प्रधानमंत्री मोदी - “आपके विचार लाल किले की प्राचीर से गूंजेंगे।

 पीएम मोदी ने देश के युवाओं से कहा है कि आपके विचार लाल किले से गूजेंगे। 15 अगस्त को अपनेस्वतंत्रता दिवस भाषण के लिए विचारों और सुझावों का आह्वान करते हुए उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “आपके विचार लाल किले की प्राचीर से गूंजेंगे। ... Your thoughts will reverberate from the ramparts of the Red Fort

 

 Share Your Ideas and Suggestions for PM Shri Narendra Modi’s Independence Day Speech

 Share Your Ideas and Suggestions for PM Shri Narendra Modi’s Independence Day Speech


On 15th August every year, the Prime Minister speaks from the ramparts of the Red Fort and lays out the government's programmes and policies. Over the last few years, the Hon’ble Prime Minister has directly invited ideas and suggestions from citizens for the Independence Day Speech. Similarly, this year too the Prime Minister invites citizens to contribute their inputs for New India. So, now you have the opportunity to tell your ideas, give word to your suggestions and crystallize your vision. PM Narendra Modi will pick up some of the ideas in his speech on 15th August.

  

प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के लिए अपना इनपुट दें
जैसा कि भारत 15 अगस्त, 2021 को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयार है, यहां आपके लिए पीएम मोदी के संबोधन के लिए अपने मूल्यवान विचारों और सुझावों को साझा करके राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का अवसर है।

नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में अपना इनपुट शेयर करें। प्रधानमंत्री अपने संबोधन में उनमें से कुछ का उल्लेख कर सकते हैं।

आप अपने सुझावों को विशेष रूप से बनाए गए MyGov फोरम पर भी शेयर कर सकते हैं।

https://www.mygov.in

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 पूरे भारत में अनूठे समर्पण और अपार देशभक्ति की भावना के साथ स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है । तब देश का विभाजन हो रहा था तब भी आक्रमणकारी ताकतें मुस्लिम लीग के रूप में देश में उपद्रव मचा रहीं थीं । सीधी कार्यवाही जैसी हिंसा में देश के निर्दोष नागरिकों के प्राण लिये जा रहे थे।लाखों निर्दोष लोग विभाजन के कारण मौत के घाट उतार दिये गये, करोडों लोगों के घर छूटे, बेघर हो गये थे। जब कोई भी आक्रमणकारी ताकत गुलाम बनाती है। जो कष्ट पूरे देश को होता है। उस कष्ट के कारण मातृभूमि पीडित होती है। स्वतंत्रता दिवस पर सबसे बडा संकल्प यही है कि हम अब फिर कभी गुलामी को नहीं आनें देंगे। देश आजादी के 75 वे साल में प्रवेश करने जा रहा है। हमारी लोकतांत्रिक यात्रा विश्व में सबसे सफल लोकतंत्र के रूप में निरंतर चली आ रही है। निश्चित ही देश को इस पर गर्व है।

75 वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सम्बोधन हेतु भारत के नागरिकों के द्वारा सुझाव मांगे गये है। जिन्हे बहुत ही आसानी से उन्हे पुहंचाया जा सकता है। मन में कोई भी विचार प्रधानमंत्री जी, जो प्रधानसेवक है, उन्हे अवश्य ही प्रेषित करें

हमारा देश ही विश्व में एक मात्र वह देश है जो लाखों लाखों वर्ष की अपनी सभ्यता और संस्कृति जिसे हम सनातन संस्कृति कहते है को करोडों करोडों कुर्बानियां देकर भी अक्क्षुण्य रखते हुये नव युग में प्रवेश कर रहे है। गुलामी के अनकों दौर आये सबको उखाड फेंका और अपनी अदम्य आत्मशक्ति से पुनः उठ खडे हुये । अन्यथा विश्व की अनेकों पुरातन सभ्यताओं और संस्कृतियों की आकृति का दर्शन हमें मात्र इतिहास के पृष्ठों पर होते है।

यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम.ओ.निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर.ए.ज़माँ हमारा 

  पूरी दुनिया ने वैचारिक उन्मादों में देशों के असितत्व और लोगों की नृशंस हत्याओं को दौर देखा है। साम्यवाद लोकतंत्र का , स्वतंत्रता का सबसे बडा शत्रु है। आधी दुनिया पर राज्य स्थापित कर यह अपने ही शोषणकारी स्वरूप के कारण बहुत छोटा हो गया है। लगभग अस्विकृति हो गया है। किन्तु हमारे देश में मुखौटे दूसरे लगा कर यह अलग अलग स्वरूप में सामनें प्रगट हो रहा है। कुछ समय से राजनैतिक हित निहित इस स्वरूप की आराजकता प्रगट होती रही है। अच्छी और सच्ची बातों के विरूद्ध झूठ बोलना, भ्रम फैलाना और गलत बयानी की गुमराह करना साम्यवादी आक्रमणों की विशेषता रही है। वर्तमान में हमारे बीच यह समस्या राष्ट्रविरोधी ताकतों से मिल कर, साम्प्रदायिकता से गठ जोड कर पुनः सिर उठा रही है। इनके विरूद्ध सभी देशवासियों को सावधान रहना ही होगा । उनको विफल करने में राष्ट्रभक्त ताकतों को खुल कर सहयोग देना होगा ।

 "सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति वाशिंगटन का है। जे. एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है।

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 स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस दिन ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (नियति से वादा) नामक अपना प्रसिद्ध भाषण दिया:

कई सालों पहले, हमने नियति से एक वादा किया था, और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा। ऐसा क्षण आता है, मगर इतिहास में विरले ही आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल नए युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, जब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है। यह संयोग ही है कि इस पवित्र अवसर पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिए तथा सबसे बढ़कर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।... आज हम दुर्भाग्य के एक युग को समाप्त कर रहे हैं और भारत पुनः स्वयं को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो केवल एक क़दम है, नए अवसरों के खुलने का। इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना। इसका अर्थ है निर्धनता, अज्ञानता, और अवसर की असमानता मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि हर आँख से आंसू मिटे। संभवतः ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं, तब तक हमारा कार्य समाप्त नहीं होगा। आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र है। भविष्य हमें बुला रहा है। हमें कहाँ जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम निर्धनता मिटा, एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें। हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो प्रत्येक स्त्री-पुरुष के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं। 

— ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण के अंश, जवाहरलाल नेहरू
इस भाषण को 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है।

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