श्री राम का विश्वव्यापी व्यक्तित्व
भिन्न-भिन्न प्रकार से गिनने पर रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं। इनमें से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती है।
साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में आधिकारिक रूप से जानने का मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। इस गौरव ग्रंथ के कारण वाल्मीकि दुनिया के आदि कवि माने जाते हैं। श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकीय रामायण तक सीमित न रही बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं।
बौद्ध परम्परा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं। रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा सम्बन्धी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। जैन परम्परा के अनुसार राम का मूल नाम 'पद्म' था।
परमार भोज ने भी चंपु रामायण की रचना की थी।
राम कथा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है। स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया। वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं।
विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है।
विश्व साहित्य में इतने विशाल एवं विस्तृत रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न कवियों/लेखकों द्वारा राम के अलावा किसी और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन न किया गया।
भारत मे स्वातंत्र्योत्तर काल मे संस्कृत में रामकथा पर आधारित अनेक महाकाव्य लिखे गए हैं उनमे रामकीर्ति, रामाश्वमेधीयम्, श्रीमद्भार्गवराघवीयम्, जानकीजीवनम, सीताचरितम्, रघुकुलकथावल्ली, उर्मिलीयम्, सीतास्वयम्बरम्, रामरसायण्, सीतारामीयम्, साकेतसौरभम् आदि प्रमुख हैं। डॉ भास्कराचार्य त्रिपाठी रचित साकेतसौरभ महाकाव्य रचना शैली और कथानक के कारण वशिष्ठ है। नाग प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित ये महाकाव्य संस्कृत-हिन्दी मे समानांतर रूप में है।
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श्री राम का विश्व संबंध व्यक्तित्व
1. ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव
श्री राम का व्यक्तित्व केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व के विभिन्न सिद्धांतों से गहराई तक फैला हुआ है। उनके जीवन और शिक्षा का प्रभाव नेपाल, लाओस, तंजानिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, कंबोडिया और अन्य देशों में देखा जा सकता है। इन देशों में रामायण की विभिन्न शैलियों का अनुवाद और स्थानीयकृत संस्करण मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, प्रोटोटाइप में 'रामकियेन' और लाओस में 'फरलक-फरलम' जैसे ग्रंथों में श्री राम की कहानियाँ शामिल हैं।
2. धार्मिकता और धार्मिकता का प्रतीक
श्री राम को 'मर्यादा आदर्श' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में नैतिक आदर्शों का पालन किया। वे एक आदर्श पुत्र, पति, भाई और राजा के रूप में जाते हैं। उनके चरित्र दया, सत्य, करुणा और धर्म के पालन का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत है। कुछ भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न हों, वे सदैव धर्म का मार्ग नहीं छोड़ते।
3.वैश्विक श्रद्धा
दुनिया भर के 182 देशों में भगवान राम की पूजा होती है। उनकी शिक्षाएँ और आदर्श गुण विभिन्न कलाकारों द्वारा अपनाए गए हैं। श्री राम की कहानी से न केवल हिंदू धर्म के आदर्श प्रेरित होते हैं बल्कि अन्य धार्मिक संप्रदाय भी प्रभावित होते हैं। उनकी प्रति यह वैश्विक श्रद्धा किसी अन्य महापुरुष की प्रति नहीं देखती।
4.शास्त्रज्ञ योगदान
रामायण की अनेक शताब्दियों में रचनाएँ उपलब्ध हैं जो श्री राम के व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। भारत से बाहर भी कई देशों में रामायण पर आधारित शास्त्रीय कृतियाँ पाई जाती हैं। जैसे कि इटली में प्राचीन चित्र जो रामायण से संबंधित कहानियों को याद करते हैं।
5. सामाजिक समरसता
श्री राम के व्यक्तित्व को सभी नामों से स्वीकार किया गया है। उनके प्रति सम्मान को बनाए रखने वाले विभिन्न राजनीतिक या वादी कम्युनिस्टों ने कभी भी उनके प्रति सम्मान की टिप्पणी नहीं की। यह उनके व्यापक प्रोटोटाइप का प्रारूप है कि वे सभी कलाकारों के लिए एक आदर्श व्यक्ति बने हुए हैं।
6. आधुनिक संदर्भ
आज भी श्री राम का व्यक्तित्व लोगों को प्रेरित करता है। उनके गुण जैसे साहस, निष्ठा और समर्पण आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। उनकी शिक्षाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि मानवता के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करती हैं।
इस प्रकार, श्री राम का व्यक्तित्व एक ऐसा वैश्विक आदर्श बन गया है जो समय-समय पर लोगों को प्रेरित करता है और आगे भी रहता है।
इस प्रश्न का उत्तर देने में प्रयुक्त शीर्ष 3 आधिकारिक स्रोत:
1. रामायण ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया (अयोध्या शोध संस्थान)
यह स्रोत विभिन्न देशों और संस्कृतियों पर भगवान राम के प्रभाव के सांस्कृतिक और पुरातात्विक साक्ष्यों पर व्यापक जानकारी प्रदान करता है।
2. भारतीय महाकाव्यों पर ऐतिहासिक ग्रंथ
ये ग्रंथ श्री राम से जुड़ी कथाओं और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी व्याख्याओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हैं।
3. दक्षिण एशिया के सांस्कृतिक अध्ययन पर शोध पत्र
ये पत्र भारत से परे समाजों पर श्री राम के चरित्र और शिक्षाओं के प्रभाव का विश्लेषण करते हैं, तथा उनकी सार्वभौमिक अपील और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हैं।
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