बदले राजनैतिक मिजाज के पीछे बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिकता हिंसा - अरविन्द सिसोदिया Bangladesh Hindu Surksha
लोकसभा चुनाव के बाद बदले राजनैतिक मिजाज के पीछे बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिकता
भारत में लोकसभा चुनाव के बाद बदले राजनीतिक मिजाज के पीछे बंगलादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा बड़ा कारण
भारत के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव
भारत में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों ने राजनीतिक परिदृश्य को काफी प्रभावित किया है। चुनाव परिणामों ने न केवल सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति को चुनौती दी , बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी एक नई ऊर्जा का संचार भी किया था। किन्तु यह प्रभाव कुछ महीने ही रहा कि अचानक भारत की राजनीति फिरसे भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे के पक्ष में खड़ी हो गई । इस परिवर्तन के पीछे कई कारक तत्व हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक बांग्लादेश में हो रही हिन्दू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा मुख्य है।
कांग्रेस गठबन्धन की हार का कारण हिन्दू विरोधी होना
कांग्रेस और समाजवादी दल इन चुनाव परिणामों को पचा नहीं पा रहे हैं किंतु सच यही है कि अब कांग्रेस देश में हिन्दू विरोधी पार्टी मानी जाने लगी है यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है । जिन प्रान्तों में पर्याप्त मुस्लिम वोट हैं वहां हिन्दू ध्रुवीकरण स्वाभाविक है । यह बात नहीं समझना ही कांग्रेस को घातक हो रहा है ।
कांग्रेस गठबन्धन में जितने भी दल हैं उनमें मुस्लिम वोट हड़पनें की ही तो प्रतिस्पर्धा है । जैसे यूपी में दिल्ली में बिहार में बंगाल में मुस्लिम वोट पहले कांग्रेसी थे , अब वह वहां उस दल के साथ हैं जो भाजपा को हरा सकें ।
बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा का प्रभाव
बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरवादियों नें अमेरिका व पाकिस्तान की मदद से वहां की कॉफी हद तक पन्थनिरपेक्ष रही ..... सरकार को हिंसक विद्रोह के द्वारा सत्ता से बाहर कर दिया , भीड़ तंत्र नें भयंकर लूटपाट की ! सबसे बड़ी बात वहां के निर्दोष हिंदुओं पर सांप्रदायिक अत्याचार किये गए । इस घटनाक्रम नें भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं को अन्दर तक झकझोर दिया है ।
क्योंकि वहां इसके बाद भी लगातार अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती गईं , जो भारतीय राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा बन गई हैं। यह घटनाएँ न केवल मानवाधिकारों के उल्लंघन हैं, बल्कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर भी सवाल उठाती हैं। जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले होते हैं, तो इसका सीधा असर भारत के हिंदू समुदाय पर इसलिए पड़ता है कि बांग्लादेश पहले भारत का ही हिस्सा रहा है । भारत का हिन्दू बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा और पहचान को लेकर चिंतित हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
बांग्लादेश की इस सांप्रदायिक हिंसा ने भारतीय राजनीति में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। भारत और भाजपा ने इन घटनाओं का प्रखरता से विरोध किया । वहीं कांग्रेस नेतृत्व वाले दलों ने चुप्पी साध ली । जो इस्लामिक सांप्रदायिक हिंसा का परोक्ष समर्थन माना गया । जिससे भारत के लोगों ने समझलिया की इस्लामिक सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित रखने या उसका मुकाबला करने हेतु देश को भाजपा की ही आवश्यकता है । इसलिए भाजपा को लोकसभा चुनाव के बाद पुनः जनस्वीकृति मिली जो हरियाणा , महाराष्ट्र और यूपी , राजस्थान , बिहार सहित पूरे देश में महसूस की गई । भाजपा को हिन्दू हितों की चिंता करने से राजनीतिक लाभ मिला है, क्योंकि जनता माना है कि वह हिंदू हितों की रक्षा करने वाला दल हैं।
दूसरी ओर, विपक्षी दल जैसे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार की नीतियों पर तो सवाल उठाए हैं और इसे धार्मिक असहिष्णुता से भी जोड़ा और हिन्दूहितों से अपने आपको पूरी तरह दूर रखा । बांग्लादेश में हुए हिंसक बदलाव का भी अपरोक्ष पक्ष लिया , जो कांग्रेस को बहुत मंहगा पड़ा । क्योंकि भारत के लोग अब कांग्रेस और उनके गठबन्धन को सिर्फ हिन्दू विरोधी ही नहीं भारत विरोधी भी मानने के लिए मजबूर हुए हैं ।
चुनावी रणनीतियाँ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा ने भारतीय राजनीति में ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया है। भाजपा ने इस मुद्दे को अपने चुनावी प्रचार का हिस्सा भले ही नजिन बनाया किन्तु हिंदू मतदाताओं को इस घटनाक्रम नें अंडर करेंट से एकजुट किया । किन्तु कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने बांग्लादेश हिन्दू उत्पीड़न को महत्व ही नहीं दिया , अपनी रणनीतियों को नहीं बदला , उनकी दृष्टि मुस्लिम वोट बैंक में ही फांसी रही । जिसके चलते वे जनता की नजर से उतरते चले गए ।
भविष्य की संभावनाएँ
इस प्रकार, बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा भारत के राजनीतिक मिजाज को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। इसने न केवल चुनाव परिणामों को प्रभावित किया बल्कि हिन्दू एकता की आवश्यकता को मसूस करवा दिया ।
