कांग्रेस ही असल में अपरोक्ष राष्ट्रद्रोह कर रही है - अरविन्द सिसौदिया
- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
जब से नरेन्द्र मोदी ने दूसरीवार देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला है तब से कांग्रेस का मुखिया या मालिक मिथ्या गांधी परिवार जो अपनी स्वंय की वास्तविक पहचानों का उपयोग नहीं करता है, उधार का गांधी सरनेम उपयोग कर्ता हे। जो ये कभी थे नहीं । अब ये ही तथाकथित गांधी प्रधानमंत्री पद दूर खिसकते देख हैरान और परेशान है तथा देश का सबक सिखानें के मकसद से, वर्तमान मोदी सरकार को काम नहीं करने देनें के लिये अडंगा राजनिति के तहत लगातार देश में आराजकता उत्पन्न करने हेतु , झूठ के आधार पर तनाव और हुल्लडतंत्र की अव्यवस्था उत्पन्न करने में लगा हुआ है।
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में भी अडंगेपन से पीछे नहीं हटने वाले कृत्यों की राजनिति करने वाली कांग्रेस ही असल में अपरोक्ष राष्ट्रद्रोह कर रही है। यदि यही कृत्य इन्होने चीन में किये होते जो जेल में होते या फिर .....? आप खुद समझ लो क्या हुआ होता ! यह भारत हे, इसमें संविधान की, व्यवस्था की चिन्ता कम होती है। खुदगर्ज राजनिति की चिन्ता ज्यादा होती हे। इस कारण यह तमाशा लगातार बना हुआ है। कई दलों की प्रतिस्पर्द्धा कांग्रेस से है, वे उससे भी आगे दिखना चाहते है। जिसमें आप, टीएमसी, सपा, बसपा प्रमुख है। इस कारण यह हुल्लड तंत्र और अधिक विस्तार ले रहा है। राहुल गांधी एंड कम्पनी की नीति बिलकुल साफ है झूठ बोलो उलटा बोला कानूनी पेंच आये तो भाग जाओ, माफी मांग लो। कुल मिला कर देश में लगातार भ्रम की राजनीति करते रहो देश के काम मत होने दो।
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राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी, राफेल के मुद्दे पर दिया था बयान
चुनावी सभा में राफेल के मुद्दे पर दिए गए अपने बयान को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में खेद जताया है और कोर्ट से माफी मांगी है
IndiaTV Hindi DeskIndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 22, 2019
नई दिल्ली। चुनावी सभा में राफेल के मुद्दे पर दिए गए अपने बयान को लेकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में खेद जताया है और कोर्ट से माफी मांगी है। इस मामले पर अब अगली सुनवाई मंगलवार को होगी, मामले में भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने याचिका दायर की थी।
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका मंजूर होने के बाद राहुल गांधी ने बयान दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकिदार ने चोरी की है, राहुल गांधी के इस बयान के बाद भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राहुल गांधी पर कोर्ट की कार्रवाई को गलत तरीके से दर्शाने का आरोप लगाया था।
मिनाक्षी लेखी की याचिका मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले 15 अप्रैल को सुनवाई रखी थी और बाद में 22 अप्रैल के लिए सुनवाई तय की, लेकिन आज की सुनवाई में राहुल गांधी ने अपने बयान के लिए खेद जताया और कोर्ट से माफी मांगी, राहुल गांधी ने कहा कि यह बयान चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया था। मामले पर अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होनी है।
Monsoon Session & Farmers:
विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा 26 जुलाई तक स्थगित
Fri, 23 July 21
पहले दो दिन (सोमवार और मंगलवार) राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जबकि बुधवार को बकरीद की छुट्टी के बाद गुरुवार को भी सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया.
संसद के मानूसन सत्र में गुरुवार को भी जमकर शोर-शराबा हुआ और राज्यसभा एवं लोकसभा की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. पेगासस जासूसी केस, ऑक्सीजन की कमी से मौत और कृषि कानूनों पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. संसद की कार्यवाही पिछले तीन दिनों से लगातार बाधित हो रही है.
पहले दो दिन (सोमवार और मंगलवार) राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जबकि बुधवार को बकरीद की छुट्टी के बाद गुरुवार को संसद का सत्र का तीसरा दिन था.
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने गुरुवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शुरू किया. आज आंदोलन का दूसरा दिन है. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने किसान संगठनों को 9 अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों द्वारा प्रदर्शन की विशेष अनुमति दी है.
