राजस्थान के 13 जिलों की 3 लाख हैक्टर भूमी सिंचित करने वाली ERCP योजना स्वीकृत
राजस्थान विधानसभा चुनावों में पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना एक प्रमुख मुद्दा था और भारत के प्रधानमंत्री मोदीजी नें इसे पूरा करने की गारंटी दी थी, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के तुरंत बाद से ही इसको पूरा करने में आरहीँ सभी बाधाओं को दूर करने का कार्य चल रहा था। 20 साल से अटकी पड़ी इस परियोजना को प्रधानमंत्री मोदीजी की गारंटी नें मात्र दो महीने ही स्वीकृत करवा कर चमत्कार कर दिया । यह ऐतिहासिक लोककल्याणकारी निर्णय हुआ है, इससे राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों किसानों, उद्योगपतियों और युवाओं को लाभ मिलेगा। काफ़ी बड़ा भूभाग सिंचित होगा। जल की आवश्यकता की पूर्ति होगी। और व्यर्थ जा रहे जल को बचाया जा सकेगा।
भारत के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी नें भारत के महत्वकांक्षी उत्थान हेतु देश भर में नदियों के अधिशेष जल जो बह कर बेकार चला जाता है, को रोक कर, उसे बड़ी बड़ी केनालों द्वारा, जलाशयों में स्टोर करके, आवश्यकता वाले क्षेत्रों में डायवर्ट करके, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, पेयजल और ओधोगिक उपयोग कर नागरिकों की आय वृद्धि और रोजगार के अवसरों के लिए,एक स्वप्न देखा था। उन्होंने देश की अनेकों नदियों को जोड़ने की महत्वकांक्षी योजनाओं पर काम प्रारंभ भी किया था। जो देश को सम्पन्न बनाने व किसानों के जीवनस्तर को ऊँचा करने में बहुत उपयोगी होनें वाला था ।
किन्तु कांग्रेस और वामपंथियों नें अनेकानेक बधाएँ उत्पन्न कर इस कार्य को आगे नहीं बढ़ने दिया। तब की गठबंधन सरकारों के कारण भी यह कार्य प्रगति नहीं पा सका था।
किन्तु उस समय में भी मध्यप्रदेश से निकलने वाली और राजस्थान में बहने वाली पार्वती, काली सिंध और चंबल को जोड़ने की योजना पर काम प्रारंभ हुआ था, मगर राज्य सरकारों के आपसी टकरावों के चलते बड़े काम नहीं हो पाये रहे थे। भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार में जो काम हुए, उससे आगे यह योजना अभी तक नहीं बड़ पाई थी , इसमें बड़ी बाधा मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार नें ख़डी की और राजस्थान की गहलोत सरकार को कुर्सी युद्ध से फुर्सत ही नहीं थी।
अब राजस्थान में भाजपा की भजनलाल शर्मा सरकार है, मध्यप्रदेश में भाजपा की मोहन यादव सरकार है और केंद्र में भाजपा की नरेन्द्र मोदीजी की सरकार है, अर्थात डबल इंजन सरकारें हैँ, इसका फायदा यह हो रहा है कि इस योजना पर दोनों राज्य सरकारें, केंद्र की गाइड लाईन से काम करने तैयार ही गईं हैँ, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की सक्रियतापूर्ण भगीदारी से सभी बाधाओं को दूर करवा करवा दिया है। जिसके चलते इस योजना को पूर्ण करने का MOU हो गया है। इससे इस की लागत का 90 प्रतिशत व्यय भी केंद्र सरकार से मिलेगा। इसलिए यह योजना जल्द पूर्ण होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदीजी की सरकार काम करके दिखाती है, इसलिए इस परियोजना पर काम भी तेजी से होगा और जमीन पर लाभ भी बहुत जल्द दिखने लगेगा।
पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना की स्वीकृती मोदीजी द्वारा दी गईं गारंटी की पूर्ति है, इसके लिए प्रधानमंत्री मोदीजी का आभार एवं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मुख्यमंत्री मोहन यादव को धन्यवाद।
इस योजना को समझनें के लिए इस पृष्ठ को पूरा पड़ेंगे तो सभी उत्तर मिल जायेंगे......
