भारत विरोधी तत्वों के बीच गठजोड़ : कथित पेगासस जासूसी की झूठी रिपोर्ट
भारत के मान सम्मान और स्वाभिमान विश्व भर में प्रतिष्ठित कर रहे, प्रधानमंत्री मोदीजी के खिलाफ कांग्रेस का बड़ा अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है ..इस कथित जासूसी काण्ड में जो नाम बताये जा रहे हैं उनका कोई आाधार नहीं हे। इन्टरनेशनल मीडिया की टेबिल रिपोर्ट मात्र है।
Pegasus जासूसी कांड पर संसद में बोले नए IT मंत्री अश्विनी वैष्णव... गलत और आधारहीन हैं रिपोर्ट, लोकतंत्र की छवि खराब करने को फैलाई सनसनी
नए केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सर्विलांस के प्रोटोकॉल्स को गिनाते हुए कहा कि किसी तरह का अवैध सर्विलांस हमारे सिस्टम में संभव नहीं है.
पेगासस जासूसी के कथित दावे को लेकर आज संसद के मानसून सत्र में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा है कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी प्रकार की अवैध निगरानी संभव नहीं है. भारत में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. आईटी मंत्री ने कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनीखेज के पीछे कोई दम नहीं.
पेगासस स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फोन हैक होने की खबरों के बीच आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि कल रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित की गई. इस खबर के इर्द-गिर्द कई ओवर द टॉप आरोप लगाए गए. संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट सामने आई है, यह कोई संयोग नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि डेटा में फोन नंबर्स की मौजूदगी से हैक की पुष्टि नहीं होती.
आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डेटा से यह साबित नहीं होता कि सर्विलांस हुआ है. NSO ने भी कहा है कि रिपोर्ट गलत है और आधारहीन है. अश्विनी वैष्णव ने सर्विलांस के प्रोटोकॉल्स को गिनाते हुए कहा कि किसी तरह का अवैध सर्विलांस हमारे सिस्टम में संभव नहीं है. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आरोप है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है. भारत में इसके लिए एक अच्छी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध अवरोधन किया जाता है.
आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध अवरोधन के लिए अपील प्रासंगिक नियमों के मुताबिक की जाती है. अवरोधन के प्रत्येक मामले को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अप्रूव किया जाता है. उन्होंने कहा कि पहले भी पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे. उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था. 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है.
Pegasus मामले पर गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा बयान, क्रोनोलॉजी समझने की बात कहकर कही ये बड़ी बात
इस वाक्य को अक्सर लोग हल्के-फुल्के अंदाज में मेरे साथ जोड़ते रहे हैं, लेकिन आज मैं गंभीरता से कहना चाहता हूं- इस तथाकथित रिपोर्ट के लीक होने का समय और फिर संसद में ये व्यवधान…आप क्रोनोलोजी समझिये.
कथित पेगासस जासूसी मामले पर मचे सियासी घमासान के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि आज संसद के मानसून सत्र के घटनाक्रम को पूरे देश ने देखा. देश के लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले यानी रविवार को देर शाम एक रिपोर्ट आती है, जिसे कुछ वर्गों द्वारा केवल एक ही उद्देश्य के साथ फैलाया जाता है कि कैसे भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारा जाए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित महसूस कराया जाए. इसी क्रोनोलॉजी को समझने की जरूरत है.
अमित शाह ने कहा कि इस मानसून सत्र से देशवासियों की ढ़ेरों अपेक्षाएं और उम्मीदें जुडी हैं. देश के किसानों, युवाओं, महिलाओं और समाज के गरीब और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में सार्थक बहस और चर्चा के लिए तैयार हैं. कल सर्वदलीय बैठक और आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले भी प्रधानमंत्री मोदी जी ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार सदन में सभी विषयों पर चर्चा के लिए तैयार है.