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संसद में बाधा के लिए 'हमला कर भागने' की रणनीति अपना रहा विपक्ष : तेजस्वी सूर्या
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) भाजपा की युवा शाखा ने इजरायली पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करने वाले प्रमुख नागरिकों पर कथित जासूसी के दावों को निराधार बताते हुए बुधवार को कहा कि विपक्ष संसद के कामकाज में गड़बड़ी करने के लिए शूट एंड स्कूट में लगा हुआ है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। इजरायल के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करते हुए प्रमुख लोगों की जासूसी कराने के आरोपों को निराधार बताते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने बुधवार को कहा कि विपक्ष 'हमला कर भागने' की रणनीति अपना रहा है। उसका एकमात्र उद्देश्य संसद की कार्यवाही को बाधित करना है।भाजपा सांसद व भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने पेगासस जासूसी प्रकरण को निराधार बताते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला और इसके 'रहस्योद्घाटन' के समय पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा, 'विपक्ष संसद की कार्यवाही को बाधित करने के लिए हमेशा ही हमला करो और भाग जाओ की रणनीति अपनाता रहा है। इस बार उसने आरोप लगाए हैं कि सरकार ने कथित तौर पर पेगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए प्रमुख लोगों की जासूसी की है।' उन्होंने कहा कि यह कथित जांच लोगों की कथित जासूसी के तीन साल बाद की गई है। सूर्या ने कहा, 'उनकी खुद की स्वीकारोक्ति बताती है कि फोन नंबरों के डाटा यह स्पष्ट नहीं कर पाते हैं कि वे पेगासस से प्रभावित थे या हैकिंग के शिकार हुए थे।'
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राहुल ने पेगासस जासूसी को देशद्रोह बताया, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल देश के लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं के खिलाफ किया है।
नई दिल्ली, ब्यूरो। पेगासस जासूसी विवाद को लेकर सदन के अंदर संग्राम कर रहे विपक्षी दलों ने शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन करते हुए राजनेताओं-पत्रकारों समेत कई प्रमुख हस्तियों के फोन की जासूसी की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने पोस्टर-बैनरों के साथ जासूसी को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए इसे देशद्रोह तक करार दिया।
राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल देश के लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं के खिलाफ किया है। उनकी जासूसी किए जाने का सरकार पर आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि उनके हर फोन की टैपिग और दिनचर्या की जासूसी की जाती है। जासूसी प्रकरण को लोकतंत्र की आवाज दबाने का प्रयास करार देते हुए राहुल ने गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की भी मांग उठाई।
पत्रकारों से बातचीत में राहुल ने कहा कि जासूसी केवल उनकी निजता का मामला नहीं है। विपक्ष के एक नेता के रूप में वे जनता की आवाज उठाते हैं और जासूसी जनता की उस आवाज पर हमला है। राहुल ने कहा कि पेगासस का सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ इस्तेमाल हुआ और राफेल की जांच रोकने के लिए भी इसे हथियार बनाया गया। राफेल मामले में एफआइआर से ठीक पहले सीबीआइ के निदेशक की फोन टैपिंग की गई और उन्हें ब्लैकमेल किया गया। इस कृत्य के लिए उनके पास एक ही शब्द है-देशद्रोह।
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Manoj Jangra 23 July 2021
संपादकीय लेख :
संसद को राजनीति का अखाड़ा न बनने दें
संसद में हंगामा करने के लिए किस तरह नित नए कारण तलाशे जाते हैं। अब नया कारण मिल गया है पेगासस। जासूसी को लेकर संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में हंगामा जारी है। गुरुवार को विपक्षी सांसदों ने पेगासस जासूसी कांड समेत दूसरे कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया। पेगासस मामले को लेकर राज्यसभा में हंगामे के चलते सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव अपनी बात नहीं रख पाए और उन्हें अपना भाषण छोटा करना पड़ा। यहां तक कि मामला छीना-झपटी तक पहुंच गया।
