राज्यों ने ही तो कहा है कि : ऑक्सीजन के अभाव में किसी की मौत नहीं
- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
झूठ की भी इंतहा है है कि केन्द्र सरकार के मंत्री ने लिखित उत्तर में यही कहा है कि “ स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को बताया कि कोविड.19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी”
बहुत स्पष्ट है कि राज्यों ने कहा है कि ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है । इसे भारत सरकार के माथे कैसे मढ़ सकते हो। रहा प्रश्न सही गलत का तो राज्य सरकारों से प्रश्न किया जाना चाहिये कि उन्होने यह रिकार्ड क्यों नहीं रखा या क्यों केन्द्र सरकार से झुपाया ।
संसद में इस बात पर चर्चा होनी चाहिये कि राज्य सरकारों का गैर जिम्मेवार व्यवहार क्यों है और इसका क्या उपाय किया जाये।
क्यों कि पिछले कॉफी समय से कांग्रेस और कुछ गैर भाजपा दल एक टूलकिट विषेश के तहत काम कर रहे हैं और किसी भी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार और भारत सरकार कोनीचा दिखानें की कोशिशें होती रहती है। इस हेतु निरंतर झूठ का सहारा लिया जाता रहता हे।
सवाल और सवाल का जबाव बिलकुल सही हैं। सदन की कार्यवाहियों में इसी तरह से जबाव आते है। सकारात्मकता तो यह है कि सभी राज्य सरकारों के जबावों पर या घटनाओं को सदन के सामनें लाया जाये। मगर सदन को भी नहीं चलनें देनें की भी नौटंकी हो रही है। हर समय गैर जिम्मेवार राजनीती से जनता भी ऊब चुकी है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
केजरीवाल और राहुल गांधी हाइकोर्ट में कुछ कहते हैं और टीवी-सोशल मीडिया पर कुछ और. किसी भी राज्य सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत की बात स्वीकार नहीं की है.
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चाहे महामारी हो या फिर वैक्सीन का विषय हो, हर विषय में झूठ बोलने, भ्रम फैलाने और लोगों को बरगलाने का काम राहुल गांधी जी ने एक ट्विटर ट्रोल के रूप में किया है।
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किसी भी राज्य ने नहीं कहा कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। इस मुद्दे पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल का दोहरा रवैया सामने आया है।
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केंद्रीय मंत्री ने कल सदन में जो बातें रखी थी, वह राज्यों से आई रिपोर्ट के आधार पर थी। केंद्र डेटा जनरेट नहीं करता है। राज्यों के आंकड़ों के आधार पर सरकार ने सदन में यह बात कही। विपक्ष बेवजह इस मामले पर राजनीति कर रहा है। विपक्ष में संवेदनशीलता की भारी कमी है।
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सदन में कल ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत पर जो सवाल पूछा गया था, इस पर उत्तर जो दिया, उस पर तीन चीजें ध्यान देने योग्य हैं.
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पहला, स्वास्थ्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का विषय है। दूसरा, केंद्र राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे डेटा को संग्रहित करती है और तीसरा, केंद्र ने एक गाइडलाइन जारी किया है, जिसके आधार पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने मौत के आंकड़ों को रिपोर्ट कर सकें।
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किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मृत्यु पर कोई आंकड़ा नहीं भेजा। किसी ने ये नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई है। इसलिए इसके आंकड़े नहीं हैं. क्या ये डेटा केंद्र ने बनाया? नहीं, ये डेटा राज्यों ने भेजा है.
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अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बताएं कि क्या दिल्ली की सरकार ने केंद्र को जो आंकड़े दिए हैं, उसमें से एक भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है?
दिल्ली सरकार की समिति ने उच्च न्यायालय को बताया था कि इस बात को साबित करने के कोई सबूत नहीं हैं कि 23 और 24 अप्रैल की रात जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से करीब 21 लोगों की मौत हुई।
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महाराष्ट्र सरकार ने भी मुंबई उच्च न्यायालय से कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई और छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकार है, वो खुद कह रही है कि हमारे राज्य में एक भी मृत्यु ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई है।
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राहुल गाँधी को ट्विटर पर ‘‘झूठ बोलने’’ के बजाए उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करनी चाहिए, जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में है।
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विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट के कारण मरीजों की मौत का मामला उठाया था, क्योंकि वे मोदी सरकार को निशाना बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अदालतों के समक्ष अपने अभिवेदन में अलग रुख अपनाया। इससे पता चलता है कि विपक्ष केवल पूरे मामले पर राजनीति करना चाहते हैं।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और केंद्र सरकार द्वारा कल सदन में ऑक्सीनजन की कमी से मौत नहीं होने वाले वक्तव्य पर विपक्ष द्वारा लगाये जा रहे आरोपों को निराधार बताते हुए उनपर जमकर निशाना साधा.
