श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण मोदीजी की इच्छा शक्ति का ही परिणाम - अरविन्द सिसोदिया



श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण मोदीजी की इच्छा शक्ति का ही परिणाम - अरविन्द सिसोदिया   


- अरविन्द सिसोदिया, कोटा, 9414180151

श्रीराम जन्मभूमि पर विराट भव्य मंदिर बन कर तैयार है और उसमें रामलला 22 जनवरी 2024 को विराजमान होंगे। मूलतः यह भारत के सनातन हिन्दू धर्म के प्रमुख आस्था केंद्र तीर्थ अयोध्या धाम में, इस्लाम के द्वारा जबरिया अतिक्रमण किए गए, रामलला के चिरप्राचीन मंदिर को कानूनी माध्यम से मुक्त करवानें और उस पर पुनरनिर्माण करने का मामला है। यह देश के स्वतंत्र होनें जैसा ही है। 500 साल के जबरिया अतिक्रमण से अब जाकर यह मुक्त हुआ है और इसमें भगवान श्रीराम बाल स्वरूप में विराजमान होनें जा रहे हैँ।

अयोध्या में राम मंदिर के लिए करीब पांच शताब्दियों का इंतजार खत्म होने वाला है. राम मंदिर में राम लला की मूर्ति स्थापना के लिए 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा. प्राण प्रतिष्ठा के लिए सिर्फ 84 सेकंड का मुहूर्त रहेगा ।

विश्लेषण अनेकों हो सकते हैँ, श्रेय को लेकर भी अनेक तरह के तथ्य हो सकते हैँ । किन्तु यह प्रधानमंत्री मोदीजी की इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि सदियों सदियों खंडित किया गया भारतीय संस्कृति का आत्मगौरव पुनः उत्थान ले रहा है।अन्य सरकारों और नेताओं को भी अवसर मिला था मगर वे कुछ नहीं कर पाये, जो करेगा उसी को श्रेय मिलेगा ।



अयोध्या में रामलला के हक में भले ही सर्वोच्च न्यायालय नें निर्णय दे दिया... किंतु यदि यूपी और भारत देश में भाजपा की पूर्ण बहूमत सरकारें नहीं होती तो... एक ईंट भी नहीं लग पाती...। यह प्रधानमंत्री मोदीजी की इच्छा शक्ति का ही परिणाम है ...। इस कटु सत्य को भी ध्यान में रखना चाहिए। यदी किसी अन्य दल की सरकार होती तो, या मिली जुली सरकारें होती तो यह संभव नहीं होता। कानून व्यवस्था की आड़ लेकर न ट्रस्ट बनाती न ही निर्माण करवाती...!

कांग्रेस की केन्द्र सरकार के समय यदि सर्वोच्च न्यायालय रामलला के हक में यह फैसला दे देता, तो कांग्रेस के नेतागण इसे संसद से कानून बना कर रद्द कर देते, जैसे तलाकसुदा शाहबानों के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय ने भरण पोषण का फैसला दिया, तो मुस्लिम कट्टर पंथियों को खुश करनें के लिए कांग्रेस की राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार नें वोट बैंक की खातिर न्याय व निष्पक्षता को खारिज कर दिया था और अन्याय को बहाल कर दिया था। यही वह रामलला के फैसले के साथ करती। 

देश में आजादी के साथ गुजरात में सोमनाथ मंदिर का पुनः भव्य और दिव्य निर्माण हुआ, यह महात्मा गाँधी की सहमती से सरदार वल्लभ भाई पटेल नें करवाया, जिसे कांग्रेस के दिग्गजनेता व केंद्रिय मंत्री के एम मुंशी नें करवाया। उसी तर्ज पर अयोध्या, काशी, मथुरा और अन्य बहुत से मंदिरों से अतिक्रमण हटाकर उन्हें मुक्त करवाना और उन पर पुनर्निर्माण करवाना तत्कालीन कांग्रेस सरकारों की जिम्मेवारी थी। किन्तु वे वोट बैंक की राजनीति में उलझे रहे और गुलामी के प्रतीक स्वतन्त्रता के बाद भी हिन्दू समाज को चिढ़ाते रहे।

