शहीद कारसेवक नें खून से लिखा था “सीताराम”

 karsevak कारसेवक बलिदान दिवस : 30 अक्टूबर : 

शहीद कारसेवक नें खून से लिखा था “सीताराम”


भारत पर हमला करने वाले मुगल आक्रांता बाबर ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त कर उसी गारे मिटृटी और पत्थर से मस्जिद खडी करवा दी थी। इस तरह के कुकृत्य अनेकों इस्लामिक आक्रमणकारियों ने अनेकों सथलों पर किये। रामजन्म भूमि से अवैध मस्जिद हटानें के लिये निरंतर हिन्दू समाज सक्रीय रहा इसके लिये अनेकों युद्ध एवं संघर्ष हुये थे। स्वतंत्र भारत में जन्मभूमि मुक्ति के लिये लगातार आन्दोलन भी चले, इसीक्रम में विश्वहिन्दू परिषद भी लगातार आन्दोलित थी उनके आन्दोलन के पक्ष में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रामरथ यात्रा 1990 में प्रारम्भ की, जिसे देश में अपार जन समर्थन मिला रहा था , यद्यपि बिहार में प्रवेश के साथ ही श्री आडवाणजी को गिरफ्तार कर लिया गया । किन्तु इस रथ यात्रा से पूरे देश का मन जुड चुका था और श्रीरामजन्म भूमि का विषय व्यापक और राष्ट्रव्यापी हो गया था।

मुलायम सिंह नें चलवाई कारसेवकों पर गोलियां
तब से कहलानें लगे “मुल्ला - मुलायम “

भारत के इतिहास में 2 नवंबर 1990 का दिन एक काले अध्याय के समान है. यही वो खून से रंगी तारीख है जिस दिन अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर गोलियां बरसाईं थी । इस भयावह गोलीकांड में 40 कारसेवकों की मौत हो गई थी। हालांकि सरकारी आदेश का पालन करने वाले सुरक्षाकर्मियों की आंखों से कारसेवकों पर गोली चलाते वक्त आंसू बह रहे थे।  2 नवंबर के गोलीकांड से पहले 30 अक्टूबर को भी कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं। जिसमें 11 कारसेवक मारे गए थे। यह संख्याये मात्र प्रतीकात्मक है। सरयू नदी में कई माह तक लाशें ऊपर आती रहीं है। माना जता है कि बडी संख्या में कारसेवकों की लाशों को बालू रेत के कटटे बांध कर सरयू में डुबो दिये गये थे। जो बहुत सी बाद में बाहर आती रहीं।

शहीद होनें वाले कारसेवकों में एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसने जमीन पर अपने खून से सीताराम लिख दिया था।  एक कारसेवक पुलिस द्वारा फेंके गए आंसू गैस के गोले को उठा कर दोबारा उन्ही (पुलिस) पर ही फेंक रहा था। आंसू गैस के प्रभाव से बचने के लिए उस शख्स ने अपनी आंखों के आस-पास चूना लगा रखा था। हालांकि थोड़ी देर बाद ही वह व्यक्ति पुलिस की गोली का शिकार हो कर सड़क पर गिर जाता है। जिसके बाद सड़क पर वह अपने खून से ‘सीताराम’ लिख देता है। यह अंतिम समय में ईश्वर के प्रति उसका नमन ही माना जा सकता है।

 उसके बाद प्रधानमंत्री वीपी सिंह की केन्द्र सरकार गिर गई। कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर सरकार बनी। हालांकि चंद्रशेखर सरकार अयोध्या पर कुछ ठोक कदम उठा पाती तब तक कांग्रेस ने उनसे समर्थन खींच लिया ।








मुलायम ने क्यों बरसाई कारसेवकों पर गोलियां, 2 नवंबर 1990 का पूरा सच | Why mulayam  singh yadav s police fired on kar sevak the truth of 2 november 1990 | TV9  Bharatvarsh


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो

मोक्ष : ईश्वर के कार्य योग्य अपने आपको बनाओ Moksha Ishwar Ka Dham