बौखलाहट और विक्षिप्तता में कांग्रेसी नेता -सुधांशु त्रिवेदी Sudhanshu Trivedi

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी जी लगभग प्रतिदिन ही पत्रकार वार्ता करते हैं टीवी डिबेट में आते हैं अपने शानदार तथ्यों और तर्कों के द्वारा वह विपक्ष को मौन कर देते हैं। प्रस्तुत पत्रकार वार्ता का एक-एक शब्द महत्वपूर्ण है पठनीय है हमारे ज्ञान को नई समझ और विराट समझ देने वाला है। राष्ट्रवादी राजनीति के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रत्येक कार्यकर्ता को इसको अक्षर से पढ़ना चाहिए। - अरविंद सिसोदिया 
 

Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr Sudhanshu Trivedi
द्वारा डॉ. सुधांशु त्रिवेदी  30-01-2024
 
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद श्री सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु-

हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामने करने और विपक्ष के तथाकथित घमंडिया गठबंधन के छिन्न भिन्न होने के बाद कांग्रेसी नेता बौखला गए हैं। इस बौखलाहट और विक्षिप्तता में कांग्रेसी नेता आपत्तिजनक और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आधारहीन और अनर्गल बयान दिया है जिसके पीछे की मंशा देश में अशांति उत्पन्न करने की है। परिवारवाद से ग्रसित राजवंश आगामी चुनावों में अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं।

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कांग्रेस लोकतंत्र की बात करती है लेकिन लोकतंत्र का गला तो पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक की सरकार में कांग्रेस द्वारा घोंटा गया। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल के दौरान लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था और मूल अधिकार समाप्त कर दिए गए थे।

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कांग्रेस के जितने प्रधानमंत्री बने, कोई भी पहली बार जनता के द्वारा चुन कर प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंचा है। भारत के राजनैतिक इतिहास में लोकतांत्रिक ढंग से किसी पार्टी के प्रधानमंत्री बने हैं तो वह हैं श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और श्री नरेन्द्र मोदी जी।

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लालू यादव ने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाते हुए अपनी बेटी का नाम मीसा रखा था। आज वही लालू प्रसाद यादव उसी अलोकतांत्रिक कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं।

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श्रीमती इंदिरा गांधी एकमात्र ऐसी प्रधानमंत्री हैं जिनको कोर्ट ने भ्रष्टाचारी गतिविधियों के लिए दोषी साबित किया, लेकिन उन्होनें कोर्ट के आदेशों को रौंद दिया।

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हिटलर के करीबी व्यक्ति ने एक नारा दिया था “हिटलर इस जर्मनी एण्ड जर्मनी इस हिटलर”, बाद में यही नारा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष देवकान्त बरुआ ने लगाया “इंदिरा इस इंडिया, इंडिया इस इंदिरा”। कांग्रेस के किसी भी नेता ने इसके लिए आज तक माफी नहीं मांगी।
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कांग्रेस पार्टी के अंदर आज भी अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता भरी हुई है और स्वतंत्रता का मुक्ति गायन उनके कानों तक नहीं पहुंचा है।

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प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में पहली बार देश में ऐसी सत्ता आई है जिसका ब्रिटिश मानसिकता से कोई लेना देना नहीं है और यह पूर्णत: भारतीय है। ब्रिटिश गुलामी के विचारों की प्रतीक कांग्रेस एवं इसके सभी सहयोगी दलों का भविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा है।

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विपक्ष लोकतंत्र की बात करता है लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री 40 घंटों से अज्ञातवास से सरकार चला रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनके घर से ₹36 लाख बरामद हुए हैं। ये वही पार्टी है जिसके सांसदों ने पैसे लेकर कांग्रेस की सरकार बचाई थी।

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के घर से ₹36 लाख बरामद हुए। कांग्रेस सांसद धीरज साहू के घर से ₹350 करोड़ की नकदी मिली। पहले भी हेमंत सोरेन के करीबियों के यहाँ से करोड़ों कैश बरामद हुए हैं। घमंडिया गठबंधन भ्रष्टाचार का गठबंधन है।