गृहमंत्री शाह ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री जी द्वारा केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया, जिसमें देश के हर कोने से समाज के हर वर्ग विशेषकर महिलाओं, किसान, दलित और पिछड़े वर्ग से चुनकर आए सदस्यों को विशेष प्रतिनिधित्व दिया गया. लेकिन, कुछ ऐसी देश विरोधी ताकतें हैं जो मोदी जी द्वारा महिलाओं और समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग को दिए गए सम्मान को पचा नहीं पा रही हैं. ये वही लोग हैं जो निरंतर देश की प्रगति को बाधित करने का प्रयास करते रहते हैं.
गृहमंत्री ने आगे कहा कि ऐसे में सवाल उठता है कि ये लोग किसके इशारों पर भारत की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं? उन्हें बार-बार भारत को नीचा दिखाने में क्या खुशी मिलती है? अपना जनाधार और राजनीतिक महत्व खो चुकी कांग्रेस को इसमें कूदते देखना न तो अप्रत्याशित लगता है और ना ही आश्चर्यजनक. कांग्रेस के पास लोकतंत्र को कुचलने का अच्छा अनुभव है. लोकतंत्र और विकास की अवरोधक कांग्रेस खुद आंतरिक कलह से जूझ रही है इसलिए वो संसद में आने वाले किसी भी प्रगतिशील कार्य को पटरी से उतारने की हर सम्भव कोशिश कर रही है.
शाह ने कहा कि आज जब प्रधानमंत्री जी लोकसभा और राज्यसभा में अपने नये मंत्रिपरिषद का परिचय कराने के लिए उठे, जो संसद की एक पुरानी और समृद्ध परंपरा है. इस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं ने दोनों सदनों के वेल में आकर सदन की कार्यवाही को बाधित किया. क्या वो हमारे लोकतंत्र के मंदिर और उसकी गरिमा का ऐसे ही सामान करते हैं? यही व्यवहार उन्होंने तब भी जारी रखा जब सूचना एवं प्रसारण मंत्री इस मुद्दे पर बोलने के लिए आए.
अमित शाह ने कहा कि इस वाक्य को अक्सर लोग हल्के-फुल्के अंदाज में मेरे साथ जोड़ते रहे हैं, लेकिन आज मैं गंभीरता से कहना चाहता हूं- इस तथाकथित रिपोर्ट के लीक होने का समय और फिर संसद में ये व्यवधान…आप क्रोनोलोजी समझिये. यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालो की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंत में कहा कि कुछ विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करते हैं. ये अवरोधक भारत के वो राजनीतिक षड्यंत्रकारी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति कर आत्मनिर्भर बने. भारत की जनता इस क्रोनोलोजी और रिश्ते को बहुत अच्छे से समझती है. शाह ने देश की जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है और वो है ‘राष्ट्रीय कल्याण’. हम इसकी सिद्धि के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे चाहे कितनी भी बाधाएं आएं.
