दिव्य दीपावली 22 जनवरी को,धूमधाम से मनायें - अरविन्द सिसोदिया

 


दिव्य दीपावली 22 जनवरी को,धूमधाम से मनायें - अरविन्द सिसोदिया

मूर्ख तो वे हैं जो बाबर गेंग की गुलामी हिन्दू हो कर भी करते हैं - अरविन्द सिसोदिया

अयोध्या में 17.5 लाख वर्ष पूर्व अयोध्या के राजा राम, माता सीता एवं भ्राता लक्ष्मण के 14 वर्ष वनवास के पूरे करके लौटनें के अवसर पर मनाई गई थी। किन्तु 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की जो प्राण प्रतिष्ठा होनें वाली है वह पूरे पांच सौ वर्ष से अधिक अवधी पूरी करने के बाद हो रही है। यह सौ के लगभग बडे युद्धों और लाखों संतों महंतो और राजाओं की सेनाओं तथा भक्तों व नागरिकों के प्राणों की आहूती के बाद,यह स्वतंत्रता प्राप्त हो रही है। 1949 में रामलला का प्रगट होना और 1992 में बाबरी ढहना निश्चित रूप से मील का पत्थर वाली घटनायें थीं। इतने लम्बे संर्घष के बाद प्राप्त आजादी निश्चित ही दिव्य दीपावली है। इस दीपावली का महत्व सर्वोच्च है। इसका पुण्य लाभ असंख्य जन्मों के पापों से मुक्त करने वाला है। यह देव योग है। क्यों कि यह दीपावली भगवान श्रीराम को समर्पित है।

पूरे देश में राम-आनन्द हो रहा है 

जबसे से राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि न्यास नें घोषित की है तब से ही इस शुभअवसर को भव्य और द्विव्य बनानें की तैयारियां प्रारम्भ हो गईं हैं। अनेकों देशों से विविध प्रकार की सामग्रीयां आ रहीं हैं। देश के भिन्न भिन्न हिस्सों से वस्तुयें प्रेषित की जा रहीं हैं। पूरा पूरा दिन राम आयेगे आयेंगे आयेंगे को सुनते हुये गुजरता है। श्रीरामजी को लेकर हजारों गीत और संगीत व धुनें सामनें आ रहीं है। हर कोई इन गीतों की लय पर थिरक रहे है। जैसे किसी घर में विवाह का उत्सव में पूरा घर जुटा होता है। उसी तरह पूरा देश राम उत्सव में जुटा हुआ है। 

गली मोहल्ले सड़क चौराहे और घर-घर में रामधुन व्याप्त है मीठे मीठे राम भजनों से लेकर ओजस्वी जय श्री राम के नारे तक पूरे देश के करोडों करोडों गली मौहल्ले सराबोर हैं और हर तरफ राम ही राम है । मोबाइल फेसबुक टिविटर, यूटयूब,सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया चैनल... जहां देखो वहां श्री राम जी ही विराजमान है। जो लोग राम के अस्तित्व पर प्रश्न उठाते थे वे राम के विराट रूप से अचम्भित हैं। क्योंकि राम जी वह है जिनके साथ भारत हमेशा चलता है । राम वह चरित्र भी हैं जिनके साथ हमेशा छल कपट होता है जिन के साथ हमेशा अन्याय होता है और फिर संघर्ष के बाद न्याय की प्राप्ति होती है।  इसके बाद भी वे मर्यादाओं को नहीं छोडते। उनके जन्म स्थान पर जबरिया आक्रमण हुआ विध्वंस  हुआ अतिक्रमण हुआ, लंबे समय तक 500 साल से अधिक समय तक रामलाल की प्रतिमा को संकट उत्पन्न हुऐ, पूरे हिंदुत्व को इस्लामी आक्रांतओं नें रोंदा तब भी रामजी अपना स्थल मर्यादा से ही प्राप्त करते हें। सर्वोच्च न्यायालय से पूरे विधि विधान से प्राप्त करते हैं। यह दिव्य शुभअवसर हजारों वर्षों में कही आता है इसे दिव्य दीपावली के रूप में ही मनाना चाहिये। यह हमारी सांस्कृतिक स्वतंत्रता का आव्हान भी है। यह रामराज के शुभारम्भ का सुअवसर भी है।

राम दिव्य शक्ति

आजकल गली गली में एक गीत गूंज रहा है मेरे घर मेरे राम आएंगे... सभी प्रमुख गायक इसे अपनी आवाज अपनी धुन अपने बोल दे रहे हैँ, पर किसी को कल्पना ही नहीं होगी की श्रीराम नें तो यह संकेत काफ़ी पहले दे दिये थे... पूज्य मां रेखा जी... यह भजन शबरी के राम प्रशंग में करीब - करीब 12 / 15 वर्ष पूर्व से ही गाना प्रारंभ कर दिया था... उनका भाव विभोर कर देने वाला वह भजन आज भी यू टियूब पर मौजूद है। राम अलौकिक हैँ वे सभी कार्य सब्र और मर्यादा से करते हैँ। मानो वे संकेत कर रहे हैँ कि में आरहा हूँ।