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जो लोग राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को लेकर सवाल उठा रहे थे, वे लोग किसी पंडित से जरा पता करवा लें की राहुल गांधी की तथाकथित भारत जोड़ो न्याय यात्रा किस मुहूर्त में शुरू हुई थी।

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जंह-जंह पड़े चरण पड़े राहुल के, तंह-तंह बंटाधार हुआ। राहुल गांधी की कथित यात्रा जहाँ-जहाँ गई, वहां-वहां घमंडिया गठबंधन टूटता गया। पंजाब और बंगाल में अलग-अलग राग अलापते इंडी गठबंधन ने बिहार आते-आते दम तोड़ दिया।

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भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा देश में लोकतंत्र के संबंध में दिए गए दुभाग्यपूर्ण बयान की कड़ी निंदा करते हुए कांग्रेस पार्टी पर जम कर हमला किया। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान बताता है कि किस तरह लोकतंत्र का आवरण ओढ़कर बैठे कांग्रेस राजवंश को अपनी सत्ता समाप्त होने का डर सता रहा है। श्री त्रिवेदी ने कांग्रेस के कार्यकाल में देश में हुए अलोकतांत्रिक कार्यों की सच्चाई रखते हुए बताया कि कांग्रेस द्वारा लोकतंत्र की बात करना सबसे बड़ी बेईमानी है। उन्होंने कहा कि देश की जनता अब परिवारवाद की राजनीति करने वाले झूठे लोकतंत्र के रक्षकों को सिरे से नकार चुकी है।

डॉ त्रिवेदी ने कहा कि हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामने करने और विपक्ष के तथाकथित घमंडिया गठबंधन के छिन्न भिन्न होने के बाद कांग्रेसी नेता बौखला गए हैं। इस बौखलाहट और विक्षिप्तता में कांग्रेसी नेता आपत्तिजनक और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आधारहीन और अनर्गल बयान दिया है जिसके पीछे की मंशा देश में अशांति उत्पन्न करने की है। श्री त्रिवेदी ने कांग्रेस अध्यक्ष को उत्तर देते हुए कहा कि ये सत्य है कि भारतीय राजनीति में बहुत चीजों का पटाक्षेप हो रहा है। देश में राजवंश की सत्ता 1947 में समाप्त हो गई थी लेकिन लोकतंत्र का आवरण ओढ़कर बैठे कांग्रेस के इन लोकतांत्रिक राजवंशों की सत्ता को अब चुनौती मिल रही है और इन्हीं राजवंशों का अब पटाक्षेप हो रहा है। परिवारवाद से ग्रसित ये राजवंश आगामी चुनावों में अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं।

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर से दक्षिण तक देश की प्रबुद्ध जनता ने लोकतंत्र के नाम पर राजवंश को जिंदा रखने वाले और परिवारवाद की राजनीति करने वाले नेताओं को आईना दिखाया था। जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार चुनाव हारे, पंजाब में बादल परिवार चुनाव हारा, हरियाणा में हुडा परिवार चुनाव हारा, राजस्थान में अशोक गहलोत का बेटा चुनाव हारा, उत्तर प्रदेश में अखिलेश की पत्नी और चौधरी अजीत सिंह व उनके बेटे चुनाव हारे, बिहार में लालू की बेटी चुनाव हारी, तेलंगाना में केसीआर की बेटी चुनाव हारी और परिवारवाद के सबसे बड़े प्रतीक राहुल गांधी चुनाव हारे। ये चुनाव परिणाम दर्शाते हैं आगामी चुनावों में लोकतांत्रिक राजवंशों के लिए जनता के सामने चुनाव का भ्रम रखकर राजनीति करना संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि अब भारत में वास्तविक लोकसत्ता का प्रादुर्भाव हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को यही डर सता रहा है कि लोकतांत्रिक राजवंशियों के चुनावी भविष्य पर भी पूर्ण विराम लगने जा रहा है। यह आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नीतियों के चलते भारत का गरीब, किसान, युवा और महिलाएं अपनी शक्ति के साथ उभर कर सामने आ रहा है और उन्होंने इन परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति करने वालों को लोकतंत्र का चोला पहने बैठे राजतंत्रों की सिरे से नकार दिया है।

