भारत और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को अस्थिर करने षडयंत्र
राहुल गांधी वही व्यक्ति हैं जो चीन से व्यक्तिगत सम्बंध रखते हैं। उनकी पार्टी के बडे नेता गण पाकिस्तान जा कर नरेन्द्र मोदी सरकार हटाने में सहयोग मांगते हे। निरंतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के विरूद्ध अस्थिरता उत्पन्न करनें के झूठ के जर्ये षडयंत्र रचते रहते हे। विदेशी मीडिया ने सोनिया गांधी को ब्रिटेन की महारानी से ज्यादा सम्पन्न बताया था । अब यह प्रतीत होनें लगा है, संदेह होने लगा है कि तथाकथित उसी अकूत सम्पन्नता के बल पर ये भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को अस्थिर करने में षडयंत्ररत है।
- अरविन्द सिसौदिया 9414180151
प्रथम तो एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था है जो अपना उद्देश्य “मानवीय मूल्यों, एवं मानवीय स्वतंत्रता, को बचाने एवं भेदभाव मिटाने के लिए शोध एवं प्रतिरोध करने एवं हर तरह के मानवाधिकारों के लिए लडना“ बताती है। किन्तु इस पर कुछ देशों के प्रति पूर्वाग्रह ग्रस्त रहनें के आरोप भी लगते रहे है। इनका कोई जबावदेह तंत्र नहीं हे। उन्होंने शुरू से ही बहुत स्पष्ट भाषा में साफ कर दिया कि यह एनएसओ की
लिस्ट ग्राहकों के हितों में है।' सीधे तौर पर इसका मतलब उन लोगों से है,
जो एनएसओ ग्राहक हो सकते हैं और जिन्हें जासूसी करना पसंद है।
जासूसी कांड: एमनेस्टी ने अब कहा- हमने कभी यह दावा नहीं किया कि सामने आए नाम पेगासस की लिस्ट में थे
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन Published by: दीप्ति मिश्रा Updated Thu, 22 Jul 2021
सार
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने उस दावे पर स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा था कि एनएसओ के फोन रिकॉर्ड का सबूत उनके हाथ लगा है, जिसे उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के कई मीडिया संगठनों के साथ साझा किया।
विस्तार
द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की संयुक्त जांच में किए गए दावे के बाद पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी कराए जाने के जिन्न ने भारत की सियासत में बवाल मचा दिया। इस बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने उस दावे पर स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा था कि एनएसओ के फोन रिकॉर्ड का सबूत उनके हाथ लगा है, जिसे उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के कई मीडिया संगठनों के साथ साझा किया।
इस्राइली मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अब कहा है, ''उसने कभी ये दावा किया ही नहीं कि यह सूची एनएसओ से संबंधित थी। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कभी भी इस लिस्ट को 'एनएसओ पेगासस स्पाईवेयर सूची’ के तौर पर प्रस्तुत नहीं किया है। विश्व के कुछ मीडिया संस्थानों ने ऐसा किया होगा। यह लिस्ट कंपनी के ग्राहकों के हितों की सूचक है।''
एमनेस्टी ने कहा कि सूची में वो लोग शामिल हैं, जिनकी जासूसी करने में एनएसओ के ग्राहक रुचि रखते हैं। न कि उन लोगों की, जिनकी जासूसी की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, एमनेस्टी ने कहा कि जिन खोजी पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स के साथ वे कार्य करते हैं, उन्होंने शुरू से ही बहुत स्पष्ट भाषा में साफ कर दिया कि यह एनएसओ की लिस्ट ग्राहकों के हितों में है।' सीधे तौर पर इसका मतलब उन लोगों से है, जो एनएसओ ग्राहक हो सकते हैं और जिन्हें जासूसी करना पसंद है।
Amnesty says it never claimed list was NSO: "Amnesty International has never presented this list as a 'NSO Pegasus Spyware List', although some of the world's media may have done so..list indicative of the interests of the company's clients" https://t.co/51U72HI9yF
h/t @ersincmt
— Kim Zetter (@KimZetter) July 21, 2021
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पेगासस जासूसी मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल के यूटर्न लेने के बाद सोशल मीडिया पर हो रही है किरकिरी, यूजर्स लगा रहे हैं लताड़
July 22, 2021