-----
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस कांफ्रेंस के मुख्य बिंदु
भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस द्वारा राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए लगाए गए तथ्यहीन, निराधार और बेबुनियाद टिप्पणियों का पुरजोर खंडन करते हुए निंदा करती है। यह कांग्रेस की एक नई किस्म की निम्नतम स्तर की राजनीति है जिसने 50 से अधिक वर्षों से भारत पर शासन किया है।
******************
यह पेगासस की फर्जी कहानी मानसून सत्र से ठीक पहले क्यों गढ़ी गई? क्या इसे मानसून सत्र से ठीक पहले लाना कुछ लोगों की पूर्व नियोजित रणनीति थी? जानबूझकर मानसून सत्र के समय सदन को बाधित करने और देश में बेबुनियाद एजेंडा खड़ा करने की कोशिशें की जा रही है और इसका कारण यह है कि कांग्रेस पार्टी अब सिमट रही है और हार रही है।
******************
इस फर्जी कहानी से भारत सरकार को जोड़ने वाले साक्ष्य का एक भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह फर्जी रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और इसकी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास प्रतीत होती है।
******************
क्या हम इस बात से इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी जैसी संस्थाओं का कई मायनों में भारत विरोधी घोषित एजेंडा रहा है? जब हमने उनसे कानून के अनुसार उनके विदेशी फंडिंग के बारे में पूछा तो वे भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया।
******************
इस रिपोर्ट में संदिग्ध लोगों के साथ सांठगांठ चलाने वाले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भी संलिप्तता है। यह शर्मनाक है कि कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे संगठनों की लाइन को तोते की तरह दुहरा रही हैं! यदि हमारे विपक्षी दल 'सुपारी' एजेंटों के रूप में शामिल हैं तो यह भारत के लिए एक नया निम्न स्तर है।
******************
2013 के एक आरटीआई जवाब से पता चला कि उस समय कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा हर महीने लगभग 9,000 फोन और 500 ईमेल खातों की निगरानी की जाती थी। यह भी सर्वविदित है कि हरियाणा के दो सिपाही राजीव गांधी जी के आस पास देखे गए तो उन्होंने केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार गिरा दी थी। यही कांग्रेस का चरित्र है।
******************
हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भी फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। ये आरोप कांग्रेस के ही विधायकों के द्वारा लगाए गए। लोगों की निजता और स्वतंत्रता के उल्लंघन के कांग्रेस के इतिहास के बारे में हर कोई जानता है।
******************
जिन लोगों ने कहानी गढ़ी है, उन्होंने भी यह दावा नहीं किया कि डेटाबेस में किसी विशेष मोबाइल नंबर की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि यह पेगासस से संक्रमित है।
******************
दुनिया भर में ऐसे कई संभावित डेटाबेस हो सकते हैं जिनमें लोगों के नंबर/नाम हों। जब तक कुछ भी सबूत प्रस्तुत नहीं किए जाते, ऐसे किसी भी डेटाबेस को सीधे भारत सरकार से कैसे जोड़ा जा सकता है?
******************
यहां तक कि इस डेटाबेस से कथित संभावित लीक के संबंध में, इस कहानी को गढ़ने वाले लोगों का भी यह मानना है कि डेटाबेस में एक फोन नंबर की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि उसे पेगासस से हैक करने का प्रयास किया गया या वह नंबर हैक हुआ।
******************
हमारे आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने आज संसद में इस तथ्य की भी पुष्टि की कि केंद्र के गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव की अनुमति से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार ही एक फोन का वैध इंटरसेप्शन किया जा सकता है।
******************
एनएसओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके ग्राहक ज्यादातर पश्चिमी देश हैं। तो इस मामले में भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे की कहानी क्या है? क्या है कहानी में ट्विस्ट?
******************
भारत में बह रही विकास की धारा 'कुछ ताकतों' के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखी जा रही है। यह सर्वविदित था कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। संसद सत्र को पटरी से उतारने की कोशिश में एक ख़ास समय पर एक समन्वित वैश्विक हमला होता है। क्या यह महज संयोग है? या यह वैश्विक ताकतों के गुलाम के बजाय आत्मनिर्भर बनने की चाहत रखने वाले भारत के खिलाफ एक बदला है?
