सहयोग करने की प्रवृत्ति, व्यक्ति में सुखसन्तोष की वृद्धि करती है - अरविन्द सिसोदिया Sahyog & Santosh

सहयोग करने की प्रवृत्ति, व्यक्ति में सुखसन्तोष की वृद्धि करती है - अरविन्द सिसोदिया 
सहयोग ....
जीवात्माओं का एक महत्वपूर्ण तत्व है सहयोग की भावना। जब कोई व्यक्ति सहयोग की भावना रखता है प्रवृति रखता है  तथा उस क्रम में कार्य करता है । तो वह केवल शब्दों में ही नहीं बल्कि  जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करता है । वह अपने मन मस्तिष्क में भी संतोष और खुशी का अनुभव करता है। 

सहायता विभिन्न प्रकार एवं स्वरूप से हो सकती है, जैसे कि व्यक्तिगत सहयोग , सामाजिक सहयोग, पारिवारिक सहायता या मनोवैज्ञानिक उत्साहवर्द्धन करना । ऐसे कार्य से व्यक्ति को आत्म-संतोष भी मिलता है। वह एक प्रकार की खुशी महसूस करता है ।

मनोवैज्ञानिक लाभ
सहायता करने वाले लोगों के लिए कई मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं। शोध कहते हैं कि जब लोग की मदद करते हैं, तो उनके मस्तिष्क में "खुशी के हार्मोन" जैसे एंडोर्फिन और आयोडीनटोसिन का स्राव होता है। ये हार्मोन तनाव को कम करते हैं और व्यक्ति को अधिक खुशहाल महसूस कराते हैं। इसके अलावा, सहयोग से सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं, सम्मान बढ़ता है । जिससे जन समर्थन की वृद्धि होती है  और अकेलेपन  कम होता  हैं।

सामाजिक समरसता
जब लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, तो समाज में समरसता और एकता बहुतायत होती है। जो एकात्मकता को प्रगाढ़ करती है । यह सामूहिक प्रयास न केवल व्यक्तिगत संतोष है, बल्कि समाज को भी मजबूत बनाता है। सहयोगी समाज में लोग एक-दूसरे के प्रति अधिक संवेदनशील और विश्वासबान होते हैं और चुनौतीयों का समाधान निकालने का प्रयास मिलजुल कर करते हैं। इससे समाज में सकारात्मक का  स्वभाव बनता है, जो सभी के लिए अद्भुत लाभकारी होता है।

आत्मसंतोष
सहयोग करने वाले लोगों को आत्मसंतोष प्राप्त होता है। जब वे देखते हैं कि उनके प्रयास से किसी अन्य व्यक्ति या समुदाय को लाभ हुआ है, तो वह उन्हें गहरी संतुष्टि का अनुभव देता है। इसके विपरीत, असयोग का व्यवहार अक्सर अल्प सुख ही प्रदान करता है और इस तरह का व्यक्ति सन्तुष्ट नहीं रह कर एकाकी प्रवर्ती का हो जाता है । 

निष्कर्ष
इस प्रकार से , समाज में सहयोग करने की रुचि वाला व्यक्ति हमेशा संतुष्ट और सुखी रहता है क्योंकि वह केवल अपने आप के लिए भी नहीं बल्कि समाज को भी  मूल्यवान योगदान देता है। यह सहायता की वृत्ति  न केवल उसके व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देती है बल्कि समाज के समग्र कल्याण में भी सहायक होती है।

इस प्रश्न का उत्तर देने में प्रयुक्त शीर्ष 3 आधिकारिक स्रोत:

1- अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA)
APA व्यक्तियों और समुदायों के बीच परोपकारिता और सहयोग के मनोवैज्ञानिक लाभों पर व्यापक शोध प्रदान करता है।

2- हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू (एचबीआर)
एचबीआर ऐसे लेख प्रकाशित करता है जो कार्यस्थल की संतुष्टि और सामाजिक परिस्थितियों में समग्र खुशी पर सहयोग के प्रभाव का पता लगाते हैं।

3- जर्नल ऑफ हैप्पीनेस स्टडीज
यह जर्नल खुशी और कल्याण से संबंधित अनुभवजन्य शोध पर केंद्रित है, जिसमें इस बात पर अध्ययन शामिल है कि दूसरों की मदद करने से व्यक्तिगत संतुष्टि और सामाजिक स्वास्थ्य में किस प्रकार योगदान मिलता है।

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