भारत में लोकसभा चुनाव के बाद बदले राजनीतिक मिजाज के पीछे बंगलादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा बड़ा कारण
भारत के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव
भारत में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों ने राजनीतिक परिदृश्य को काफी प्रभावित किया है। चुनाव परिणामों ने न केवल सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति को चुनौती दी , बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी एक नई ऊर्जा का संचार भी किया था। किन्तु यह प्रभाव कुछ महीने ही रहा कि अचानक भारत की राजनीति फिरसे भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे के पक्ष में खड़ी हो गई । इस परिवर्तन के पीछे कई कारक तत्व हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक बांग्लादेश में हो रही हिन्दू विरोधी सांप्रदायिक हिंसा मुख्य है।
कांग्रेस गठबन्धन की हार का कारण हिन्दू विरोधी होना
कांग्रेस और समाजवादी दल इन चुनाव परिणामों को पचा नहीं पा रहे हैं किंतु सच यही है कि अब कांग्रेस देश में हिन्दू विरोधी पार्टी मानी जाने लगी है यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है । जिन प्रान्तों में पर्याप्त मुस्लिम वोट हैं वहां हिन्दू ध्रुवीकरण स्वाभाविक है । यह बात नहीं समझना ही कांग्रेस को घातक हो रहा है ।
कांग्रेस गठबन्धन में जितने भी दल हैं उनमें मुस्लिम वोट हड़पनें की ही तो प्रतिस्पर्धा है । जैसे यूपी में दिल्ली में बिहार में बंगाल में मुस्लिम वोट पहले कांग्रेसी थे , अब वह वहां उस दल के साथ हैं जो भाजपा को हरा सकें ।
बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा का प्रभाव
बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरवादियों नें अमेरिका व पाकिस्तान की मदद से वहां की कॉफी हद तक पन्थनिरपेक्ष रही ..... सरकार को हिंसक विद्रोह के द्वारा सत्ता से बाहर कर दिया , भीड़ तंत्र नें भयंकर लूटपाट की ! सबसे बड़ी बात वहां के निर्दोष हिंदुओं पर सांप्रदायिक अत्याचार किये गए । इस घटनाक्रम नें भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं को अन्दर तक झकझोर दिया है ।
क्योंकि वहां इसके बाद भी लगातार अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती गईं , जो भारतीय राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा बन गई हैं। यह घटनाएँ न केवल मानवाधिकारों के उल्लंघन हैं, बल्कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर भी सवाल उठाती हैं। जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले होते हैं, तो इसका सीधा असर भारत के हिंदू समुदाय पर इसलिए पड़ता है कि बांग्लादेश पहले भारत का ही हिस्सा रहा है । भारत का हिन्दू बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा और पहचान को लेकर चिंतित हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
बांग्लादेश की इस सांप्रदायिक हिंसा ने भारतीय राजनीति में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। भारत और भाजपा ने इन घटनाओं का प्रखरता से विरोध किया । वहीं कांग्रेस नेतृत्व वाले दलों ने चुप्पी साध ली । जो इस्लामिक सांप्रदायिक हिंसा का परोक्ष समर्थन माना गया । जिससे भारत के लोगों ने समझलिया की इस्लामिक सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित रखने या उसका मुकाबला करने हेतु देश को भाजपा की ही आवश्यकता है । इसलिए भाजपा को लोकसभा चुनाव के बाद पुनः जनस्वीकृति मिली जो हरियाणा , महाराष्ट्र और यूपी , राजस्थान , बिहार सहित पूरे देश में महसूस की गई । भाजपा को हिन्दू हितों की चिंता करने से राजनीतिक लाभ मिला है, क्योंकि जनता माना है कि वह हिंदू हितों की रक्षा करने वाला दल हैं।
दूसरी ओर, विपक्षी दल जैसे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार की नीतियों पर तो सवाल उठाए हैं और इसे धार्मिक असहिष्णुता से भी जोड़ा और हिन्दूहितों से अपने आपको पूरी तरह दूर रखा । बांग्लादेश में हुए हिंसक बदलाव का भी अपरोक्ष पक्ष लिया , जो कांग्रेस को बहुत मंहगा पड़ा । क्योंकि भारत के लोग अब कांग्रेस और उनके गठबन्धन को सिर्फ हिन्दू विरोधी ही नहीं भारत विरोधी भी मानने के लिए मजबूर हुए हैं ।
चुनावी रणनीतियाँ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा ने भारतीय राजनीति में ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया है। भाजपा ने इस मुद्दे को अपने चुनावी प्रचार का हिस्सा भले ही नजिन बनाया किन्तु हिंदू मतदाताओं को इस घटनाक्रम नें अंडर करेंट से एकजुट किया । किन्तु कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने बांग्लादेश हिन्दू उत्पीड़न को महत्व ही नहीं दिया , अपनी रणनीतियों को नहीं बदला , उनकी दृष्टि मुस्लिम वोट बैंक में ही फांसी रही । जिसके चलते वे जनता की नजर से उतरते चले गए ।
भविष्य की संभावनाएँ
इस प्रकार, बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा भारत के राजनीतिक मिजाज को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। इसने न केवल चुनाव परिणामों को प्रभावित किया बल्कि हिन्दू एकता की आवश्यकता को मसूस करवा दिया ।
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