पेगासस जासूसी कांड पर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यू टर्न लेते हुए अपनी लिस्ट से खुद को अलग कर लिया है। एमनेस्टी ने बयान जारी कर कहा कि 50,000 फोन नंबरों की सूची पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर बनाने वाली एनएसओ से सीधे संबंधित नहीं है। एमनेस्टी ने साफ कहा है कि हमने ये कभी नहीं कहा कि जिन नम्बरों की लिस्ट उसने जारी की है, उनकी जासूसी हुई है। साफ है कि जासूसी विवाद में जिस एमनेस्टी की लिस्ट लहराई जा रही थी, अब वही एमनेस्टी कह रही है कि ये जिनकी जासूसी हुई उनकी लिस्ट है ही नहीं, बल्कि उनकी लिस्ट है जिनकी जासूसी कराने में दिलचस्पी हो सकती है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की किरकिरी हो रही है। देश विरोधी गरिविधि के लिए यूजर्स एमनेस्टी को लताड़ लगा रहे हैं…
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संदीप देव #SandeepDeo @sdeo76
1) आप मेरा दो दिन पुराना #pegasus पर पहला वीडियो लिंक देखिए। मैंने कहा था कि जैसे मार्केटिंग और बैंक कॉलरों के पास लोगों के मोबाइल नं की सूची होती है, वैसी ही सूची एमनेस्टी ने फ्रांस के फॉरबिडन स्टोरी को उपलब्ध कराई और उसने अपने भारतीय एजेंट द वायर को उपलब्ध करा दिया।
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मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश का भंडाफोड़, पेगासस जासूसी मामले में एमनेस्टी ने झाड़ा पल्ला
July 22, 2021
संसद सत्र से पहले मोदी सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश का भंडाफोड़ हो गया है। पेगासस स्पाईवेयर के जरिए नेताओं, नौकरशाहों और पत्रकारों के फोन की जासूसी का मामला फर्जी निकला है। इस पूरे मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। इजरायली मीडिया कैलकलिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने साफ कहा है कि उसने कभी भी यह दावा नहीं किया कि यह लिस्ट एनएसओ से संबंधित थी। रिपोर्ट के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कभी भी इस सूची को ‘एनएसओ पेगासस स्पाइवेयर सूची’ के रूप में पेश नहीं किया है। दुनिया के कुछ मीडिया ने ऐसा किया होगा।
पत्रकार किम जेटटर के अनुसार एमनेस्टी का कहना है कि उसने मीडिया संस्थानों से साफ तौर पर कहा था कि ये ऐसे फोन नंबर हैं, जिनकी जासूसी इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने वाले देश कर सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि जासूसी की ही गई। एमनेस्टी का कहना है कि उन्होंने शुरू में ही साफ कर दिया था कि सूची में ऐसे लोग शामिल हैं, जिनकी एनएसओ के क्लाइंट आमतौर पर जासूसी करने में रुचि रखते हैं, न कि वो लोग जिन पर जासूसी की गई। साफ है कि जासूसी किए जाने का कोई सबूत नहीं मिला है और कुछ प्रोपेगेंडा मीडिया संस्थानों ने मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले सारा झमेला खड़ा कर दिया।
ऑपइंडिया के अनुसार इसके पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया था कि दुनिया भर के कई मोबाइल उपकरणों का फॉरेंसिक विश्लेषण करने पर पाया गया कि एनएसओ ग्रुप ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों के साथ कई बड़े लोगों की गैरकानूनी तरीके से जासूसी की है। इसने इस क्रम में 10 देशों के 80 से ज्यादा पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन टैपिंग का फॉरेंसिक विश्लेषण का दावा किया था। लिस्ट में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों सहित 14 वर्तमान या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम होने का दावा किया गया। साथ ही पेरिस स्थित एनजीओ फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से 1,000 से ज्यादा ऐसे व्यक्तियों की पहचान की, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित
निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना।
एमनेस्टी का ताजा बयान एनएसओ के उस बयान के बाद आया है जिसमें उसने साफ कहा था कि जिन नंबरों की सूची बताकर कहा जा रहा है कि उनकी जासूसी करने के लिए पेगासस का इस्तेमाल हुआ, वह वास्तविक में उनकी न है और न कभी थी। ‘फॉरबिडन स्टोरीज’ ने जो 50 हजार नंबरों का डेटा हासिल किया है, वो उनका है ही नहीं। एनएसओ ने साफ कहा कि इस लिस्ट में शामिल नामों को लेकर जो कहा जा रहा है वह बिलकुल झूठ और फर्जी है। एनडीटीवी के साथ बातचीत में भी एनएसओ ने इससे इनकार किया था।
इसके पहले केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी संसद में कहा था कि मीडिया में यह खबर संसद के मानसून सत्र के प्रारंभ होने से एक दिन पहले आई है। यह महज संयोग नहीं हो सकता। पहले भी इसी प्रकार से पेगासस स्पाईवेयर के व्हाट्सअप पर दुरुपयोग के दावे किए गए थे। इन दावों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सर्वोच्च न्यायालय सहित सभी जगह संबंधित पक्षों ने उन्हें खारिज कर दिया था। 18 जुलाई 2021 को मीडिया में इस संबंध में छपी खबरें भारत के लोकतंत्र और इसकी मजबूत संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से प्रकाशित की गई हैं।