Haribhoomi Editorial : संसद में हंगामा करने के लिए किस तरह नित नए कारण तलाशे जाते हैं। अब नया कारण मिल गया है पेगासस। जासूसी को लेकर संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में हंगामा जारी है। गुरुवार को विपक्षी सांसदों ने पेगासस जासूसी कांड समेत दूसरे कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया। पेगासस मामले को लेकर राज्यसभा में हंगामे के चलते सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव अपनी बात नहीं रख पाए और उन्हें अपना भाषण छोटा करना पड़ा। यहां तक कि मामला छीना-झपटी तक पहुंच गया। मंत्री पेगासस मामले में अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल के सांसद शांतनु सेन ने उनके हाथ से उनके बयान का पर्चा छीनकर फाड़ दिया और हवा में उछाल दिया। इस दौरान हंगामे के बीच ही मंत्री ने बोलना जारी रखा, लेकिन पूरी तरह अपनी बात नहीं रख पाए। इसके बाद बीजेपी और तृमणूल के सांसदों में तीखी बहस शुरू हो गई और हालात संभालने के लिए मार्शल बुलाने पड़े। कायदे से तो ऐसी हरकत करने वाले सांसद के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। यह कतई संसदीय मर्यादा नहीं है कि कोई सांसद मंत्री के हाथ से दस्तावेज छीनकर फाड़ दे। यह भी विडंबना है कि जब भी ऐसी हरकत करने वाले किसी सांसद के खिलाफ कार्यवाही होती है तब हंगामा करके अपने निलंबन को निमंत्रण देने वाले सांसद यह रोना रोने लगते हैं कि उन्हें बोलने से रोका जा रहा है। इतने से भी संतोष नहीं होता तो आपातकाल लग जाने या फिर तानाशाही कायम हो जाने का शोर मचाया जाने लगता है।
इन दिनों ऐसा ही हो रहा है। हैरत नहीं कि हंगामा करके संसद न चलने देने वाले सांसद यह मानकर चल रहे हों कि वे अपने उद्देश्य में सफल हैं। बड़ी बात नहीं कि उनके नेताओं की ओर से उन्हें शाबाशी भी मिल रही हो। चूंकि राजनीतिक दल संसद में हंगामा करने को एक तरह की उपलब्धि मानने लगे हैं, इसलिए संसदीय कार्यवाही का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यदि इस गिरावट को रोका नहीं गया तो ऐसी भी स्थिति बन सकती है कि संसद के चलने या न चलने का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। क्या यह किसी से छिपा है कि प्रत्येक संसद सत्र के पहले होने वाली सर्वदलीय बैठकें निरर्थक ही साबित हो रही हैं। कोई भी राजनीतिक दल इस तरह की बैठक को गंभीरता से नहीं ले रहा है। यह तथ्य सही है कि अगर देश के राजनीतिक नेताओं, पत्रकारों की जासूसी हुई है तो उसकी जांच होनी चाहिए। इस बात की तह तक जाना चाहिए कि ऐसा किसने और किसके कहने पर किया। इसके पीछे उद्देश्य क्या था, लेकिन संसद में हंगामा करने से तो कुछ हासिल नहीं होने वाला। हालांकि केंद्र ने साफ कर दिया है कि सरकार ने किसी के भी फोन की जासूसी नहीं करवाई है।
इसके बावजूद इसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि सत्तापक्ष अपनी बात को सही तरह रेखांकित नहीं कर सका। इसका लाभ उठाकर विपक्ष लगातार माहौल बनाने में जुटा है। सत्तापक्ष को भी चाहिए कि सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर उन्हें संतुष्ट करे ताकि संसद में लगातार हो रहे हंगामे को खत्म किया जा सके। संसद को लोकतंत्र के मंदिर की संज्ञा दी गई है। हर छोटी-बड़ी बात पर देश की सबसे बड़ी पंचायत में हो-हल्ला होना न तो लोकतंत्र के लिए अच्छा है और न ही देश के लिए। जब भी संसद का सत्र शुरू होता है पूरे देश की निगाहें हमारे सांसदों पर होती है। देशवासी उम्मीद करते हैं कि संसद में सार्थक बहस होगी। देश के विकास और देशवासियों की उन्नति के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे। जब सदन में बहस न होकर हो-हल्ला होता है तो हर देशवासियों को मायूसी होती है। देश का पैसा बर्बाद होता है सो अलग। ऐसे में जरूरी है कि सदन निर्बाध चले। यह इसलिए भी जरूरी है कि पूरी दुनिया कोरोना से त्रस्त है। हमारी अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है, बेकारी चरम पर है। इन सबके बाद भी महामारी की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे हालात में देश की सबसे बड़ी पंचायत में कुछ सार्थक न होकर बेकार का शोरगुल हो तो देशवासियों पर क्या बीतेगी। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष इस बात का ध्यान रखें कि संसद में देशहित में फैसले हों न कि उसे राजनीति का अखाड़ा बना दिया जाए।
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