मकर संक्रांती मोक्ष का पर्व Makar Sankranti

 


भारतीय संस्कृति में वैज्ञानिक रिर्सच एवं अनुसंधान बहुत हुये, ईश्वर से लेकर आत्मा तक,बृहमाण्ड से लेकर पिण्ड तक और आपदाओं से लेकर आनन्द तक, संघर्ष से लेकर समाधान तक का विराट ज्ञान के संग्रह का नाम भारतीय संस्कृति है।

There has been a lot of scientific research and research in Indian culture, from God to soul, from universe to body and from disasters to joy, from conflict to solution, the name of the collection of vast knowledge is Indian culture.

 

 जिसमें वेद,उपनिषद,शास्त्र,पुराण और अनेकानेक ज्ञान की लोक कथायें बिखरी हुई है। ये अनुसंधान समय समय पर प्राकृतिक आपदाओं के द्वारा नष्ट भी होते रहे हैं। इन्हे निरंतर स्मृति में बनाये रखनें संचित रखनें की विधा ही हमारे पर्व, त्यौहार एवं मान्यतायें है। इन सब के वैज्ञानिक महत्व हैं। 

 In which the folk tales of Vedas, Upanishads, Shastras, Puranas and many other knowledge are scattered. These researches have also been destroyed by natural calamities from time to time. Our festivals, festivals and beliefs are the way to keep them in constant memory and keep them stored. All these have scientific significance.

 मकर संक्रांती भी इसी तरह का महान पर्व है। इसे वैदिक पर्व भी माना जाता है। स्थानीय स्तर पर इसके आयोजनों के तरीकों में बदलाव आते रहे।

Makar Sankranti is also such a great festival. It is also considered as a Vedic festival. There have been changes in the way it is organized at the local level.
 

मकर संक्रांती को मोक्ष का पर्व माना जाता है। पितामह भीष्म कौरव - पाण्डव युद्ध में घायल हो गये थे। उन्हे अपनी इच्छा मृत्यु का वर प्राप्त था। उन्होनें बाणों की सैय्या पर मकर संक्रांती का इंतजार किया एवं मकर संक्रांती पर अपनी देह त्यागी। माना जाता है कि उन्होनें बार बार होनें वाले जन्मों से मुक्ती पानें के लिये, अर्थात मोक्ष प्राप्ती हेतु मकर संक्रांती की शुभ बेला में अपनी देह त्यागी थी।

सामान्य पौर पर मकर संक्रांती तारीख से नहीं बल्कि मकर राशी में प्रवेश से मनाई जाती है। यह समय आगे पीछे होते रहते है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसदिन से उत्तरायण में प्रवेश होता है। इसे देव लोक का अभिगमन माना जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है।


मकर संक्रान्ति का महत्व
इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता -

माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छः-छः माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। सामान्यत भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है।

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व -
मकर संक्रान्ति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में, और विशेषकर उत्तर भारत में, पतंग उड़ाने की प्रथा है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अतः इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। । मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।


यह अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत में विभिन्न नाम
1- मकर संक्रांति (संक्रान्ति) - छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू
2- ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल -तमिलनाडु
उत्तरायण - गुजरात, उत्तराखण्ड
उत्तरैन, माघी संगरांद - जम्मू
शिशुर सेंक्रात - कश्मीर घाटी
माघी - हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
भोगाली बिहु - असम
खिचड़ी - उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार
पौष संक्रान्ति - पश्चिम बंगाल
मकर संक्रमण - कर्नाटक

भारत के बाहर
बांग्लादेश - पौष संक्रान्ति
नेपाल - माघे संक्रान्ति या माघी संक्रान्ति,खिचड़ी संक्रान्ति
थाईलैण्ड - सोंगकरन
लाओस - पि मा लाओ
म्यांमार - थिंयान
कम्बोडिया - मोहा संगक्रान
श्री लंका - पोंगल, उझवर तिरुनल

 

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