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ERCP को लेकर राजस्थान-मध्य प्रदेश में MOU साइन:पानी के बंटवारे पर बनी सहमति; पूर्वी राजस्थान और मप्र के चंबल-मालवा को मिलेगा फायदा1- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) में पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता हो गया। दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने MOU साइन किया। रविवार शाम करीब साढ़े सात बजे दोनों सरकारों के बीच पार्वती-कालीसिंध-चंबल रिवर लिंक परियोजना पर सहमति बनी। अब चंबल, पार्वती और कालीसिंध नदी को जोड़कर बड़ी आबादी तक पानी पहुंचाने का सपना साकार होगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुल 26 जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इस हेतु कई डेम बनेंगे, कई डेमो का जीर्णोद्धार भी होगा और नहरें बनेंगी।
2- राजस्थान के झालावाड़, बारां, कोटा, बूँदी, सवाई माधोपुर, करोली, धौलपुर,भरतपुर ,दौसा,अलवर,जयपुर,अजमेऱ और टोंक आदि 13 जिलों का लाभ होगा.
3- राजस्थान के 13 जिलों के 25 लाख किसानों की 2 लाख 80 हजार हैक्टर भूमी सिंचित होगी और पेयजल तथा ओधोगिक जरूरत को पूरा किया जायेगा। यह लाभ इन जिलों की 40 प्रतिशत आबादी को मिलेगा। कृषि उत्पादन बड़ेगा और किसानों की आय वृद्धि होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
4- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- ईआरसीपी राजस्थान और मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। किसानों के लिए महत्वपूर्ण इस परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत गंभीर हैं। आज इसे लेकर सरकार और दोनों राज्यों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- ईआरसीपी राजस्थान और मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। किसानों के लिए महत्वपूर्ण इस परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत गंभीर हैं। प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद इस परियोजना पर सहमति बनाने के लिए दोनों राज्यों की सरकारों के बीच बैठक हो रही थी। आज इसे लेकर सरकार और दोनों राज्यों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) से मध्यप्रदेश और राजस्थान का सर्वांगीण विकास होगा।
प्रदेश में 2.80 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को मिलेगा सिंचाई जल
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा- ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। प्रदेश के 2,80,000 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। परियोजना से 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल और प्रदेश की करीब 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
पूर्ववर्ती राज्य सरकार की उपेक्षा से प्रभावित हुई परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार ने रिफाइनरी और ईआरसीपी जैसी परियोजनाओं को पूरा करने की जगह अटकाने का काम किया था। पिछले पांच सालों में इस परियोजना में सिर्फ खानापूर्ति की गई है। लेकिन, अब इस पर काम शुरू हो गया है।
-- मध्यप्रदेश के शिवपुरी,ग्वालियर, भिंड, मुरैना,इंदौर और देवास सहित 11 जिलों को लाभ मिलेगा जो सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और ओधोगिक आवश्यकताओं को पूरा करेगा
- भूमिका ---
डबल इंजन की सरकार बनते खुले ERCP के दरवाजे, गजेंद्र सिंह शेखावत की पहल पर राजस्थान-मध्य प्रदेश में बनी सहमति
- ERCP Project: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना Eastern Rajasthan Canal Project (ERCP) पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सहमति बन गई है। बुधवार को राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के अधिकारियों की इस मुद्दे पर अहम बैठक हुई. जिसमें ईआरसीपी को पीकेसी नदी जोड़ो योजना से लिंक करने पर चर्चा हुई.
27 December, 2023
डबल इंजन की सरकार बनते खुले ERCP के दरवाजे,केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की पहल पर राजस्थान-मध्य प्रदेश में बनी सहमति
ERCP Project: पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए महत्वपूर्ण पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना Eastern Rajasthan Canal Project (ERCP) पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सहमति बन गई है. बुधवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की पहल पर दिल्ली में राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के अधिकारियों की इस मुद्दे पर अहम बैठक हुई. जिसमें ईआरसीपी को पीकेसी नदी जोड़ो योजना से लिंक करने पर चर्चा हुई. दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच हुई बातचीत सकारात्मक रही. ईआरसीपी को अब नदी जोड़ो प्रोजेक्ट में शामिल करते हुए इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की तैयारी है.
