भाजपा राजस्थान, उपचुनावों में हार का मिथक तोड़ेगी - अरविन्द सिसोदिया


राजस्थान में भाजपा के भजनलाल शर्मा सरकार का अभी एक साल भी नहीं हुआ कि 7 विधानसभाओं के उपचुनाव सरकार के सामने आगये किन्तु इन उपचुनावों में भाजपा पुराने सभी मिथकों को तोड़ कर बड़ी बढ़त के साथ चुनाव जीतती दिख रही है । क्योंकि इन 7 सीटों में से कांग्रेस की 4 सीटें रहीं है तो भाजपा , आदिवासी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की पार्टी पर एक एक सीटें  रहीं हैं । अब कांग्रेस को 4 सीटें जितने की सबसे बड़ी चुनोती है तो भाजपा को मात्र 1 सीट जितने की चुनोती है । जो वातावरण और संकेत मिल रहे हरण उनसे भाजपा सभी 7 सीटों को जीत सकती है । यदि कमीवेशी भी होती है तो भाजपा कम से कम 6 सीटें तो जीतती दिख रही है । समस्या कांग्रेस के सामने है जो अपनी पूर्व की संख्या 4 को कायम रखती नजर नहीं आरही है । कांग्रेस लंबे अर्से के बाद बिना अशोक गहलोत के दखल के विधानसभा चुनावों में उतरी है और अगर अपनी पूर्व संख्या प्राप्त नहीं कर पाती तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के आगे डॉट लग सकती है ।

इससे पहले 10 सालों में जो दो विधानसभाएं थी उन्मेम 8-8 उपचुनाव हुए थे , जिनमें कांग्रेस को 6-6 सीटें मिलीं थी और उपचुनाव जितने का कांग्रेस का शानदार रिकार्ड रहा है । जबकि भाजपा एक बार 2 और दूसरी बार 1 सीट ही जीत सकी थी । 

अर्थात उपचुनाव हारने के मिथक को इस बार भाजपा तोड़ती नजर आरही है । 

इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण भाजपा नें टिकिट वितरण में जिताऊ फस्ट के सिद्धांत को अपनाया और कहीं भी कोई शंका की गुंजाइश नहीं छोड़ी ।

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