******************
हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के तहत पिछले कुछ वर्षों में भारत के उत्थान ने कुछ अंतर्राष्ट्रीय गुटों और अंतर्राष्ट्रीय ताकतों को झकझोर दिया है। इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ लगातार और घृणित एजेंडा चलाया है।
******************
क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कथित तौर पर पेगासस का उपयोग 45 देश कर रहे हैं, लेकिन भारत जिसने पेगासस का उपयोग करने के आरोपों से इनकार किया है, उसे निशाना बनाया जा रहा है और बाकी देशों के बारे में कोई बात नहीं हो रही? या यह अकेले भारत को लक्षित करने के लिए एक और टूलकिट है? साफ है कि भारत को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश चल रही है।
******************
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री रविशंकर प्रसाद ने आज, सोमवार को पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कथित पेगासस जासूसी की झूठी रिपोर्टों पर कांग्रेस और एजेंडा संचालित कुछ एजेंसियों को जम कर फटकार लगाई। रिपोर्ट को निराधार बताते हुए, उन्होंने सभी आरोपों को सनसनीखेज बनाने का प्रयास करार दिया। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस द्वारा राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए लगाए गए तथ्यहीन, निराधार और बेबुनियाद टिप्पणियों का पुरजोर खंडन करते हुए निंदा करती है। यह उस पार्टी की एक नई किस्म की निम्नतम स्तर की राजनीति है जिसने 50 से अधिक वर्षों से भारत पर शासन किया है।
भाजपा नेता श्री रविशंकर प्रसाद ने कथित 'पेगासस प्रोजेक्ट' के बारे में मीडिया रिपोर्ट पर कहा कि अभी तक एक भी सबूत ऐसा नहीं है जो इस विवाद से केंद्र सरकार या भाजपा को जोड़ता हो। उन्होंने कहा कि यह स्पाइवेयर का एक डिजिटल मामला है, और कांग्रेस द्वारा लगाए गए इस तरह की आरोपों की पुष्टि के लिए डेटा प्रारूप में कम से कम कुछ ठोस सबूत प्रस्तुत किए जाने चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि कल हमने एक फ्रिंज न्यूज पोर्टल की सनसनीखेज रिपोर्ट देखी थी, जो फर्जी खबरें फैलाने के लिए बदनाम है। उन्होंने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री के संसद में दिए गए बयान का भी हवाला दिया कि हमारे आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने आज संसद में इस तथ्य की भी पुष्टि की कि केंद्र के गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव की अनुमति से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार ही एक फोन का वैध इंटरसेप्शन किया जा सकता है। यह महज एक संयोग नहीं हो सकता।
श्री प्रसाद ने कहा -
सबसे पहले इस फर्जी कहानी से भारत सरकार को जोड़ने वाले साक्ष्य का एक भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है।
दूसरा, दुनिया भर में कई संभावित डेटाबेस हो सकते हैं जिनमें लोगों की संख्या/नाम शामिल हैं। जब तक कुछ भी सबूत प्रस्तुत नहीं किए जाते, ऐसे किसी भी कथित डेटाबेस को सीधे भारत सरकार से कैसे जोड़ा जा सकता है?
तीसरा, यहां तक कि इस डेटाबेस से कथित संभावित लीक के संबंध में, इस कहानी को गढ़ने वाले लोगों का यह भी दावा है कि डेटाबेस में एक फोन नंबर की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि उसे पेगासस से हैक करने का प्रयास किया गया या वह नंबर हैक हुआ।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस रिपोर्ट गढ़ने वालों ने भी यह माना है कि यह नहीं कहा जा सकता कि प्रकाशित सूची में नंबर निगरानी में थे। यहां तक कि जिस कंपनी की तकनीक का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया था, उसने भी इन दावों का सिरे से खंडन किया है। और यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनधिकृत निगरानी न हो, हमारे देश में समय की जांच की गई प्रक्रियाएं अच्छी तरह से स्थापित हैं।
भारत विरोधी तत्वों के बीच गठजोड़ पर हमला करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि इस रिपोर्ट में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की संलिप्तता है जो इस रिपोर्ट में संदिग्ध लोगों के साथ एक गठजोड़ चलाते हैं। यह गठजोड़ लगातार भारत, उसके लोगों और उसके विकास के खिलाफ एजेंडा चलाता है। यह शर्मनाक है कि कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे संगठनों की लाइन को तोते की तरह दुहरा रही हैं! यदि हमारे विपक्षी दल 'सुपारी' एजेंटों के रूप में शामिल हैं तो यह भारत की राजनीति में एक नया निम्न स्तर है।
