श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति में अडंगों के लिये कांग्रेस को मॉफी मांगनी चाहिए - अरविन्द सिसौदिया

Congress should apologize for the obstacles in the Mukti of Shri Ram Janmabhoomi - Arvind Sisodia 


 Arvind S Sisodia (@ArvindSSisodia) / Twitter

 में भी कारसेवक था मुझे हक है कि में कांग्रेस से माफी का आग्रह कर सकूं ।

shri ram janmabhoomi teerth kshetra trust releases pictures of the proposed  ram mandir models in ayodhya ahead of ram mandir bhoomi pujan - ऐसा दिखेगा  अयोध्या का भव्य राम मंदिर, प्रस्तावित मॉडल

  श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति में अडंगों के लिये कांग्रेस मॉफी मांगे

 - अरविन्द सिसौदिया

श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति, कांग्रेस का कभी मुद्दा नहीं रहा बल्कि कांग्रेस ने ही तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनिति के लिये श्री रामजन्म भूमि पर मंदिर नहीं बनने दिया । जबकि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और के एम मुन्सी जैसे दिग्गज कांग्रेसियो नें सोमनाथ पर भव्य मंदिर निर्माण का शुभारम्भ करवाया था। वहां पूर्व निर्मित मस्जिदें और कब्जे हटा दिये गये थे । भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के विरोध के बावजूद, राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी ने सोमनाथ मंदिर के शुभारम्भ समारोह में भाग लिया था। 

1951 में जब मंदिर का पुननिर्माण पूरा हुआ तो खुद सरदार वल्लभभाई पटेल इसके उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए मौजूद नहीं थे. राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) को मंदिर के उद्घाटन करने का न्योता दिया गया और उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया, लेकिन जवाहरलाल नेहरू को यह पसंद नहीं आया

 किन्तु अयोध्या में जवाहरलाल नेहरू के हट के कारण श्रीराम जन्म भूमि का मसला अटक गया । उत्तरप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने ही मंदिर बनने में अडंगा लगाया और लगातार कांग्रेस सरकारें इसके विरूद्ध रहीं अदालतों तक में कांग्रेस के दिग्गज वकीलों ने इसे नहीं बनने देनें की लडाई लडी ।

 कांग्रेस के किसी भी चुनावी घोषणा पत्र में, कार्यक्रम में,अभियान में श्रीराम जन्म भूमी मुक्ति कभी भी विषय के रूप में सम्मिलित नहीं हुआ है। बल्कि उन्होने श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति हेतु कारसेवा करने गये कारसेवकों के कारण 4 भाजपा सरकारें , यूपी की कल्याण सिंह सरकार, हिमाचल प्रदेश की शांता कुमार, राजस्‍थान की भैरोंसिंह शेखावत और एमपी की सुंदरलाल पटवा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करवा दिया था ।

 उत्तरप्रदेश सरकार कानून व्यवस्था में फैल रही यह मान भी लियर जाये तो अन्य तीन सरकारों का क्या दोष था। कारसेवक तो पूरे देश से आये थे कांग्रेस शासित राज्यों से भी , वहां की सरकारे क्यों बर्खास्त नहीं की गई ।कांग्रेस नेता कपिल सिब्ब्ल राम जन्मभूमि प्रकरण में न्याय को विलत्बित कराते हुये स्पष्टतः देख्रे गये हैं|  मुस्लिम बोट बैंक के लिये न्याय, अधिकार और सत्य के विरूद्ध हमेशा कांग्रेस ने अगुवाई की और उसी के परिणाम स्वरूप आज हांसिये पर सिकुडी पढ़ी है। कांग्रेस अपनी खिसियाहट मिटानें के लिये श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में कई बयान दे सकती है मगर असलियत यही है कि जवाहरलाल नेहरू और उनके बाद के वंशज राजनेता श्रीराम जन्म भूमी मुक्ति के विरोधी ही रहे हैं। महात्मा गांधी ने पूरा स्वतंत्रता आंदोलन रघुपजि राघव राजा राम का भजन गाते हुये चलाया । नेहरूजी ने कभी विरोध नहीं किया मगर सत्ता आते ही उन्ही श्रीराम को ताले में बंद करवा दिया । कभी यह ध्यान नहीं किया कि स्वतंत्रता का मूल मंत्र बने श्रीराम को सम्मान तो दिया जाये। इसलिये कांग्रेस को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि मुक्ति में बाधा खडी करने के लिये हिन्दू और हिन्दूस्तान से क्षमा भी मांगनी चाहियें । ठीक उसी तरह जिस तरह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने सिख नरसंहार के लिये कांग्रेस की ओेर से क्षमा मांगी थी। कांग्रेस नें श्रीराम की जन्मभूमि की मुकित में जो अडंगेबाजी की थी वह इस देश की स्वतंत्रता के प्रति अपराध था, न्याय का वचन देनें वाले संविधान के साथ धोखाधडी थी।..जो महात्मा गांधी प्रतिदिन हजारों वार जिन प्रभुराम का नाम जाप करते थे, रामराज की कल्पना करते थे। रघुपतिराघव राजा राम का भजन पाठ करते थे, उन महात्मा गांधी की आत्मा को दुःखी करने का काम भी कांग्रेस नें श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति में अडंगे डाल कर किया।  

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भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में आस्था का दरबार सज रहा है। राम जन्मभूमि परिसर पर भव्य मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराया जा रहा है। आज के ही दिन तीन साल पहले यानी 5 अगस्त 2020 को पीएम पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामलला के मंदिर के निर्माण का शिलान्यास किया गया था। 

5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ, संघ प्रमुख मोहन भागवत और अन्य साधु-संतों की उपस्थिति में राम मंदिर का शिलान्यास किया था। राम मंदिर के उद्घाटन की भी तरीख आ चुकी है। 22  जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन है। 

5 अगस्त 2023 की स्थिति को देखें तो अयोध्या में कई बदलाव हो गए हैं। रामलला का भव्य मंदिर आकार लेने लगा है। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के कार्य को पूरा कराया जा रहा है। गर्भगृह के निर्माण की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक पहले फेज का काम पूरा हो जाएगा। अयोध्या में राम का धाम तीन फेज में तैयार कराने का निर्णय लिया गया है। 

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साल 2005 में सिख दंगों की जांच कर रही नानावटी आयोग की रिपोर्ग् संसद में पेश की गई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चर्चा के दौरान  राज्य सभा में सिख दंगों के लिय माफी मांगी थी। मुझे न केवल सिख समुदाय से बल्कि पूरे देश से फिर माफी मांगने में  कोई झिझक नहीं है। 1984 में जो कुछ भी हुआ था, वह राष्टीय भावना के खिलाफ था। इसलिये सरकार और राष्ट की ओर से मेरा सिर शर्म से झुक जाता हे।

इसके अतिरिक्त कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने इस धटना पर खेद प्रगट किया था तथा बाद में रहुल गांधी ने भी मनमोहनसिंह ओेर सोनिया गांधी के कथन से सहमति प्रगट की थी।। अर्थात तीन बार माफी मांगी गई । 

अयोध्या में श्रीराम जी के साथ क्या नही हुआ 

क्या कोई कांग्रेसी भगवान श्रीराम को अयोध्या में ताले में 37 वर्षों तक बंद रखे जानें के लिये क्षमा मांगेगा । क्या कोई राम लला के टाट में रखे जानें पर क्षमा मांगेगा, वहां सशर्त अस्थाई मंदिर बनाया ही जा सकता था । अथवा श्रीराम जन्म भूमि की मुक्ति में अनेकों बाधाये उत्पन्न करने के लिये माफी मांगेगा। अथवा श्रीराम सेतु को तोडने के क्रम में न्यायालय में श्रीराम को काल्पनिक बताये जानने के शपथ पत्र पर माफी मांगेगा । राम लला का इतना अपमान ....!   

 अधिक समय नहीं हुआ। जब यह पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ थी, तब इसने भगवान राम को काल्पनिक बताया था। यह बात कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कही गई थी। यह साल 2007 का समय था, केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी। उस समय केंद्र सरकार एक महत्वकांक्षी परियोजना पर काम कर रही थी जिसका नाम था “सेतु समुद्रम परियोजना”। इस परियोजना के अंतर्गत भारत के पूर्वी तट से पश्चिमी तट के बीच चलने वाले समुद्री जहाजों के लिए एक शार्टकट बनाने के उद्देश्य से मन्नार की खाड़ी और पाक-बे को अलग करने वाली पतली भूमि की पट्टी को काट कर पानी में जहाजों के आने जाने के मार्ग के निर्माण होना था।

मन्नार की खाड़ी और पाक-बे को अलग करने वाली यही पतली भूमि की पट्टी को राम सेतु कहा जाता है। मान्यता है कि राम सेतु भगवान राम की सेना को लंका तक पहुंचाने के लिए वानरों द्वारा बनाया गया था। जब इस परियोजना का विरोध हुआ तो तत्कालीन संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने राज्यसभा (14 अगस्त, 2007) में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए दावा किया कि राम सेतु के संबंध में कोई पुरातात्विक अध्ययन नहीं किया गया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में भी तत्कालीन यूपीए सरकार ने हलफनामा दिया कि भगवान राम थे ही नहीं और राम सेतु जैसी भी कोई चीज़ नहीं है, यह एक कोरी कल्पना है। कहा गया था कि रामायण में जो वर्णित है, उसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। कांग्रेस नेता कपिल सिब्ब्ल केंद्र सरकार की ओर से वकील थे। कांग्रेस के अनेक नेता बचाव में थे। विपक्ष के दबाव और सुप्रीम कोर्ट में अपील ने स्थिति संभाली, नहीं तो कांग्रेसनीत यूपीए सरकार रामसेतु को तोड़ने का मंसूबा बना चुकी थी।


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