डॉ संबित पात्रा ने उपरोक्त मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल और राहुल गांधी हाइकोर्ट में कुछ कहते हैं और टीवी-सोशल मीडिया पर कुछ और. किसी भी राज्य सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत की बात स्वीकार नहीं की है.
डॉ पात्रा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि चाहे महामारी हो या फिर वैक्सीन का विषय हो, हर विषय में झूठ बोलने, भ्रम फैलाने और लोगों को बरगलाने का काम राहुल गांधी जी ने एक ट्विटर ट्रोल के रूप में किया है। किसी भी राज्य ने नहीं कहा कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। इस मुद्दे पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल का दोहरा रवैया सामने आया है। संबित पात्रा ने शिवसेना नेता संजय राउत पर भी तंज कसते हुए कहा कि संजय राउत झूठ का सहारा लेकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।
संबित पात्रा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने कल सदन में जो बातें रखी थी, वह राज्यों से आई रिपोर्ट के आधार पर थी। केंद्र डेटा जनरेट नहीं करता है। राज्यों के आंकड़ों के आधार पर सरकार ने सदन में यह बात कही। विपक्ष बेवजह इस मामले पर राजनीति कर रहा है। विपक्ष में संवेदनशीलता की भारी कमी है।
डॉ पात्रा ने कहा कि सदन में कल ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत पर जो सवाल पूछा गया था, इस पर उत्तर जो दिया, उस पर तीन चीजें ध्यान देने योग्य हैं. पहला, स्वास्थ्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का विषय है। दूसरा, केंद्र राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे डेटा को संग्रहित करती है और तीसरा, केंद्र ने एक गाइडलाइन जारी किया है, जिसके आधार पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने मौत के आंकड़ों को रिपोर्ट कर सकें। किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मृत्यु पर कोई आंकड़ा नहीं भेजा। किसी ने ये नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई है। इसलिए इसके आंकड़े नहीं हैं. क्या ये डेटा केंद्र ने बनाया? नहीं, ये डेटा राज्यों ने भेजा है.
डॉ पात्रा ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कोरोना काल के दौरान झूठ बोला. हालांकि, उनका झूठ समय रहते पकड़ा गया. उन्होंने आम आदमी पार्टी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बताएं कि क्या दिल्ली की सरकार ने केंद्र को जो आंकड़े दिए हैं, उसमें से एक भी मरीज की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है? दिल्ली सरकार की समिति ने उच्च न्यायालय को बताया था कि इस बात को साबित करने के कोई सबूत नहीं है कि 23 और 24 अप्रैल की रात जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से करीब 21 लोगों की मौत हुई।
डॉ पात्रा ने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने भी मुंबई उच्च न्यायालय से कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई और छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस की सरकार है वो खुद कह रही है कि हमारे राज्य में एक भी मृत्यु ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई है। डॉ पात्रा ने राहुल गाँधी को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें ट्विटर पर ‘‘झूठ बोलने’’ के बजाए उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करनी चाहिए, जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में है।
डॉ पात्रा ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने दूसरी लहर में ऑक्सीजन संकट के कारण मरीजों की मौत का मामला उठाया था, क्योंकि वे मोदी सरकार को निशाना बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अदालतों के समक्ष अपने अभिवेदन में अलग रुख अपनाया। इससे पता चलता है कि विपक्ष केवल पूरे मामले पर राजनीति करना चाहते हैं।
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कोरोना काल के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी से नहीं गई एक मरीज़ की भी जान, राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय का बयान
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है.
By: एबीपी न्यूज़ | 20 Jul 2021
कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक भी मौत नहीं हुई. ये बयान केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में मंगलवार को दिया गया. राज्यसभा में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा कि गया कि स्वासथ्य राज्य सरकार का विषय है. सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की तरफ से कोरोना केस और मौत के आंकड़े नियमित तौर पर विस्तृत गाइडलाइन्स के अनुसार मुहैया कराए जाते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि किसी भी राज्य या फिर केन्द्र शासित प्रदेश ने यह नहीं बताया कि कोई भी मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने मंगलवार को बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है. उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
उन्होंने यह भी बताया ‘‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी. महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई.’’
उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है. पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं. उन्होंने बताया ‘‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं.’’
उन्होंने कहा ‘‘इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं. बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है.’’
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