श्रीराम जन्मभूमि से अतिक्रमित बाबरी ढांचा हटनेँ के बाद एक समय इस तरह का भी आया जिसमें भाजपा गठबंधन की वाजपेयी सरकारें केंद्र में रहीं, किन्तु वे बहुत सारे अन्य दलों से मिल कर बनती रहीं, इसलिए विशेष कुछ नहीं कर पाई। 2014 में पहलीबार भाजपा को स्पष्ट बहूमत मिला जिससे मार्ग बना। अर्थात भाजपा को पूर्ण बहूमत होनें से ही यह भव्य और दिव्य निर्माण संभव हुआ है।



इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगीजी सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संघशक्ति का ही सर्वाधिक ही योगदान है, जो जन प्रबंधन, धन प्रबंधन, समाज में विषय को विराट बनाने आदि से लेकर अनेकानेक योजनाओं से उनका अविस्मरणीय योगदान निरंतर बना हुआ है। संघ के परिश्रम के बिना यह संभव ही नहीं था। यह संघ का बड़प्पन है कि वह श्रेय से कोसों दूर रहता है।

यूँ तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष श्रीराम जन्मभूमि मुक्ती का आंदोलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ही परिश्रम और पुरषार्थ था, चाहे विश्व हिन्दू परिषद हो या भाजपा हो, चाहे अशोक जी सिंहल रहे हों या लालकृष्ण अडवाणी जी....प्रधानमंत्री मोदीजी या मुख्यमंत्री योगीजी ये संघ शिक्षित स्वयंसेवक ही हैँ। इनके कृतित्व और व्यक्तित्व में संघ के ही विचार रचे बसे हैँ। जो इन्हे राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक गौरव के पुनरुत्थान के लिए निरंतर प्रेरित करते हैँ। इन सभी का लक्ष्य भारत माता को परम वैभव पर आसीन करना है।

 श्री राम जन्मभूमि मंदिर के पुनर्निर्माण पर, भाजपा को छोड़ कर, कांग्रेस व अन्य किसी विपक्षी दल को कोई बात करने का अधिकार ही नहीं है। उन्हें इस भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण पर न निमंत्रण का अधिकार है न ही कोई सलाह देनें का। क्यों कि कांग्रेस, सपा और राजद नें तो इस आंदोलन को कुचलने में कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी। रामजन्मभूमि मुक्ती यात्रा को रोकने और लालकृष्ण अडवाणी जी को गिरफ्तार करने का काम तो लालूप्रसाद यादव सरकार नें किया था, वहीं कारसेवकों के खून से सरयू को लाल मुलायम सिंह सरकार नें किया था, ढांचा ढहने पर भाजपा की चार राज्यों की सरकारें बर्खास्त करने का काम कांग्रेस सरकार नें किया था। कांग्रेस के कई सारे वकीलों नें बाधा ख़डी की थी। परम श्रृद्धेय बाल ठाकरे की शिव सेना भारतीय संस्कृति की उद्घोष थी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना हनुमान चालीसा पढ़ने पर ही रोक लगाने वाली है। साम्यवादी दल धर्म को अफीम मानते हैं और हिन्दू धर्म का विरोध भी करते है। जो कुछ आप में है, सामने वाला व्यवहार भी उसी से होगा। 

22जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि पर जो नवनिर्मित भव्य दिव्य मंदिर में रामलला विराजमान होनें जा रहे हैँ, उसके लिए प्रधानमंत्री मोदीजी की इच्छा शक्ति, मुख्यमंत्री योगीजी का कुशल प्रबंधन और संघ का समर्पण पूर्ण अद्वितीय सहयोग ही श्रेय का वास्तविक हकदार है। 

यूँ कहा जाये तो सिर्फ और सिर्फ संघ का विचार ही है जो भारत का राष्ट्रीय और सांस्कृतिक नवउत्थान कर रहा है।

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