यूरिया - डीएपी के पूर्व भंडारण हेतु उर्वरक बैंक व्यवस्था बनाएं - अरविन्द सिसोदिया DAP Urea
यूरिया - डीएपी के पूर्व भंडारण हेतु उर्वरक बैंक व्यवस्था बनाएं - अरविन्द सिसोदिया
कोटा 21 नबंवर । भाजपा राजस्थान, कोटा संभाग के मीडिया संयोजक अरविन्द सिसोदिया नें प्रतिवर्ष कृषि कार्य हेतु आवश्यक यूरिया और डीएपी की कमी और एन टाइम पर किल्लत की समस्या से छुटकारा पाने हेतु " उर्वरक बैंक पद्धति" अपनाने का सुझाव भारत सरकार और राजस्थान सरकार को भेजा था । जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय नें जवाब भेज कर सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया है । प्रधानमंत्री कार्यालय नें जवाब में कहा है कि "आपके बहुमूल्य सुझावों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके सुझावों पर उचित कार्रवाई करने के लिए ध्यान दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि उर्वरक आपूर्ति की मुख्य समस्या का कारण दशकों से चली आरही अनुदान व्यवस्था है । जिसके कारण आयात करने में सोच विचार और लाभ हानि बाधक बन जाते हैं ।
सिसोदिया नें कहा कि जरूरी उर्वरकों की पूर्व खरीद एवं पूर्व भंडारण की व्यवहारिक व्यवस्था अपनानी ही चाहिए । जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे उर्वरक किसान अथवा व्यापारी खरीद कर भंडारित रख सकें और किसानों को बौनी से एक माह पूर्व ही उसकी खेती के लिए उर्वरक दिया जा सके ।
सिसोदिया ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष लगभग 375 लाख टन यूरिया और 125 लाख टन डीएपी की जरूरत होती है । हम यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने से कुछ कदम ही दूर दूर हैं । तो डीएपी के लिए पूरी तरह विदेशों से आयात पर निर्भर हैं , बहुत मामूली उत्पादन देश में होता है । इस साल डीएपी का अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य भी लगभग डेढ़ गुना है । इससे आयात ही कम हुआ और किल्लत हो रही है । वहीं रूस यूक्रेन युद्ध के कारण भी आपूर्ति में तीनगुना समय लग रहा है ।
सिसोदिया ने बताया कि उर्वरकों पर सब्सिडी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है , जिस पर उत्पादन और आयात निर्भर होता है । देश में सब्सिडी मुक्त आयात और भंडारण की व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि गैर अनुदानित उर्वरक सीधा खरीदा जाकर जरूरत पूरी की जा सके ।
सिसोदिया ने कहा कि उर्वरक सब्सिडी किसान को रकबे व फसल के अनुसार सीधे मिलनी चाहिए और सब्सिडी आधारित आयात की पुरानी परंपरा बन्द होनी चाहिए । वहीं उर्वरक आयात खुल्ला व गैर अनुदानित भी होना चाहिए । ताकि आवश्यकता हेतु उपलब्धता पर्याप्त रहे और उत्पादन प्रभावित न हो ।
उन्होंने कहा कि सरकारी सब्सिडी के कारण कम आयात होता है और किसान को किल्लत का सामना करना पड़ता है । कंपनियों के लाभ हानि के गणित में किसान समस्याग्रस्त हो जाता है ।
उन्होंने कहा कि इस हेतु उर्वरकों को पूर्व ऑर्डर के द्वारा सीधे मंगवाया जाकर स्थानीय ब्लाक लेबल या पंचायत लेवल पर भंडारित किया जाना तथा जरूरतमंद किसान को सीधे दिया जाना चाहिए ।
सिसोदिया नें कहा कि इस कार्य की कृषि विभाग स्वयं या सहकारिता विभाग के सहयोग से कर सकता है जो किसान से सीधे पूर्व आर्डर लेकर जरूरी मात्रा में उर्वरक मंगवा कर किसान को समय से प्रदान करे।
उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष उर्वरकों की आपूर्ति में फेल होना या किल्लत होना, अटेचमेंट की गिरफ्त में लाना , आपूर्ति स्तर की विफलता है । जिसमें स्थाई सुधार की आवश्यकता है और उसे किसान को साथ लेकर ठीक किये जाने के प्रयास प्रारंभ होने चाहिए।
भवदीय
अरविन्द सिसोदिया
9414180151
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