सुनो विघ्न असंतोषी, जनमत रामजी के साथ खड़ा है - अरविन्द सिसोदिया Ram Mandir

सुनो विघ्न असंतोषी, जनमत रामजी के साथ खड़ा है - अरविन्द सिसोदिया

भजन..
आनंद है उत्सव है सब और राम ही राम हैँ,
श्री राम की प्रभुताई को कोटि कोटि प्रणाम है।
प्रणाम है प्रणाम है कोटि कोटि प्रणाम है।
भव्य है दिव्य है मंदिर तो अविराम है।
युगों युगों से रहा यह पवित्रता का धाम है।
अयोध्या में रामलला का भव्य और दिव्य मंदिर बन रहा है। मंदिर के गर्भ गृह पूर्ण हो चुका है, इसमें 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रोक़्त विधि से की जा रही है। जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्थापित किया जायेगा।

यूँ तो 17.5 लाख वर्ष पूर्व त्रेता युग से ही अयोध्या में रामजी विराजमान है। एक युग में लाखों वर्ष होते है। त्रेतायुग और कलयुग के बीच द्वापर युग भी बीता है। द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष का था। कलयुग के भी 5 हजार वर्ष गुजर चुके हैँ। इन दोनों युगों से पूर्व त्रेता में जो कि स्वयं 12 लाख 96 हजार वर्ष का था, में कभी श्रीराम जी का जन्म हुआ था। क्योंकि वैज्ञानिक साक्ष्य राम सेतु की आयु 17.5 लाख वर्ष पूर्व की मानते हैँ जो त्रेता युग में ही बैठती है।

श्रीराम लला के मंदिर का पुर्ननिर्माण तो प्रत्येक हजार दो हजार साल में होता ही रहा होगा। अर्थात अनेकों बार निर्माण हुआ और यह सतत प्रक्रिया है जो कभी उज्जैन के राजा विक्रमदित्य द्वारा तो कभी इंदौर की राजमाता अहिल्याबाई होल्कर द्वारा संपादित हुईं अब यही सब भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हो रहा है।

कांग्रेस क्या कहती है यह सुनना ही छोड़ दीजिए क्यों की इसकी स्थापना ब्रिटेन के ईसाई अधिकारी ए ओ ह्युम नें भारत के लोगों को ब्रिटिश राजभक्त बनाने की थी और कांग्रेस आजीवन ब्रिटेन की सेफ्टीवाल बनी रही। आज भी कांग्रेस की वही ब्रिटिश नीती लागू हैँ, हिन्दू मुस्लिम लड़ाओ और शासन सुःख पाओ....! कांग्रेस हाई कमान ईसाई मत मानने वाला है जो हिन्दू मुस्लिम मतभेदों को बनाये रख कर सत्ता सुःख प्राप्त करना चाहता है। इसलिए इस धूर्त दल की कोई भी बात सुननी ही नहीं चाहिए।

अयोध्या में राम लला के मंदिर का यह निर्माण, पहले हुए अन्य निर्माणों से भिन्न इसलिए है कि इस पर विदेशी आक्रमणकारीयों नें अतिक्रमण कर इसे ध्वस्त कर इस पर अबैध मस्जिद का निर्माण कर लिया था। 500 सालों से भी अधिक समय तक यह अतिक्रमण बना रहा, इसे ब्रिटिश सरकार नें और कांग्रेस सरकार नें भी बनाये रखा। अब यह मुक्त होकर पुनः अपने निर्माण को प्राप्त हो रहा है। यह अवसर न तो जल्दी - जल्दी प्राप्त होता है और न ही बहुत सहज व आसान होता है। इस तरह का अवसर हजारों लाखों वर्षो के अंतराल में भाग्यवान लोगों को ही प्राप्त होता है। जो इसके साक्षी बन पाएं। अर्थात इस समय जो इसे जीवंत होते देख रहे हैँ वे सभी भाग्यशाली हैँ, पुण्यआत्माएँ हैँ।

हम सभी नागरिक इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैँ, जैसे देश में कोई बड़ा उत्सव हो इस तरह का माहोल बना हुआ है। सभी और राम धुन गुनगुनाई जा रही हैँ, हजारों नये नये राम भजन और गीत बन रहे, नई नई धुनें बन रहीं हैं, पूरे देश में ही नहीं विश्वभर में रामनाम की धूम मची हुईं हैं। पारिवारिक उत्सव की तरह प्रत्येक नागरिक इस शुभअवसर के लिए कोई न कोई तैयारी कर रहा है। नित नये प्रयोग हो रहे हैँ।

घर घर पीले चावल अक्षत पहुंच रहे हैँ, आमंत्रण पत्र पहुंच रहे हैँ। टोलियों में, रैलियों में, शोभायात्राओं में मोहल्ले कस्बे उत्सव मय हैँ। डीजे से लेकर मोबाईल और अख़बार, चेनल्स से लेकर सोसल मीडिया तक सब कुछ राम मय है।

निश्चित ही इस तरह की स्थिति में उन लोगों का मानसिक संतुलन खो सकता है जो इसके विरोधी रहे हैँ। यूँ भी ईसाई मत के पोप इस सहस्त्रावदी में भारत सहित एशिया महाद्वीप को ईसाई बनाने का लक्ष्य दे ही चुके हैँ।

भारत का प्रत्येक मुसलमान जानता है कि बाबरी ढांचा अतिक्रमण था... हिन्दुओं का स्थान था...! परेशान वे हैँ जिन्हे वोट बैंक की राजनीति करनी है।