डॉ त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग लोकतंत्र का हवाला देते हैं उनको यह जानने की जरूरत है कि कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को किसी भी कांग्रेस कमिटी ने वोट नहीं दिया था। अप्रैल 1946 में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में 16 कांग्रेस कमेटियों में एक ने पट्टाभि सीतारमैया और एक ने आचार्य जीबी कृपलानी जी को वोट दिया था और बाकी सभी वोट सरदार वल्लभ भाई पटेल को मिले थे। जवाहरलाल नेहरू को इस बैठक में शून्य वोट मिले थे और इसका जिक्र कृपलानी जी की किताब ‘माई डेज विद गांधी’, मौलाना आजाद की किताब ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’, दुर्गादत्त की किताब ‘कर्जन से नेहरू और उसके बाद का भारत’ में किया गया है। इसके अलावा जो कांग्रेस पार्टी के अंतिम प्रधानमंत्री हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रणब मुखर्जी की पुस्तक का विमोचन करते समय कहा था कि जब प्रधानमंत्री पद के लिए नामित होने पर उन्होंने कहा था कि प्रणब मुखर्जी सबसे ज्यादा योग्य है। मनमाने ढंग से प्रधानमंत्री बनाने वाले ये लोग (कांग्रेस) आज लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भारत के इतिहास में कांग्रेस के जितने प्रधानमंत्री बने, उनमें से कोई भी पहली बार जनता के द्वारा चुन कर प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंचा है। इंदिरा गांधी भी इन्डिकैट-सिंडीकेट के रूप में आई थी, राजीव गांधी इंदिरा गांधी की दु:खद हत्या से उपजी परिस्थतियों के कारण बनाए गए और वहीं पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह कैसे प्रधानमंत्री बने यह सबको भाली भांति ज्ञात है। उन्होंने कहा कि भारत के राजनैतिक इतिहास में लोकतांत्रिक ढंग से किसी पार्टी के प्रधानमंत्री बने हैं तो वह हैं श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और श्री नरेन्द्र मोदी जी।


राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मजरूह सुल्तानपुरी को 2 साल इसलिए जेल में रखा था क्योंकि उन्होंने एक आर्टिकल लिखा था जिसका शीर्षक था की ‘नेहरू की कार्यशैली में हिटलर की झलक नजर आती है’। मौलाना आजाद की किताब में लिखा है कि नेहरू को अपने सामने किसी दूसरे की तारीफ बर्दाश्त नहीं थी, वहीं राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान जब एक अखबार ने जब उनके खिलाफ लिखा था तो उस पर आयकर विभाग का छापा डाला गया और बिजली काट दी गई थी। राजीव गांधी के समय में एक पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ अधिनियम आया था जिसमें सरकार को यह अधिकार दिया गया था कि वह किसी की भी चिट्ठी खोल कर पढ़ सकती थी। इसी तरह पीवी नरसिम्हा राव की सरकार एकमात्र ऐसी सरकार थी कि जिसने रिश्वत लेकर खुद का विश्वास मत प्राप्त किया और यह सुप्रीम कोर्ट मे भी साबित हुआ। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी की छत्रछाया में जब मनमोहन सिंह की सरकार चल रही थी तब हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्दों का प्रयोग करके चार्जशीट दाखिल किए बिना ही लोगों को बरसों तक जेल में रखा गया, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, महिला कैदियों के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया।

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इंदिरा गांधी के समय में तथाकथित लोकतंत्र की सच्चाई सामने रखते हुए बताया कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल के दौरान लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था और मूल अधिकार समाप्त कर दिए गए थे। लालू प्रसाद यादव ने अपनी बेटी का नाम मीसा अधिनियम के ऊपर रखा था। ये अधिनियम आपातकाल के तहत लाया गया था और इसके तहत अगर किसी व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती थी तो वो व्यक्ति जेल जाने के बाद जमानत की अर्जी नहीं लगा सकता था। लालू यादव ने कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाते हुए अपनी बेटी का नाम मीसा रखा था ताकि जब जब अपने बेटी का नाम लेंगे तो उन्हें इस अलोकतांत्रिक अधिनियम और अपनी कसम की याद आएगी। आज वही लालू प्रसाद यादव उसी अलोकतांत्रिक कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं। लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटने वाली इस कांग्रेस ने अपने एक राज्यसभा सांसद को कार्यकाल समाप्त होने के महज एक वर्ष बाद सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बना दिया था। जस्टिस बहरूल इस्लाम जो पहले असम उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे फिर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने गए, चुनाव नहीं होने पर कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद बनाया और फिर एक वर्ष के बाद इन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बना दिया गया।