श्री प्रसाद ने एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी हमला करते हुए कहा कि "क्या हम इस बात से इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी जैसी संस्थाओं का कई मायनों में भारत विरोधी घोषित एजेंडा रहा है? जब हमने उनसे कानून के अनुसार उनके विदेशी फंडिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने भारत से बोरिया बिस्तर समेट लिया।" जिन लोगों ने कहानी को गढ़ा है, उन्होंने भी यह दावा नहीं किया कि डेटाबेस में किसी विशेष फोन नंबर की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि यह पेगासस से संक्रमित है। इन सभी तथ्यों को राष्ट्र के सामने प्रकट करना महत्वपूर्ण है। व्हाट्सएप ने विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि कंपनी प्रणाली के पेगासस द्वारा उसका डेटा हैक नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि स्पाइवेयर के इस्तेमाल के लिए सिर्फ भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है जबकि ऐसा कहा जा रहा है कि कथित तौर पर 45 देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, "पेगासस के निर्माता एनएसओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके ग्राहक ज्यादातर पश्चिमी देश हैं। तो इस मामले में भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे की कहानी क्या है? कहानी में क्या ट्विस्ट है?"
भारत में बह रही विकास की धारा 'कुछ ताकतों' के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखी जा रही है। यह सर्वविदित था कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। संसद सत्र को पटरी से उतारने की कोशिश में एक ख़ास समय पर एक समन्वित वैश्विक हमला होता है। क्या यह महज संयोग है? या यह वैश्विक ताकतों के गुलाम के बजाय आत्मनिर्भर बनने की चाहत रखने वाले भारत के खिलाफ एक बदला है? ऐसा लगता है कि कोविड को परास्त करता हुआ भारत कुछ विदेशी तत्वों के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है और कुछ भारतीय, भारत के विकास के एजेंडे को विचलित करने और बाधित करने में उनकी मदद कर रहे हैं। वे संसदीय कार्यवाही को बाधित करने के लिए कोई न कोई मुद्दा खड़ा करना चाहते हैं और इस पेगासस मुद्दे का पहले ही पटाक्षेप हो जाने के बावजूद, दुर्भावनापूर्ण इरादे से फिर से जगाने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत के उत्थान ने कुछ अंतरराष्ट्रीय गुटों और ताकतों को झकझोर दिया है। इन लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ एक निरंतर और घृणित एजेंडा चलाया है - कभी यह भारत की विविधता और बहुलवाद के बारे में होता है, कभी यह भारतीय समाज में दरार पैदा करने के बारे में होता है, कभी यह भारत में विकास परियोजनाओं को रोकने के बारे में होता है तो कभी यह इस पेगासस मामले की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल करने हेतु गैर-मुद्दों को उठाने के बारे में। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 45 देश कथित तौर पर पेगासस का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन भारत जिसने पेगासस का उपयोग करने के आरोपों से इनकार किया है, उसे निशाना बनाया जा रहा है। क्या बाकी सभी देश इससे ऊपर हैं? या यह अकेले भारत को लक्षित करने के लिए एक और टूलकिट है? साफ है कि भारत को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश चल रही है।
श्री प्रसाद ने कहा, 2019 में कांग्रेस पार्टी और कुछ लोगों ने यह आरोप लगाने की कोशिश की कि सरकार निगरानी करने के लिए पेगासस नामक स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रही है। जब उन्हें मुंह की कहानी पड़ी, तब ये उन्हीं बातों को फिर से वापस लेकर आये हैं क्योंकि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है और ये संसद में बहस से भागना चाहते हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, व्हाट्सएप ने इन आरोपों का खंडन किया था कि उसके डेटा को इजरायली स्पाइवेयर पेगासस द्वारा हैक किया जा सकता है। वहां व्हाट्सएप का प्रतिनिधित्व कपिल सिब्बल जी कर रहे थे। अब, अगर कुछ लोगों को सरकार या भाजपा पर भरोसा करने में समस्या है, तो वे कम से कम श्री सिब्बल पर भरोसा कर सकते हैं! कुछ राजनीतिक दलों और मीडिया के कुछ वर्गों को बदलाव के लिए यह देखना चाहिए कि क्या वे अपनी अतिसक्रिय कल्पना पर रिपोर्ट करने और खुद को शर्मिंदा करने के बजाय कुछ वास्तविक मुद्दों को ढूंढ सकते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि 2013 के एक आरटीआई जवाब से पता चला है कि उस समय कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा हर महीने लगभग 9,000 फोन और 500 ईमेल खातों की निगरानी की जाती थी। श्री चिदंबरम, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी को फटकार लगाई थी। यह भी सर्वविदित है कि हरियाणा के दो सिपाही राजीव गांधी जी के आस पास देखे गए तो उन्होंने केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार गिरा दी थी। यही कांग्रेस का चरित्र है। हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भी फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। ये आरोप कांग्रेस के ही विधायकों के द्वारा लगाए गए। लोगों की निजता और स्वतंत्रता के उल्लंघन के कांग्रेस के इतिहास के बारे में हर कोई जानता है।
----
Pegasus row: Assam CM demands ban on Amnesty International
ANI
20 July 2021,
Assam CM Himanta Biswa Sarma (ANI)
Guwahati (Assam) [India], July 20 (ANI): Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma on Tuesday lambasted Amnesty International and demanded a ban on the organisation over its role in the Pegasus surveillance controversy.
"We know the role of Amnesty. They're encouraging left-wing terrorism in India. This is a well-designed conspiracy to defame PM Modi, the Indian parliamentary system and is a deliberate attempt to create dissatisfaction. I condemn this malicious design," Sarma on 'Pegasus project'.
"I request the Government of India to ban the functioning of Amnesty International in the country. I feel the Congress party should join hands with Government in criticising Amnesty International. They can't defame our country like this all the time," said Sarma on Pegasus snooping controversy.
"They (some media outlets) said these (persons) are potential targets but can't confirm if their privacy was compromised. What kind of journalism is this? Amnesty International and certain other international groups are hell-bent to defame India's democracy and leadership," added Sarma.
"Various Left-wing organisations throughout the world, including Amnesty International, are part of the conspiracy," Sarma said while addressing a press conference here.
Sarma also claimed that there was it is now clear that Amnesty can go to any extend to defame India's democratic fabric.
Sarma said, "It's just a conspiracy to malign Indian democracy and defame Prime Minister Narendra Modi. Despite Centre has clarified that it's false and nothing of such spying has happened, internal groups like Amnesty International has been trying to slam baseless allegations on the government. It's just a part of a larger conspiracy against India."
Meanwhile, as per media reports a British High Commission spokesperson said: "We are not going to get into speculation around individual cases on this issue," when asked on reports of UK High Commission official was under surveillance as per 'Pegasus Project'.
The Bharatiya Janata Party had outrightly rejected the allegations.
"BJP strongly refutes, condemns the baseless and bereft of political propriety comments leveled by Congress against the BJP. It is a new low for a party that has ruled India for more than 50 years," BJP leader Ravi Shankar Prasad said on Monday.
The names of over 40 Indian journalists appeared on the leaked list of potential targets for surveillance by an unidentified agency using Pegasus spyware, according to a report published in The Wire on Sunday.
According to the report, the journalists who were targeted work for some news organisations in the country including Hindustan Times, The Hindu, India Today, Indian Express and Network18. Many of them cover matters related to Defence, Home Ministry, Election Commission and Kashmir among others.
However, Union IT Minister Ashwini Vaishnaw on Monday said there is 'no substance' in the media report regarding the use of Pegasus on WhatsApp, adding that the report was an attempt to malign Indian democracy and its well-established institutions.
(ANI)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें