर हिन्दुस्तानी प्यारा हें
ये हिंद हमारा हें
हर जीवन को जेसे जीवन प्यारा हें
वैसे ही हमें हमारा हिंद प्यारा हें
ये हिंद हमारा हें
नित-नित बलि-बलि जाते इस पर
कभी आंच न आने देंगे इस पर
धन दोलत की बात हें क्या
सब कुछ इस हें वारा
ये हिंद हमारा हें
ये हिंद हमारा हें....
(पंडित दयानंद शास्त्री"नारद"/अंजाना )
==============================
घाटी कश्मीर के तुम,
छोड़ो स्वप्न सुहाने,
वह तो हें आन वतन की,
या समझो जन वतन की!!!!!
गाँधी की खातिर हमने ,
कम चलाया बोली से,
वर्ना हमको भी हें आता ,
उत्तर देना गोली से,!!!!!
मन दान देने को हम ,
हर दम हें तेयार,
पर हठ धर्मी तुम बने रहें,
अब क्षमा द्वार को करके बंद,
रह नयी एक मोडेंगे,
कश्मीर कभी न छोड़ेंगे,!!!!!!
भूल ना करना डसने की,
हम नील कंठ के वारी हें,
अमृत पान करते सबको,
हम पवन गंगा धारी हें,
हम तो खुद विषधारी हें,
विष भी अमृत हो जायेगा!!!!!!
अब जयचंदों को
जिन्दा नहीं हम छोड़ेंगे
राह नयी एक मोडेंगे
कश्मीर कभी न छोड़ेंगे.!!!!!!
(पंडित दयानंद शास्त्री"नारद"/अंजाना )
5 hours ago · Like ·  1

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

पहले दिन से सुपरफ़ास्ट दौड़ रही है भजनलाल शर्मा सरकार - अरविन्द सिसोदिया cm rajasthan bhajanlal sharma

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

युवाओं को रोजगार से जोडने की भाजपा की ऐतिहासिक पहल - राकेश जैन BJP Kota City

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

ईश्वर तो समदर्शी, भेद हमारे अपने - अरविन्द सिसोदिया ishwar

महापुरुषों के शौर्य को पाठ्यक्रम में पर्याप्त स्थान दिया जाये Mahapurushon ko sthan

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग