कांग्रेस में वृद्धावस्था छलकने लगी : पंजाब में चार वर्किंग प्रेसिडेंट
कांग्रेस अर्निणय की स्थिती में है ! स्वंय एक राष्ट्रय अध्यक्ष तीन में से नहीं बना पा रही । पंजाब का निर्णय यह एक तमासा ही लगता है या यूं कहें कि अब कांग्रेस में वृद्धावस्था छलकने लगी है। आत्म विश्वास नहीं है। इसलिये पंजाब में अत्यंत ही गिरे किस्म का समझौतावादी निर्णय लिया है। बांकी प्रांतों में भी अब हलचल तेज होगी .......
व्यंग लगता है पंजाब में कांग्रेस का अंतिम संस्कार होनें जा रहा है।
एक अध्यक्ष की टांग खिचाई के लिये चार कार्यकारी अध्यक्ष और एक मुख्यमंत्री
लगता है यह नवज्योतसिंह सिद्धू को अध्यक्ष नहीं बनाया गया बल्कि उनकी जीते जी अर्थी सजा दी हो
चार कंधे और आगे केप्टन ?
पंजाब कांग्रेस के नये अध्यक्ष नवज्योतसिंह सिद्धू
कांग्रेस हाई कमान का बड़ा फैसला, नवजोत सिंह सिद्धू को बनाया गया पंजाब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया है.
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TV9 Hindi
Updated On - 10:15 pm, Sun, 18 July 21
पंजाब में कांग्रेस पार्टी में जारी अंतर्कलह के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने बड़ा फैसला किया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया है. इसके साथ ही संगत सिंह, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को स्टेट वर्किंग प्रेसिडेंट बनाया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष के इस फैसले के बाद सीएम अमरिंदर सिंह (Amrinder Singh) के खेमे को मायूसी हाथ लगी है. विधायक अमरिंदर सिंह राजा ने नवजोत सिंह सिद्धू को बधाई दी.
नवजोत सिंह सिद्धू की पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पर ताजपोशी के साथ ही कैप्टन और कैप्टन खेमे से जुड़े नेता पूरी तरह से आलाकमान के द्वारा दरकिनार किए गए हैं. पंजाब से जो चार वर्किंग प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू के साथ लगाए गए हैं उनमें भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की चॉइस को दरकिनार किया गया है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के पसंदीदा विजय इंदर सिंगला, मनीष तिवारी, राज कुमार वेरका और अन्य नेताओं को वर्किंग प्रेसिडेंट तक नहीं लगाया गया है.
यही नहीं कांग्रेस के रिवाज के मुताबिक प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य संगठन की नियुक्तियों को लेकर तमाम अधिकार कांग्रेस आलाकमान और सोनिया गांधी को दे दिए जाते हैं. लेकिन सोमवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के द्वारा बुलाई गई बैठक से पहले ही AICC की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी का ऐलान कर दिया गया.
11 विधायकों ने अमरिंदर को बताया सबसे बड़ा नेता
इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के समर्थन में आते हुए 11 विधायकों ने उन्हें ‘जनता का सबसे बड़ा नेता’ बताया और पार्टी आलाकमान से उन्हें ‘निराश’ नहीं करने का आग्रह किया. वहीं दूसरी ओर क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने भी अपनी पहल तेज कर दी और अपना समर्थन जुटाने के लिए पार्टी के नेताओं और विधायकों से मुलाकात की.
‘सिद्धू एक सेलिब्रिटी’
कांग्रेस के सात विधायकों और पाला बदलकर हाल में सत्तारूढ़ दल में आए आम आदमी पार्टी (आप) के तीन विधायकों ने भी कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू एक ‘सेलिब्रिटी’ हैं और निस्संदेह पार्टी के लिए वह एक संपत्ति हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी और सरकार की निंदा और आलोचना कर उन्होंने ‘‘कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ाया है और संगठन को कमजोर किया है.’’
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने 10 विधायकों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया. कांग्रेस के सात विधायकों में कुलदीप सिंह वैद, फतेहजंग बाजवा, गुरप्रीत सिंह जीपी, संतोख सिंह, बलविंदर सिंह लाडी, जोगिंदरपाल और हरमिंदर सिंह गिल हैं.
(इनपुट-भाषा)
नवजोत सिंह सिद्धू के सिर ताज सजा कांग्रेस ने बढ़ाई अपनी सरदर्दी, दूसरे राज्यों में होगी अंदरूनी कलह की शुरुआत
सुहेल हामिद,नई दिल्ली
Published By: Priyanka
Mon, 19 Jul 2021
कांग्रेस ने आखिरकार पंजाब में घमासान के बीच अपना फैसला सुना दिया है। पार्टी के नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से कलह खत्म होगी या बढ़ेगी, यह वक्त तय करेगा। पर, इसके बाद दूसरे प्रदेशों में भी अंदरुनी कलह जोर पकड़ सकती है। पंजाब के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल सहित कई प्रदेशों में कांग्रेस अंदरुनी झगड़ों से जूझ रही है। पंजाब में पार्टी नेतृत्व ने विरोध के बीच सिद्धू को जिम्मेदारी देने से कई सवाल उठे हैं। कई नेता इस पार्टी का एकतरफा फैसला मान रहे हैं।
कांग्रेस ने आखिरकार पंजाब में घमासान के बीच अपना फैसला सुना दिया है। पार्टी के नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से कलह खत्म होगी या बढ़ेगी, यह वक्त तय करेगा। पर, इसके बाद दूसरे प्रदेशों में भी अंदरुनी कलह जोर पकड़ सकती है। पंजाब के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल सहित कई प्रदेशों में कांग्रेस अंदरुनी झगड़ों से जूझ रही है। पंजाब में पार्टी नेतृत्व ने विरोध के बीच सिद्धू को जिम्मेदारी देने से कई सवाल उठे हैं। कई नेता इस पार्टी का एकतरफा फैसला मान रहे हैं।
पंजाब में छह माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्षों को संगठन पर पकड़ बनाने में मुश्किल होगा। इसके अलावा कैप्टन के साथ भी उनके रिश्ते फिल्हाल ठीक नहीं है। ऐसे में पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है।
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कैप्टन को नाराज, सिद्धू को तरजीह देने पर उठ रहे सवाल, कांग्रेस के हाथों से फिसलता जा रहा पंजाब!
सुहेल हामिद,नई दिल्ली
Published By: Priyanka
Mon, 05 Jul 2021
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट रखने की कोशिश कांग्रेस के लिए चुनौती बनती जा रही है। प्रदेश कांग्रेस के नेता दबी जबान में कहने लगे हैं कि पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर ज्यादा दबाव बनाने की कोशिश की, तस्वीर पलट सकती है। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी नेतृत्व जिस तरह नवजोत सिंह सिद्धू को अहमियत दे रहा है, उससे चुने हुए मुख्यमंत्री की नाराजगी जायज है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पार्टी अध्यक्ष की तरफ से बनाई गई समिति के सामने बार-बार पेश होना पड़ रहा है। वहीं, एक विधायक की पार्टी नेतृत्व हर शर्त मान रहा है।
उनका कहना है कि सिद्धू एक विधायक हैं। पार्टी को उन्हें मुख्यमंत्री से ज्यादा तरजीह नहीं देनी चाहिए। सिद्धू की पार्टी नेतृत्व से मुलाकात के बाद कैप्टन ने सख्त रुख अपनाया है, वह पार्टी की मुश्किल बढ़ा सकते है। पंजाब में कांग्रेस का मतलब कैप्टन है। पार्टी के ज्यादातर विधायक और पदाधिकारी उनके साथ हैं। एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कैप्टन के इनकार के बावजूद पार्टी सिद्धू को जिम्मेदारी सौंपती है, तो उसे कैप्टन को गंवाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
पार्टी के अंदर यह सवाल भी उठ रहे हैं कि चुनाव से ठीक पहले पार्टी इस तरह का प्रयोग आखिर क्यों करना चाहती है। जबकि किसान आंदोलन और भाजपा-अकाली का गठबंधन खत्म होने के बाद कांग्रेस की जीत की उम्मीद है। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि इस वक्त सिद्धू पर दांव खेलने के बजाए कांग्रेस को कैप्टन को मजबूत करना चाहिए। इसमें कई बुराई नहीं है कि पार्टी मुख्यमंत्री को चुनावी वादों को पूरा करने और विधायकों से मिलने की हिदायत दे। पर चुनाव से ठीक पहले इस तरह की स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए कि मुख्यमंत्री परेशान हो जाए।
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