उन्होंने संसद में अपने बयान में कहा कि इस खबर का आधार एक समूह है जिसने कथित तौर पर 50 हजार फोन नंबरों के लीक किए गए डेटा बेस को प्राप्त किया। आरोप यह है कि इन फोन नंबरों से संबंधित व्यक्तियों पर निगरानी रखी जा रही थी। लेकिन रिपोर्ट यह कहती है कि डेटा बेस में फोन नंबर मिलने से यह सिद्ध नहीं होता है कि फोन पेगासस स्पाईवेयर से प्रभावित था या उस पर कोई साइबर हमला किया गया था। किसी भी फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बगैर यह कह पाना कि उस पर किसी साइबर हमले का प्रयास सफल हुआ या नहीं, उचित नहीं होगा। इसलिए, यह रिपोर्ट स्वत: कहती है कि डेटा बेस में फोन नंबर का मिलना किसी प्रकार की निगरानी को सिद्ध नहीं करता है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एनएसओ ग्रुप यह मानता है कि डेटा का निगरानी के लिए उपयोग होने की बात का कोई आधार नहीं है। एनएसओ ने यह भी कहा है कि जिन देशों के नाम सूची में पेगासस के उपभोक्ता के रूप में दिखाए गए हैं, वे भी गलत हैं और इनमें से कई देश उनके उपभोक्ता नहीं हैं। यह भी कहा गया है कि इसके अधिकतर उपभोक्ता पश्चिमी देश हैं। यह स्पष्ट है कि एनएसओ ने इस खबर में छपे दावों का खंडन किया है।
साफ है कि सिर्फ मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए 16 मीडिया संस्थानों ने फर्जीवाड़ा किया और सनसनी फैलाने के लिए अपनी खबरों में बढ़ा-चढ़ाकर दावा किया कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर के जरिए फोन कॉल्स की जासूसी की गई।
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फोन टैपिंग के पाप से रंगे है कांग्रेस के हाथ, नेहरू से लेकर मनमोहन तक के शासनकाल में की गई विपक्षी नेताओं की जासूसी, सुभाष चंद्र बोस को भी नहीं बख्शा
July 20, 2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में अपनी नई और मजबूत साख बनाई है। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से कांग्रेस और देश विरोधी ताकतें परेशान हैं। क्योंकि उनका अस्तित्व अब खतरे में दिखाई दे रहा है। इसलिए कांग्रेस एक खास एजेंडे और साजिश के तहत मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। लेकिन कांग्रेस का इतिहास ही विरोधियों के खिलाफ साजिश करने, जासूसी करने और सरकार गिराने का रहा है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने करीब दो दशकों तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदारों की जासूसी करवाई थी। 2015 में गुप्त सूची से हटाई गईं इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की दो फाइलों से खुलासा हुआ कि 1948 से 1968 के बीच सुभाष चंद्र बोस के परिवार पर अभूतपूर्व निगरानी रखी गई थी।
फोन टैपिंग की शुरूआत भी जवाहरलाल नेहरू के जमाने में ही हो गई थी। उस समय यह आरोप खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने लगाए थे। इसी तरह आपाताकल के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी की गई और उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में आपातकाल की 20वीं वर्षगांठ पर 25 जून, 1975 के अटलबिहारी वाजपेयी के एक वक्तव्य का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी पर चन्द्रशेखर सहित कुछ नेताओं और पत्रकारों के फोन टैप किए जाने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी पर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का फोन टैप करने का आरोप लगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में सारे नियमों को ताक पर रखकर फोन टैपिंग के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए गए। 2013 में दायर एक आरटीआई के जवाब से पता चला कि केंद्र की यूपीए सरकार 9,000 फोन और 500 ईमेल अकाउंट्स की बारीकी से निगरानी कर रही थी । यहां तक कि मनमोहन सरकार ने तो अपनों तक को नहीं बख्शा।
कांग्रेस का फोन टैपिंग और जासूसी का काला इतिहास
सेना प्रमुख जनरल केएस थिमाया ने 1959 में अपने और आर्मी ऑफिस के फोन टैप होने का आरोप लगाया था।
नेहरू सरकार के मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में फोन टैप होने का आरोप लगाया था।
लालकृष्ण आडवाणी ने इंदिरा गांधी सरकार पर आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं का फोन टेप करने का आरोप लगाया।
ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति रहते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर राष्ट्रपति भवन के फोन टैप करने का आरोप लगाया था।
अमर सिंह ने 2006 में दावा किया था कि इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) उनका फोन टैप कर रही है।
अक्टूबर 2007 में सरकार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फोन भी टेप करवाए।
2008 में सीपीएम नेता प्रकाश करात ने अपना फोन टेप करने का आरोप लगाया था।
2009 में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के बीच एक बातचीत टेप की गई थी।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वित्तमंत्री रहते हुए उस वक्त के गृहमंत्री चिदम्बरम के खिलाफ जासूसी का आरोप लगाया था।
22 मई, 2011 को यूपीए सरकार ने सीबीडीटी को फोन टैपिंग जारी रखने का आदेश दिया।
23 जून 2011 को सीबीईसी के चेयरमैन एस. दत्त ने डीआरआई पर अपने फोन टैप करने का आरोप लगाया।
6 फरवरी, 2013 को एसपी लीडर अमर सिंह ने यूपीए पर फोन टैप करने का आरोप लगाया।
फरवरी 2013 में अरुण जेटली ने अपना फोन टैप करने का आरोप लगाया था। इस मामले में करीब दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
13 जून, 2021 को बीजेपी ने राजस्थान की गहलोत सरकार पर फोन टैप करने का आरोप लगाया।
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भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
पेगासस जासूसी की झूठी और मनगढ़ंत कहानी के जरिये केंद्र सरकार के खिलाफ फेक नैरेटिव बनाने की कोशिश की जा रही है। आज इजरायली मीडिया की रिपोर्ट और एमनेस्टी इंटरनेशनल के यू-टर्न से यह स्पष्ट हो गया है कि पेगासस जासूसी वाली कहानी एकदम फेक है।
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ऐसा प्रतीत होता है कि येलो पेज पर एक लिस्ट बना ली गई है और उसी के आधार पर संसद को बाधित किया जा रहा है। एमनेस्टी ने पहले ही इस लिस्ट से पल्ला झाड़ा लिया है और इजरायली कंपनी NSO ने भी अपनी बात स्पष्ट तरीके रख दिया है। ऐसे में इसके जरिए सिर्फ और सिर्फ भारत को बदनाम किया जा रहा है और लोकतंत्र के तमाम स्तंभो को बर्बाद करने की कवायद हो रही है।
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आज सदन में टीएमसी सांसदों ने जवाब देते वक्त केंद्रीय आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी के हाथ से पन्ने छीन लिए और उसे फाड़ दिया। देश के लोकतंत्र का यह एक शर्मनाक पल है। इस तरह का व्यवहार हमारे लोकतंत्र ने पहले कभी नहीं देखा है।
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लोकतंत्र के मंदिर संसद में तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के सदस्यों की हरकत शर्मनाक है। किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि विपक्ष के नेता इतने नीचे गिर जाएंगे कि वे देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले काम करेंगे। पेगासस जासूसी मामला फेक न्यूज है।
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हमने पहले भी देखा कि जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी संसद में नए मंत्रियों का परिचय दे रहे थे तो विपक्ष ने किस तरह सदन को शर्मसार किया था। इस दुर्व्यवहार की जितनी भी निंदा की जाय, कम है। भारतीय जनता पार्टी, टीएमसी एवं विपक्षी पार्टियों के कुकृत्य की कड़ी निंदा करती है।
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केंद्रीय आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने संसद में दो-दो बार पेगासस की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट कहा है कि भारत सरकार अपने लोगों के डाटा प्रोटेक्शन को लेकर संवेदनशील है और किसी भी कीमत पर उसके साथ समझौता नहीं किया जाएगा।
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पेगासस विवाद के जरिए विपक्ष द्वारा जनता के मुद्दों को नजरअंदाज करने का प्रयास किया जा रहा है।
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राहुल गाँधी सहित विपक्ष के नेता सरकार पर आये दिन अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं और सरकार से जवाब माँगते हैं लेकिन जब सरकार की जवाब देने की बारी आती है तो विपक्ष संसद की कार्रवाई नहीं चलने देता।
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विपक्षी नेता हंगामा करते हैं, देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के वक्तव्य में व्यवधान खड़ा करते हैं, केंद्रीय मंत्री के हाथ से पेपर छीन कर फाड़ देते हैं। आखिर विपक्षी पार्टियां क्या छुपा रही हैं जो वे संसद की कार्रवाई को बाधित कर रही हैं?
