नवसामंतवादी दलों की गिरफ्त में बिलखते लोकतंत्र को बचाना होगा - अरविन्द सिसौदिया

 

 

Arvind S Sisodia (@ArvindSSisodia) / Twitter 

- लेखक - अरविन्द सिसौदिया, कोटा 9414180151

 कांग्रेस में स्थापना के बाद से ही , कांग्रेस के ज्यादातर राष्ट्रीय अध्यक्ष एक या दो वर्ष के लिये होते थे और बदलते हुये बनाये जाते थे। महात्मा गांधी ने कांग्रेस में प्रवेश के बाद अपनी स्थिती सुपर अध्यक्ष की करली थी उनके ही द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होता था । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना था, जिसे हटवा कर ही महात्मा गांधी ने दम लिया, फलतः नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस और देश छोडना ही पडा । इसी तरह कांग्रेस की राज्य इकाईयों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना था और महात्मा गांधी ने टंगडी अडाई और पं0 जवाहरलाल नेहरू को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया , जिससे वे भारत के प्रधानमंत्री बनें।

कांग्रेस में अपनी पशंद को थोपने की पुरानी परम्परा रही है। स्वतंत्रता के बाद भी यही हुआ । कांग्रेस की परम्परा का प्रभाव भारतीय लोकतंत्र पर यह हुआ कि अधिकांश नवगठित राजनैतिक दल वंशवादी हो गये। जिस वंशवाद को कांग्रेस सामंतवाद कहते हुये नहीं थकती थी वही स्वंय सबसे बडे सामन्तशाही और तानाशाही का उदाहरण बन गये और उसकी देखा - देख बहुत सारे दल नवसामंतवादी दल बन गये है। देश की असली समस्या राजकुमारों का नवसामंतवाद है जो देशहित को नजरअंदाज करके सत्ता,परिवारहित, संसाधनों की लूटपाट  और भ्रष्टाचार को प्राथमिकता देता है और इसी जोड तोड में देश, समाज और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आपराधिक कृत्यों तक से नहीं चूकता । जो कि लोकतंत्र की अवधारणा के ही विरूद्ध है।


नव सामंतशाही को हम व्यक्तिवाद ही मान सकते है। जिस व्यवस्था में , विचारधारा में “ राष्ट्र , आमजनता और संवैधानिक राजव्यवस्था ” बहुत छोटी हो जाये और दल का या दल के मुखिया का व्यवहार मनमाने तरीकों वाला, अनैतिकता को अपनानें वाला मध्ययुगीन राजतंत्र जैसा हो तो वह नव सामंतवाद ही कहलायेगा और इसी तरह के संदर्भ में लेना चाहिये।

 

आज हम भारत में विपक्ष के कई दलों और संगठनों के द्वारा जो कुछ मिथ्या और झूठ पर आधारित हुल्लडतंत्र देख रहे हे। वह लोकतंत्र नहीं है, बल्कि देशहित की बार - बार ली जा रही बलि है। इसका विरोध देश के जनमत के द्वारा होना चाहिये । बुराई को बुरा कहना ही पढ़ेगा । राजनैतिक दल के गठन का मतलब देश को बर्बाद करनें की स्वतंत्रता कतई नहीं है। नवसामंतवादी दलों की गिरफ्त में बिलखते लोकतंत्र को बचानें आगे आना ही होगा । - अरविन्द सिसौदिया, कोटा 9414180151


नवसामंतवादी दल....
*1- कांग्रेस* में नेहरू गांधी परिवार को
*2- सपा* में मुलायम परिवार को
*3- बसपा* में मायावती परिवार के भतीजे को
*4- RJD* में लालू परिवार को
*5- TMC* में ममता परिवार के भतीजे को
*6- शिवसेना* में ठाकरे परिवार को
*7- NCP* में पवार परिवार को
*8- JDS* में देवगौड़ा परिवार को
*9- TRS* में चंद्रशेखर राव परिवार को
*10- TDP* में चंद्रबाबू नायडू परिवार को
*11- अकालीदल* में बादल परिवार को
*12- NC* में फारूख अब्दुल्ला परिवार को
*13- PDP* में मुफ्ती परिवार को
*14- YSRCP* में राजशेखर रेड्डी परिवार को
*15-BJD* में बीजू पटनायक परिवार को
*16- LJP* में रामविलास पासवान ही सब कुछ थे निधन के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर भाई पशुपति कुमार पारस और बेटे चिराग पासवान के बीच तकरार चल रहा है।  13 जून को पशुपति नाथ पारस को लोकसभा में चिराग की जगह LJP का नेता चुन लिया गया। पार्टी के 6 सांसदों में से पांच ने उनके समर्थन में वोट दिया था। 


