सामाजिक न्याय एवं वृद्धजन नागरिक कल्याण Varishthjan Kalyan
सामाजिक न्याय एवं वृद्धजन नागरिक कल्याण
- अरविन्द सिसोदिया 9414180151
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं वृद्धजन नागरिक कल्याण
1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का उद्देश्य
न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के सामाजिक छात्रों, विशेष रूप से वृद्ध नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और विकलांगों के कल्याण को सुनिश्चित करना है। यह विभाग विभिन्न सुरक्षा दस्तावेज़ और प्रोग्राम के माध्यम से सामाजिक संरक्षण प्रदान करता है।
2. माता-पिता और वृद्ध नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007
इस अधिनियम का उद्देश्य वृद्ध नागरिकों की देखभाल और उनकी शक्तियों की रक्षा करना है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख उपाय शामिल हैं:-
भरण-पोषण का अधिकार: - वृद्ध नागरिकों को अपने बच्चों या रिश्तेदारों से भरण-पोषण की मांग करने का अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति इस दायित्व को पूरा नहीं करता है, तो वरिष्ठ नागरिक न्यायालय में शिकायत कर सकता है।
कोर्ट में अपील: - यदि भरण-पोषण का भुगतान नहीं किया जाता है, तो वरिष्ठ नागरिक स्थानीय कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अदालत इस मामले में तत्काल निर्णय लेने के लिए बाध्य होती है।
सुरक्षा उपाय:- अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि वृद्ध नागरिकों को किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
3. क्षमता निर्माण कार्यक्रम
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वृद्ध नागरिकों के लिए उनके जीवन स्तर के विकास के लिए विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। ये कार्यक्रम समय - समय पर होते हैं:-
स्वास्थ्य देखभाल: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना।
आर्थिक संरचनाएं: वित्तीय प्रबंधन और निवेश संबंधी जानकारी प्रदान करना ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें।
सामाजिक भागेदारी : सामाजिक भागीदारी बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना ताकि वरिष्ठ नागरिक अकेलेपन महसूस न करें।
4. निष्कर्ष -
इस प्रकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा लागू किये गये नियम और प्रावधान केवल वृद्ध नागरिकों के भरण-पोषण की व्यवस्था नहीं करते बल्कि उनके समग्र कल्याण को भी सुनिश्चित करते हैं। माता-पिता और वृद्ध नागरिकों के भरण-पोषण कल्याण एवं अधिनियम, 2007 एक महत्वपूर्ण कानूनी संरचना प्रदान करता है जो उन्हें सुरक्षा और सहायता प्रदान करता है।
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- इस कानून के तहत, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को शांति से जीवन जीने का अधिकार मिलता है.
- इस कानून के तहत, वयस्क बच्चे और उत्तराधिकारी कानूनी रूप से अपने माता-पिता को मासिक वज़ीफ़ा देने के लिए बाध्य हैं.
- इस कानून के तहत, वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता भरण-पोषण का दावा स्वयं दायर कर सकते हैं.
- अगर वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता दावा दायर करने में असमर्थ हैं, तो वे किसी व्यक्ति या संस्था को दावा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं.
- इस कानून के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धाश्रमों में रखने के लिए भी प्रावधान है.
- इस कानून के तहत, वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता को भरण-पोषण अधिकरण के फैसलों के ख़िलाफ़ अपील करने का अधिकार है.
- इस कानून के तहत, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को इस कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश दे सकती है.
इस प्रश्न का उत्तर देने में प्रयुक्त शीर्ष 3 आधिकारिक स्रोत:
1. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (भारत सरकार)
यह भारत में सामाजिक न्याय और कल्याण से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार आधिकारिक सरकारी निकाय है।
2. माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007
यह प्राथमिक कानून है जो भारत में वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण के अधिकारों और प्रावधानों को रेखांकित करता है।
3. राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान (एनआईएसडी)
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक संस्थान जो वरिष्ठ नागरिकों को प्रभावित करने वाले सामाजिक सुरक्षा मुद्दों सहित अन्य मुद्दों से संबंधित अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
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