दरअसल पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदी जोड़ने के प्रोजेक्ट में ईआरसीपी को शामिल किया जाएगा. बुधवार को हुई बैठक ईआरसीपी के ड्राफ्ट MOU के हुई. जनवरी में ड्राफ्ट तैयार होगा. मार्च 2024 तक एमओयू पर साइन होने के बाद यह काम आगे बढ़ेगा. किन्तु साइन 28 जनवरी को हो गए इससे प्रतीत होता है कि काम तेजी से आगे बड़ेगा।
ईआरसीपी राजस्थान का बड़ा चुनावी मुद्दा
बताया गया कि इस मॉडल से ईआरसीपी को एक तरह से राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल जाएगा. इसके बाद इस परियोजना पर खर्च होने वाली भारी-भरकम लागत का करीब 90 फीसदी पैसा केंद्र सरकार देगी. मालूम हो कि ईआरसीपी राजस्थान का बड़ा मुद्दा है. चुनाव के समय भी इस मु्द्दे पर खूब राजनीति हुई थी. कांग्रेस का आरोप था कि केंद्र सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं कर रही है. जबकि भाजपा की ओर से वसुंधरा राजे ने कहा था कि ईआरसीपी पर हमने जो काम किया, वही हुआ. गहलोत सरकार ने बेवजह इसकी अटकाई रखी.
चुनावी जीत के बाद वादों को पूरा करने में जुटी भाजपा
चुनाव में मिली जीत के बाद अब राजस्थान में भाजपा की नई सरकार तेजी से अपने चुनावी वायदों को पूरा करने में जुटी है. पेपर लीक मामले में एसआईटी का गठन, अपराध पर कंट्रोल के लिए एंटी गैगस्टर टीम का गठन, एक जनवरी से 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा के बाद अब सालों से लंबित चल रहे ईआरसीपी परियोजना के रास्तों की अड़चनें दूर हो रही है.
2017 के डीपीआर में 37,247 करोड़ थी लागत राशि
2017 में राजस्थान सरकार की ओर से पेश किए गए डीपीआर के अनुसार ईआरसीपी के लिए 37,247 करोड़ रुपए की लागत राशि बताई गई थी. यह लागत राशि 2014 के हिसाब से तय हुई थी. अब इसकी लागत और बढ़ गई होगी. ईआरसीपी के मुद्दे पर दोनों राज्यों में बनी सहमति के बाद अब राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव आपस में बैठक कर फाइनल रूपरेखा तैयार करेंगे. इसके बाद ईआरसीपी को लेकर फाइनल एमओयू साइन होगा.
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सीएम मोहन यादव ने जयपुर में प्रेसवार्ता में कहा कि मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बनी, लेकिन राजस्थान सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब मुझे इस बात का संतोष है कि जैसे ही राजस्थान सरकार बनी, इस मुद्दे पर काम शुरू हुआ। मध्य प्रदेश सरकार तो पहले से उस मुद्दे को ले रही थी। इस योजना के पूरा होने से शिवपुरी, ग्वालियर ,भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास सहित कई जिलों में न केवल पेयजल बल्कि औद्योगिक जरूरत को पूरा करेगी। इसमें 7 डेम बनेंगे। अभी कुछ इशू बाकी है। अधिकारी लेवल पर चर्चा जारी है। शाम तक इस पर फैसला हो जाएगा। उन्होंने कहा कि महाकाल की नगरी में रहता हूं, जल ही जीवन है के आधार पर संस्कृति को मानते हैं। उम्मीद है कि आज शाम तक हमारा एमओयू पूरा हो जाएगा। औद्योगिक निवेश, पेयजल, शैक्षणिक संस्थाओं को खुलने का धार्मिक पर्यटन के केंद्र बनेंगे। सिंचाई का बड़ा बेल्ट खुलेगा और हमारे ड्राई एरिया में पंजाब हरियाणा की तरह झलक दिखेगी।
इस मामले में उन्होंने केवल राजनीति की - मुख्यमंत्री शर्मा
सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि हमारी जब से सरकार बनी तब से लगातार बातचीत चल रही थी। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण योजना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नदी से नदी जोड़ने का जो सपना था। उसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान आ रहा था। अटलजी के समय नींव रखी गई। लेकिन उसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई। 2013 में जब सरकार आई हमने फिर इस पर काम किया। इसकी डीपीआर बनाने का काम भी हुआ। इसके बाद दोनों जगह अलग-अलग पार्टियों की सरकार बनी। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन उन्होंने राजनीति के अलावा कुछ नहीं किया। राजस्थान के 13 जिले को इस योजना के पूरा होने से पानी मिलेगा। 2लाख 80000 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। कई हमारे वन क्षेत्र हैं, जिसमें हमे लाभ मिलेगा। प्रमुख रूप से पेयजल की जो समस्या है उसका समाधान होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राजस्थान की जनता से हमने जो वादा किया, निश्चित रूप से जल्दी ही हम उस वादे को पूरा करेंगे। आज कुछ इशू है, कुछ प्रमुख बातें हैं उन सब का समावेश होगा।
राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच यह है विवाद
ईआरसीपी के लिए बांध बनाने व पानी के शेयर को लेकर मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद चल रहा है। राजस्थान सरकार का तर्क था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार ही बांध बनाए जा रहे हैं। यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराज का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो तो ऐसे मामलों में राज्य की सहमति जरूरी नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी। जब पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने खुद के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का फैसला किया और बांध बनने लगे तो मध्यप्रदेश की कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
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पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना
20 Mar 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (Eastern Rajasthan Canal Project- ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की गई है।
इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने हेतु 90% राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
ERCP की अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए है।
प्रमुख बिंदु: -
राज्य जल संसाधन विभाग के अनुसार, राजस्थान का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 342.52 लाख हेक्टेयर है जो संपूर्ण देश के भौगोलिक क्षेत्र का 10.4% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। देश में उपलब्ध कुल सतही जल की 1.16% और भूजल की 1.72% मात्रा यहाँ पाई जाती है।
राज्य जल निकायों में केवल चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल की उपलब्धता है परंतु इसके जल का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोटा बैराज के आस-पास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है।
ERCP का उद्देश्य मोड़दार संरचनाओं की सहायता से अंतर-बेसिन जल अंतरण चैनलों को जोड़ने तथा मुख्य फीडर चैनलों को जल आपूर्ति हेतु वाटर चैनलों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो राज्य की 41.13% आबादी के साथ राजस्थान के 23.67% क्षेत्र को कवर करेगा।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के बारे में:
1- ERCP का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव है।
2- ERCP को वर्ष 2051 तक पूरा किये जाने की योजना है जिसमें दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन हेतु पीने के पानी तथा औद्योगिक गतिविधियों हेतु पानी की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है।
इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
3- 13 ज़िलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं।
लाभ:-
1- महत्त्वपूर्ण भू-क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।
2- इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूजल तालिका (Ground Water Table) में सुधार होगा।
3- यह लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करेगा।
4- यह परियोजना विशेष रूप से दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (Delhi Mumbai Industrial Corridor- DMIC) पर ज़ोर देते हुए इस बात की परिकल्पना करती है कि इससे स्थायी जल स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा जो क्षेत्र में उद्योगों को विकसित करने में मदद करेंगे।
5- इसके परिणामस्वरूप राज्य में निवेश और राजस्व में वृद्धि होगी।
चंबल नदी-
- यह नदी मध्य प्रदेश के महू जिले में जनापाव पहाड़ी से निकलती है।
- महाभारत तथा मेघदूत जैसे प्राचीन ग्रंथों मे भी चंबल नदी का उल्लेख प्राप्त होता है।
- चंबल नदी पर भैंसरोड़गढ़ के पास प्रख्यात 'चूलिया' प्रपात है।
1- यह भारत की सबसे कम प्रदूषित नदियों में से एक है।
2- इसका उद्गम स्थल विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलान पर स्थित सिंगार चौरी (Singar Chouri) चोटी है। यहाँ से यह लगभग 346 किमी. तक मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा की ओर बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 225 किमी. है जो इस राज्य के उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
उत्तर प्रदेश में इस नदी की कुल लंबाई लगभग 32 किमी. है जो इटावा में यमुना नदी में मिल जाती है।
3- यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं।
4- राजस्थान में हाडौती/हाड़ौती का पठार (Hadauti Plateau) चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
5- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, क्षिप्रा, पार्वती आदि।
6- चंबल नदी की मुख्य बिजली परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
7- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) उत्तर भारत में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ घड़ियाल, रेड क्राउन्ड रूफ कछुए (Red-Crowned Roof Turtle) और लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन (राष्ट्रीय जलीय पशु) के संरक्षण के लिये चंबल नदी बेसिन के क्षेत्र में 5,400 वर्ग किमी. में फैला त्रिकोणीय राज्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश) संरक्षित क्षेत्र है।
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