*17- JMM* में शिबू सोरेन परिवार को
*18- RLD* में अजीत सिंह परिवार को
*19- INLD में चौटाला परिवार को*
*20- DMK* में करूणानिधि परिवार को
                     और

 लोकतांत्रिक दल

* BJP लोकतांत्रिक प्रक्रिया से भारतीय जनता पार्टी  पूर्णतः लोकतांत्रिक  है , इनमें वंशवाद नहीं है यह कहा जा सकता है।  भारत माता' को पूजा जाता है |  यही कारण है *आज लोग भाजपा की विचारधारा से जुड़ते जा रहे है।*

* CPI / CPI - M  कुछ  जिनका अस्तित्व मात्र केरल में है को साम्यवादी प्रक्रिया से चलने वाले है। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी मार्क्सवादी प्रमुख है। ये विदेशी विचारधारा के साथ साथ चीन के पक्ष में झुकाव रखतीं हे। इसलिये इन्हे राष्ट्रहित चिन्तक नहीं माना जाता । इनमें वंशवाद नहीं है यह कहा जा सकता है। और

* समता पार्टी नितिश कुमार और आप पार्टी को आंशिकरूप से लांकतांत्रित माना जा सकता हे। क्यों कि इनमें व्यक्तिवाद सर्वोच्च है।  

BJP/ भा.ज.पा. में ...** 'लोकतांत्रिक को  
भारत माता' को पूजा जाता है *भाजपा ही पूर्ण रूप से   "लोकतांत्रिक पार्टी"  है*✔️
यही कारण है *आज लोग भाजपा की विचारधारा से जुड़ते जा रहे है।*

 

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व्यक्तिवाद सामंतशाही से भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध हुआ : डा. महेश चन्द्र शर्मा
Friday, 15 May, हिन्दुस्थान समाचार
-एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान उत्तर प्रदेश ने आयोजित किया ई- कार्यकर्ता प्रशिक्षण
अयोध्या,15 मई (हि. स.)। एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान उत्तर प्रदेश का ऑनलाइन कार्यकर्ता प्रशिक्षण में शुक्रवार को " एकात्म मानव दर्शन की शाश्वत व्याख्या" विषय पर कार्यकर्ताओं प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सांसद डा. महेश चन्द्र शर्मा ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि धर्म बनाम समाज, धर्म बनाम आइडियोलॉजी, गॉड नहीं इंसान, अध्यात्म नहीं भौतिकता आदि पर बहस पश्चिम में शुरू हुई।

डाक्टर शर्मा ने कहा कि राज्य व्यक्ति की आज़ादी में आने वाली बाधाओं की बाधा है। इसमें व्यक्ति वाद निकल कर आया, यह पोप शाही और सामंत शाही से भी अधिक खतरनाक सिद्ध हुआ। व्यक्तिवाद का झण्डा-अमेरिका, समाजवाद का झंडा-रूस लेकर चलता रहा । इसी दौरान भारत में भी स्वामी विवेकानंद, तिलक जैसे विचारक आये। दूसरी धारा-एन आई सी दादा भाई नौरोजी के रूप मरण हमें अंग्रेजी साम्राज्य नहीं अंग्रेजी राज्य चाहिये । बाद में दोनो धाराएं गांधी जी व नेहरू जी के रूप में मिल गयी।
प्रशिक्षण अभियान के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए प्रतिष्ठान के सह संयोजक ई. रवि तिवारी ने कहा कि आज सम्पूर्ण मानवता संकट के मुहाने पर खड़ी है। ऐसे कालखंड में मानवीय संवेदनाओं से युक्त एकात्मता के विराट स्वरूप को संजोये असंख्य कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। एकात्म मानव प्रतिष्ठान निरन्तर ऐसे कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया में निरत है।
शुक्रवार के सत्र में प्रतिष्ठान के प्रदेश संयोजक त्र्यंबक तिवारी (लखनऊ) ने प्रस्तावना रखी एवं प्रदेश समिति के सदस्य स्वामी धीरेन्द्र पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया। प्रतिष्ठान के सह संयोजक प्रोफेसर त्रिलोचन शर्मा मेरठ, काशी के क्षेत्रीय संयोजक बाक कृष्ण पाण्डेय, प्रशिक्षण प्रभारी डॉ उपेंद्र देव, कानपुर के संयोजक प्रवीण पाण्डेय, ब्रज के संयोजक अमितेश अमित, पश्चिम क्षेत्र के प्रभारी योगेंद्र शर्मा, डॉक्टर शिवा त्रिपाठी, डॉ मंजू बघेल, डॉक्टर स्वाति गर्ग, पत्रकार मनोज सिंह आदि विभिन्न जनपदों से लगभग सौ कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ पवन/उपेन्द्र

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