डॉ त्रिवेदी ने कहा कि हिटलर के करीबी व्यक्ति ने एक नारा दिया था “हिटलर इस जर्मनी एण्ड जर्मनी इस हिटलर”, बाद में यही नारा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष देवकान्त बरुआ ने लगाया “इंदिरा इस इंडिया, इंडिया इस इंदिरा”। इसके बाद कांग्रेस के किसी भी नेता ने इस बयान के लिए माफी नहीं मांगी और यह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक बयान बन गया।


भाजपा प्रवक्ता ने विपक्ष पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी का निर्णायक रूप से सत्ता से जाने का समय आ गया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत एक नए स्वरूप की तरफ आगे बढ़ रहा है, जहां 44 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना के तहत लाभ मिला है, जन धन योजना के तहत 50 करोड़ लोगों का बैंक खाता खोला गया, 4 करोड़ गरीब लोगों को आवास मिला।


डॉ त्रिवेदी ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए बताया कि भारत के इतिहास में श्रीमती इंदिरा गांधी एकमात्र ऐसी प्रधानमंत्री हैं जिनको कोर्ट ने भ्रष्टाचारी गतिविधियों के लिए दोषी साबित किया, लेकिन उन्होनें कोर्ट के आदेशों को रौंद दिया। 1985 में शाह बानो केस में शरिया कानून को सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर रखा गया। जब सत्ता कांग्रेस के हाथ में थी तब तो पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ नहीं किया और अब जनगणना की बात कर रहे हैं।


भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी मानसिकता इतनी भयावह है कि वह कहते हैं कि जिन्होनें भारत पर कई वर्षों तक शासन और अत्याचार किया, वह दोषी नहीं हैं, बल्कि जिन्होनें उस गुलामी को सहा वह स्वयं जिम्मेदार हैं। कांग्रेस पार्टी के अंदर आज भी अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता भरी हुई है और स्वतंत्रता का मुक्ति गायन उनके कानों तक नहीं पहुंचा है। आजादी के कई वर्षों तक भारत में ब्रिटिश शासन का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से बना रहा, परंतु माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में पहली बार देश में ऐसी सत्ता आई है जिसका ब्रिटिश मानसिकता से कोई लेना देना नहीं है और यह पूर्णत: भारतीय है। ब्रिटिश गुलामी के विचारों की प्रतीक कांग्रेस एवं इसके सभी सहयोगी दलों का भविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा है और वह विचलित होकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

डॉ त्रिवेदी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि हम लोकतंत्र की रक्षा की दुहाई देने वाले इन लोगों के घर से ₹36 लाख बरामद हुए हैं। यह वही नेता हैं जिन्होनें 1994 में कांग्रेस की भ्रष्टाचारी गतिविधियों में साथ दिया था। इसके बाद ₹350 करोड़ कांग्रेस सांसद के घर से बरामद हुए। कांग्रेस का तथाकथित इंडी गठबंधन पूरा छिन्न भिन्न हो चुका है और बिखर गया है। उत्तर प्रदेश में मायावती द्वारा शुरु किया गया अकेले चुनाव लड़ने का सिलसिला बंगाल तक चला और बिहार तक आते आते तो ये गठबंधन ही खत्म हो गया। उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि जो लोग राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को लेकर सवाल उठा रहे थे, वे लोग किसी पंडित से जरा पता करवा लें की राहुल गांधी की तथाकथित भारत जोड़ो न्याय यात्रा किस मुहूर्त में शुरू हुई थी क्योंकि जहां भी राहुल गांधी के चरण पड़े हैं वहां उनका बंटाधार हुआ है।

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