370 वापसी की बात करना ही राष्ट्रविरोधी - अरविन्द सिसोदिया


भारत में संविधान के अनुछेद 370 की वापसी की मांग करने वाले लोग विभाजन की राजनीति कर रहे हैं -अरविन्द सिसोदिया

संविधान का विवरण 370 :- एक पृष्ठभूमि

आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक अस्थाई विशेष अनुच्छेद था, जो तत्कालीन परिस्थिति और नेशनल कांफेंस के मुखिया शेख अब्दुल्ला को जवाहरलाल नेहरू द्वारा  विशेष सम्मान देनें के लिए था । जो कि जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था।

मूलतः स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान जम्मू और कश्मीर की आजादी के लिए शेख अब्दुल्लाह के नेतृत्व में मुस्लिम कॉन्फ्रेंस नामक दल कशमीरघाटी में सक्रिय था , जिसका संबंध कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू से था । नेहरूजी अब्दुल्लाह के आंदोलन को समर्थन देनें कश्मीर गए थे , तब उन्हें तत्कालीन जम्मू और कश्मीर के राजा महाराजा हरीसिंह जी नें वापस भेज दिया था । यह अदावट नेहरूजी ने याद रखी और यह घटना हरीसिंह को भी याद थी । इस कारण जम्मू और कश्मीर का विलय नेहरू जी नें अपने हाथ में रखा । वे महाराजा हरीसिंह को सबक सिखाना चाहते थे । इस कारण विलय में देरी हुई , जिसका फायदा पाकिस्तान नें उठाया और सेना से कबाइली वेश में आक्रमण करवा दिया ।  सरदार पटेल और संघ के सरसंघ चालक गुरुजी के सहयोग से महाराजा नें विलय पर हस्ताक्षर कर दिये किन्तु नेहरूजी नें महाराजा को अपमानित करते हुए न केवल अब्दुल्लाह को जम्मू और कश्मीर की सत्ता सौंपी बल्कि उसे बराबरी का दर्जा देकर सहराष्ट्र जैसा दर्जा दिया , जो गेर जरूरी था ।

हालांकि नेहरूजी को अपनी गलती का अहसाह हुआ किन्तु तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि अब्दुल्लाह पाकिस्तान की मदद से जम्मू और कश्मीर को अलग स्टेट बनाना चाहता था । तब उसे गिरफ्तार कर जेल मरण डाला गया । मगर नेहरूजी की गलती देश को बड़ी मुसीबत बन गई ।

इस अस्थाई अनुच्छेद  का अस्तित्व जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग स्थिति में रखता था, वहीं इस राज्य में अलगाव व अराजकता का मुख्य कारण था । इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार नें 5 अगस्त 2019 का जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया । अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद यह प्रान्त लगातार शांत और सुशासित रहा है ।


विभाजनकारी नीति और कांग्रेस

कांग्रेस ने भारत में कभी भी राष्ट्रहित की राजनीति नहीं की बल्कि उसका विश्वास हमेशा हिन्दू वोटों को विभाजित करने और मुश्लिम वोटों को हिन्दू से डरा कर रखने में रहा । यह ब्रिटीशनीति कांग्रेस ने क्यों अपनाई यह रहस्य है ।  कांग्रेस लगातार बिना किसी ओचित्य के अनुच्छेद 370 की वापसी की मांग कर रही है ।

370 की वापसी की मांग करने वाले शब्द और शब्दावली ही विभाजनकारी और अराजकतावाद का समर्थन हैं। भारत के मुसलमानों को कांग्रेस नें पहले खिलाफत आंदोलन से जोड़ कर भारत से अलग होनें की मानसिकता को पनपाया था । जिससे भारत में हिन्दू मुस्लिम दंगों का जन्म हुआ । देश का विभाजन हुआ, भारत भूमि का ही एक अंग पाकिस्तान बना । यह भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ कांग्रेस का बड़ा कारनामा था ।

इंडी गठबन्धन की राष्ट्रविरोधी नीति
कांग्रेस के नेतृत्व में बना इंडी गठबन्धन मूलरूप से मुस्लिम वोट बैंक को प्राप्त करने वाले दलों का समूह है । इसमें राष्ट्रीय दल कांग्रेस है और अन्य दलों में राज्यस्तरीय दल हैं । इन सभी दलों का वोट बैंक एक ही है , इसलिए कांग्रेस राज्यस्तरीय दलों को निंगल जाना चाहती है तो राज्यस्तरीय दल कांग्रेस को निंगल जाना चाहते हैं । अर्थात दोनों धड़े एक दूसरे की सवारी कर रहे हैं । धारा 370 की वापसी अब संभव नहीं है मगर वोट बैंक को लॉलीपॉप डाले रखना है । जाती जनगणना से हिन्दू वोट बैंक को टुकड़े टुकड़े करने की साजिश ब्रिटिशकालीन है, इसी पर कांग्रेस चलती है , इसी पर अन्य मुस्लिम वोट बैंक परस्त चलते हैं । किंतु मुस्लिमों में भी जातियां हैं जनगणना में यदि मुस्लिम जातियों की भी जनगणना हुई तो , कांग्रेस का एजेंडा तो धरा रह जायेगा किन्तु में गली गली मोहल्ले मोहल्ले विभाजन हो जाएगा । इंडी गठबन्धन देश हित की हर बात की विरोधी है , इसलिए उसे ठीक से बेनकाब किया जाना चाहिए ।


आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी का भी मानना है कि अनुच्छेद 370 की वापसी की बात विभाजनकारी और अलगाववादी है

जब भी कोई राजनीतिक दल या नेता ऐसे संवैधानिक संप्रदाय की वापसी की मांग करता है जो पहले ही समाप्त हो चुका है, तो यह समाज में विभाजन पैदा कर सकता है। इससे न केवल राजनीतिक स्थिरता प्रभावित होती है बल्कि सामाजिक ताने-बाने भी ख़राब हो जाते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर देखा गया है कि कुछ समूह अपने हितों के लिए बड़े पैमाने पर जनसमर्थन समाधान प्राप्ति का प्रयास करते हैं, जिससे सामूहिक अलगाव और संघर्ष पैदा हो सकता है।

इस प्रकार, अनुच्छेद 370 की वापसी की मांग करने वाले लोगों को विभाजनकारी माना जा सकता है क्योंकि उनके संस्थान राष्ट्रीय एकता को कमजोर करते हैं और समाज में तनाव उत्पन्न करते हैं।

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