बच्चा बच्चा राम का

श्रीराम कि जन्म भूमि का उद्धार कार्य भी राष्ट्र का उत्थान का कारक बनेगा यह कभी कल्पना भी नहीं थी, मगर रामजी अपने लिए कोई काम करते ही नहीं हैँ... वे सारे कार्य लोकमंगल के लिए लोक कल्याण के लिए ही करते हैँ। यदी सोमनाथ कि ही तरह रामजी का मंदिर बन जाता तो देश विधर्मियों के हाथों में ही जकड़ा रहता और हिन्दू समाज सोया रहता। इसीलिए यह संघर्ष लंबा हुआ ताकी देश अपने धर्म कर्म के प्रति जाग्रत हो।

आज पूरे देश बच्चा राम धुन पर थिरक रहा है, घर घर में रामजी पहुंच रहे हैँ, गली गली राम धुन में लीन शोभायात्राएँ निकल रहीं हैँ। करोड़ों करोड़ों लोग दिन भर राम गीत गा रहे हैँ। भारतीय संस्कृति एक विस्फोट कि तरह चहुओर फैल रही है। विदेशों से भी राम उत्सव के समाचार आरहे हैँ। इंग्लिश मीडियम मरण पड़ी युवा पीढ़ी जिसे उनके मां बाप नें भी हिंदुत्व से दूर रखा वह पीढ़ी रामनाम पर नाच रही है, अपनी संस्कृति के उत्थान का उत्सव मना रही है।

रामद्रोहीयों के सीनें पर सांप लोट रहे हैं

यह भी सही है कि भारत के स्वतंत्र होते ही गुजरात में सोमनाथ की मुक्ति की तरह ही उत्तरप्रदेश में अयोध्या, काशी मथुरा की भी मुक्ति होनी चाहिये थी। किन्तु जवाहरलाल नेहरू एवं उनकी कांग्रेस नें हिन्दू प्रतिष्ठानों को उलझा दिया । इसकी सजा उन्हे मिल भी रही है। जिस तरह गुजरात में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और के एम मुंशी और वहां के राजा दिग्विजय सिंह नें सोमनाथ मुक्त करवाया उसी तरह जवाहरलाल नेहरू और पं गोविन्द वल्लभ पंत को उत्तर प्रदेश के अयोध्या काशी मथुरा मुक्त करवाना चाहिये था। कांग्रेस ने इन अतिक्रमणों को बनाये रख कर जो पाप किया उसकी सजा तो उत्तर प्रदेश का समाज दे ही रहा है। कांग्रेस नें तो अयोघ्या काशी मथुरा की मुक्ति रोकी और कानून बनाया कि 1947 की स्थिती बनी रहेगी। जो की हिन्दू समाज पर ही नहीं भारत की स्वतंत्रता पर भी थप्पड था, भारत की स्वतंत्रता के साथ अन्याय था, अपराध था।

 यह सच है कि रामद्राहियों के सीनें पर सांप लोट रहे हैं बाबर की मजार पर जो कांग्रेसी प्रधानमंत्री अफगानिस्तान में ध्यान लगाने दर्शन करने जाती हैं। उसके वंशज राम के सगे कैसे हो सकते हैं ? मूर्ख तो वे हैं जो बाबर गेंग की गुलामी हिन्दू हो कर भी करते हैं। भारत और भारतवासियों को राम असली आजादी का आव्हान हैं, वे मानों कह रहे हें कि अपनी स्वतंत्रता को पहचानों और उसे हांसिल करो। उन सभी तत्वों को भारत से बाहर करनें की जरूरत है जो भारत विरोधी हैं। भारत तेरे टूकडे होगें इंसा अल्ला - इंसा अल्लाह जपने वालों का भारत में कोई स्थान नहीं यह भारत को दिखाना होगा।  

भारत का आर्थिक उत्थान भी 

इस समय पूरा देश राम मय है। राम मय का मतलब रामधुन से सरोबोर से मतलब मीडिया व्यवसाय रामधुन पर है। झंडे बैनर राम मय, दीपावली की तरह उत्सव ...लाईटिंग , साज सज्जा ... प्रसाद ...उत्सव यह सब भारत को नई आर्थिक दिशा भी देनें वाला है। रोजगार देनें वाला भी है। सभी दृष्टि से आनन्द उत्सव है। इसमें हम सभी को अधिकतम सहभागी बन कर ऐतिहासिक बनाना है। 


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