कांग्रेस का राजनैतिक समापन साबित होगा, प्राण प्रतिष्ठा बहिस्कार का निर्णय - अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस की राजनैतिक समापन साबित होगा, प्राण प्रतिष्ठा बहिस्कार का निर्णय - अरविन्द सिसोदिया 

कांग्रेस को प्राण प्रतिष्ठा आमंत्रण ठुकराने की सजा जनता देगी - अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस हाई कमान अर्थात कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधीजी,राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को राम मंदिर प्राण - प्रतिष्ठा का आमंत्रण बहुत ही सम्मान पूर्वक दिया गया था। जिसे काफ़ी समय बाद कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस के महामंत्री जयराम रमेश नें इसकी घोषणा की है कि राम मंदिर भाजपा और संघ की राजनैतिक परियोजना है और उद्घाटन कार्यक्रम चुनावी फायदे के लिए है। इसलिए कांग्रेस के नेतागण इसमें सम्मिलित नहीं होंगे।

कांग्रेस के इस निर्णय का विरोध उनकी पार्टी में अंदर से उठ रहा है कांग्रेस प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णम नें इसे कांग्रेस के लिए आत्मघाती कदम बताया तो कांग्रेस के ही गुजरात से पेनीलिस्ट और पोरबन्दर विधायक अर्जुन मोधवाडिया नें कहा राम सबके आराध्य देव हैँ, यह देशवासियो की आस्था और विश्वास का विषय है।

सच यही है कि एक तरफ विश्व के 150 से अधिक देशों में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सव, आयोजन कार्यक्रम हो रहे हैँ, सनातन हिन्दू ही नहीं प्रत्येक भारतवासी के लिए यह गर्व और उल्लास का अवसर है। इसमें रंग में भंग डालने का कोंग्रेसी निर्णय किसी भी देशवासी को उचित नहीं लगा। कांग्रेस का हाइकमान कुछ भी कहता और सोचता रहे, उनके राम मंदिर संबंधी किसी भी निर्णय को आम कांग्रेस कार्यकर्ता और कांग्रेस समर्थक नागरिकों नें पहले भी कभी स्वीकार नहीं किया । क्यों की राम आस्था हैं , आदर हैँ और देवत्व हैं। उन्हें भारत की अनादिकालीन संस्कृति जगत के स्वामी के रूप में पूजन अर्जन करती हैं, स्तुति करती हैं। कॉंग्रेस नें जान बूझ कर भारतीय संस्कृति के स्तुतः देव की आराध्य देव का अपमान किया हैं। क्योंकि न तो ट्रस्ट राजनैतिक दल हैं न ही कार्यक्रम राजनैतिक हैं। यह कार्यक्रम भी सांस्कृतिक दृष्टि से स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस जैसा ही पवित्र एवं आदरणीय कार्यक्रम हैं।

भारतीय संस्कृति में कथा, भागवत भजन संध्या, सुंदरकांड आदि में राजनैतिक एवं सामाजिक भेद का कोई स्थान नहीं होता हैं। सभी लोग भेदभाव भुला कर पुण्य कमाते हैँ। जब लंका विजय की कामना लेकर रामसेना समुद्र तट पर पहुंची तो वहाँ लंका के सम्राट रावण नें स्वयं भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित करवाया था। जबकि वह जानता था की इस अनुष्ठान को करवानें से उसकी हानी होगी।

कांग्रेस नें जिस तरह से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिस्कार किया यह उसकी विदेशी सोच और विदेशी कल्चर को ही प्रमाणित करती हैं। उन्होंने जान बूझ कर श्रीराम का अपमान कर पूरे भारत का और भारतीय संस्कृति का अपमान किया हैं। इसकी सजा उन्हें चुनावों में जनता देगी। भारत में राम द्रोहियों का कोई स्थान नहीं है। राम विरोध में ही कॉंग्रेस अपना अस्तित्व लगातार खो रही हैं, वह सबसे न्यूनतम सांसद लोकसभा में ला पा रही हैं। कांग्रेस की राजनीति का समापन साबित होगा, मंदिर बहिस्कार का निर्णय।
गांधी धाम में चल रही रामलीला के आठवें दिन गुरुवार रात सेतु बंधन तथा रामेश्वरम् की स्थापना से रामलीला शुरू हुई। भगवान राम रावण से युद्ध करने की तैयारी में हैं। ऐसे में समुद्र के पास भगवान शिव की स्थापना की जा रही है।

भगवान राम कहते हैं मैंने संकल्प लिया था मैं शिवजी की स्थापना करूं, हे लंकापति विभीषण बताएं मैं किस पंडित को बुलाकर प्राण प्रतिष्ठा करूं, तब विभीषण कहते हैं रावण शिवजी का भक्त है। उसे ही बुलाया जाए। हनुमानजी रावण को प्राण प्रतिष्ठा के लिए लाते हैं। राम रावण से कहते हैं हे ब्राह्मण देवता मैंने शिवलिंग स्थापना का संकल्प लिया था। इस संसार में आपसे उत्तम पंडित नहीं है, इसीलिए आपको आमंत्रित किया है। शिवलिंग की स्थापना भगवान राम ने की है, इसीलिए उसका नाम रामेश्वरम् पड़ा। भगवान राम कहते हैं जो मनुष्य रामेश्वरम के दर्शन व सेवा करेगा, उन्हें शंकरजी मेरी भक्ति देंगे। शिवजी के समान मुझको कोई प्रिय नहीं है।

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