कॉंग्रेस बहुत सारे षड्यंत्र उपस्थित करेगी, किन्तु जनता सभी षड्यंत्र विफल करेगी। क्योंकि रामजी भाजपा या संघ के नहीं बल्कि कोटि कोटि अखण्ड बृह्माण्ड नायक हैँ...। कांग्रेस को 50 साल से ज्यादा अवसर मिला था कि वे सोमनाथ की तर्ज पर अयोध्या, काशी, मथुरा को भी आजाद करते, हिन्दुओं को सौंप देते, देश इन्ही सभी परतन्त्रताओं से तो मुक्त हुआ है। एक लाईन का निर्णय संसद से पास करना था। कांग्रेस पूरी तरह से चूक गईं या वह ब्रिटिश नीती पर हिन्दू मुस्लिम लड़ाओ और सत्ता सुःख पाओ की नीती पर चलती रही। कांग्रेस के ईसाई हाइकमान की लाख कोशिशों के बाद भी 90 प्रतिशत कोंग्रेस के हिन्दू रामजन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाएंगे। उन्हें तो समाज में रहना है। इटली या पाकिस्तान थोड़े ही जाना है! 

यह सब.... राम के प्रभाव का, राम की मर्यादा का, राम की आभा का, राम के सदचरित्र का, राम के लोककल्याण की स्तुति है। इसके प्रति बैर भाव ठीक नहीं.... संघ, विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा नें मुक्ती के लिए संघर्ष किया है तो उन्हें श्रेय तो मिलेगा ही.... कांग्रेस सहित जिनने बाधा डाली वे विलेन ही मानें जायेंगे...!

राम देश के रोम रोम में रचे बसे हैँ। राम का नाम ही मर्यादाओं का उदघोष है। पूरे रघुकुल के राजाओं नें, कष्टों को सहन कर मर्यादाओं को स्थापित किया है। इसी क्रम में तमाम विवादों के बाबजूद श्रीराम मंदिर भी सभी मर्यादाओं का पालन करके मुक्त हुआ है और निर्मित हुआ है। राम मंदिर के विवाद में भी पूरी न्यायिक व्यवस्था का सम्मान करके मंदिर बन रहा है अन्यथा सोमनाथ की तरह भी बन सकता था। किन्तु राम का अर्थ ही मर्यादा है। इसीलिए तमाम आंदोलनों के वाबजूद यह रामजी की ही लीला थी कि मंदिर सभी न्यायायिक मर्यादाओं की पालना के साथ बन रहा है।

रामकाज मे अडंगे डालने की कोशिशेँ खूब हुईं, किन्तु राम जी ने अपने स्वभाव के अनुरूप धैर्य का परिचय दिया, पूरे 70 साल से ज्यादा स्वतंत्र भारत को भी उन्होंने मुक्ती के लिए समय दिया ...। अब किसी को अड़ंगा नहीं बनना चाहिए और न ही जनमत कोई अड़ंगा सहन करेगा।

अब रामजी का मंदिर बन गया, गर्भ गृह तैयार है, 22 जनवरी 2024 को राम लला उसमें विराज जायेंगे।

यह भी सही है कि कांग्रेस सहित बहुत से दल इसमें विघ्न डालने की कोशिश कर रहे हैँ।... लेकिन देश का पूर्ण जनमत रामजी के साथ खड़ा है...


*रामद्रोहियों को उत्तर*
कभी  सुना है, गणिकाओं ने, 
चरित्रवान के गुण गाये हों।
कभी सुना है, नागफनी पर, 
सुन्दर  मीठे   फल आये हों।। 

कभी  सुना  है,  कोई  विषधर,
पीकर दूध जहर न उगले। 
कभी  सुना  है, कोई बन्दर 
पाकर के तलवार न उछले।।

कभी  सुना है , नाली  के  कीड़े, 
चन्दन बनकर  महके हों।
कभी  सुना है कर्कश  कौवे,  
कोयल  बनकर चहके हों।।

कभी सुना है, किसी धूर्त ने, 
वीरों  का  सम्मान किया हो। 
कभी सुना है, गद्दारों  ने, 
भारत  माँ   का  मान किया हो।।

कभी सुना है, चरित्रहीन ने, 
भारत माँ का, लाल जना हो।
कभी सुना  है,  कोई पापी, 
हिन्दू हित की ढाल बना हो।। 

बीमारी  है,  सत्य  सनातन,  
इसने  उन्नति  को रोका है।
अब, कुछ नाले, बोल रहे हैं,
पावन   गंगा   धोखा   है।।

वर्णसंकरों   की   औलादें,   
चरित्रवान   बनना  चाहें।।
दो कौड़ी के दुष्ट विधर्मी, 
सत्य सनातन छलना चाहें।। 

किसी  के  अब्बू, चारा खाकर, 
जेल काट कर आये हैं। 
और  किसी  के  अब्बाजान  ने,  
रामभक्त  मरवाए हैं।।  

आखिर,  कैसे नीच  लफंगे, 
सत्य   पुरातन  पहचाने।
कोई   कूकर,   शूकर  कैसे,  
मर्म  सनातन  का  जाने।।

समय मिलेगा, जब भी, इनको,
राम का ये अपमान करेंगे।
अरे  भाइयो!!  राक्षस  कैसे,  
रघुवर का गुणगान करेंगे।।

किन्तु, हम  सब राम के वंशज, 
इनको सबक सिखायेंगे।
प्राण  प्रतिष्ठा  के  दिन,  
हम-सब मिलकर पर्व मनायेंगे।।

इतना भव्य करो, इस दिन को,
कि रघुवर का मान रहे।
और  सनातन  सर्वश्रेष्ट  है,
सकल  विश्व  को भान रहे।।

हमको, यह सौभाग्य मिला है, 
इसको पावन खूब करें।
और  राम  से  जलने  वाले,  
जाकर  नाले में डूब मरें।।
   
जय श्री राम...



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