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हम पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि जासूसी का इतिहास तो कांग्रेस पार्टी का रहा है, केंद्र की भाजपा सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मीडिया में यह खबर संसद के मानसून सत्र के प्रारंभ होने से एक दिन पहले आई। यह महज संयोग नहीं हो सकता।
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भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पेगासस के मामले में ताजा खुलासे और राज्य सभा में टीएमसी एवं कांग्रेस सांसदों के दुर्व्यवहार पर विपक्ष पर करारा प्रहार किया।
श्रीमती लेखी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर संसद में तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के सदस्यों की हरकत शर्मनाक है। किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि विपक्ष के नेता इतने नीचे गिर जाएंगे कि वे देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले काम करेंगे। पेगासस जासूसी मामला फेक न्यूज है। जानबूझ कर देश की छवि को खराब करने का प्रयास किया गया। ज्ञात हो कि आज सदन में टीएमसी सांसदों ने जवाब देते वक्त केंद्रीय आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी के हाथ से पन्ने छीन लिए और उसे फाड़ दिया। देश के लोकतंत्र का यह एक शर्मनाक पल है। इस तरह का व्यवहार हमारे लोकतंत्र ने पहले कभी नहीं देखा है। हमने पहले भी देखा कि जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी संसद में नए मंत्रियों का परिचय दे रहे थे तो विपक्ष ने किस तरह सदन को शर्मसार किया था। इस दुर्व्यवहार की जितनी भी निंदा की जाय, कम है। भारतीय जनता पार्टी टीएमसी एवं विपक्षी पार्टियों के इस कुकृत्य की कड़ी निंदा करती है।
पेगासस विवाद पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पेगासस जासूसी की झूठी और मनगढ़ंत कहानी के जरिये केंद्र सरकार के खिलाफ फेक नैरेटिव बनाने की कोशिश की जा रही है। आज इजरायली मीडिया की रिपोर्ट और एमनेस्टी इंटरनेशनल के यू-टर्न से यह स्पष्ट हो गया है कि पेगासस जासूसी वाली कहानी एकदम फेक है। ऐसा प्रतीत होता है कि येलो पेज पर एक लिस्ट बना ली गई है और उसी के आधार पर संसद को बाधित किया जा रहा है। एमनेस्टी ने पहले ही इस लिस्ट से पल्ला झाड़ा लिया है और इजरायली कंपनी NSO ने भी अपनी बात स्पष्ट तरीके रख दिया है। ऐसे में अब इस विरोध के जरिए सिर्फ और सिर्फ भारत को बदनाम किया जा रहा है और लोकतंत्र के तमाम स्तंभो को बर्बाद करने की कवायद हो रही है।
श्रीमती लेखी ने कहा कि कुछ प्रोपेगेंडा मीडिया संस्थानों ने श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले जान-बूझ कर सारा झमेला खड़ा कर दिया। सनसनी फैलाने के लिए खबरों में बढ़ा-चढ़ाकर कुछ नामचीन लोगों के नाम डाले गए और दावा किया गया कि इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर के जरिए फोन कॉल्स की जासूसी की गई। एक प्रतिष्ठित भारतीय न्यूज चैनल पर इजरायल के एक और पत्रकार ने भी कहा कि पेगासस और एमनेस्टी की रिपोर्ट पर कई ऐसी कहानियां चल रही हैं जो सही नहीं है।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि केंद्रीय आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने संसद में दो-दो बार पेगासस की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट कहा है कि भारत सरकार अपने लोगों के डाटा प्रोटेक्शन को लेकर संवेदनशील है और किसी भी कीमत पर उसके साथ समझौता नहीं किया जाएगा। उनकी तरफ से स्पष्ट कर दिया है कि पेगासस विवाद के जरिए जनता के मुद्दों को नजरअंदाज करने का प्रयास किया जा रहा है।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि राहुल गाँधी सहित विपक्ष सरकार पर आये दिन अनर्गल आरोप लगाता रहता है और सरकार से जवाब माँगता है लेकिन जब हमारी जवाब देने की बारी आती है तो विपक्ष संसद की कार्रवाई नहीं चलने देता। विपक्षी नेता हंगामा करते हैं, देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के वक्तव्य में व्यवधान खड़ा करते हैं, केंद्रीय मंत्री के हाथ से पेपर छीन कर फाड़ देते हैं। आखिर विपक्षी पार्टियां क्या छुपा रही हैं जो वे संसद की कार्रवाई को बाधित कर रही हैं? हम पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि जासूसी का इतिहास तो कांग्रेस पार्टी का रहा है, केंद्र की भाजपा सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। मीडिया में यह खबर संसद के मानसून सत्र के प्रारंभ होने से एक दिन पहले आई। यह महज संयोग नहीं हो सकता।
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