चुनावजीत का मूल मंत्र जनता को डायरेक्ट बेनीफिट देना ही है - अरविन्द सिसोदिया

चुनावजीत का मूल मंत्र जनता को डायरेक्ट बेनीफिट देना ही है - अरविन्द सिसोदिया

भारत में मुख्यतौर पर तीन तरह के चुनाव होते हैं , पहला जनप्रतिनिधियों द्वारा जैसे राष्ट्रपति, राज्यसभा , उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष , मुख्यमंत्री , नगरीय इव्ह ग्रामीण स्थानीय स्तर की संस्थाओं के चुनाव । दूसरा सीधे जनता द्वारा जैसे लोकसभा लोकसभा , विधानसभा , सरपंच , पंच और पार्षद, कहीं - कहीं महापौर आदि । 

तीसरे प्रकार के चुनाव सहकारी और संस्थाओं के चुनाव होते हैं । जो डायरेक्ट और इनडायरेक्ट अपने अपने संविधान से होते हैं । 

मुख्यतौर पर चर्चा उन चुनावों की ही होती है जो लोकसभा और विधानसभाओं के होते हैं ।

लोकसभा में गत तीन चुनावों से भाजपा सबसे बड़ा दल है । इससे ठीक पहले कांग्रेस सदन में दो बार सबसे बड़ा दल थे । 1984 दे बाद हुए तमाम चुनावों में सिर्फ 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकारें रहीं , अन्यथा इस दौरान तमाम सरकारें कई दलों के आपसी समझौते से ही बनीं , चाहे नरसिंहराव सरकार रही हो , अटलविहारी वाजपेयी जी की सरकारें रहीं हो या मनमोहनसिंह जी की सरकारें रहीं हों या वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार हो ।

कुछ विधानसभाओं के चुनाव यह बताते हैं कि जनता को डायरेक्ट बेनीफिट योजनाओं का लाभ चुनाव में मिलता है । जैसे दिल्ली में आप पार्टी की सरकार लगातार रिपीट होना । मध्यप्रदेश , गुजरात में भाजपा की सरकारें लगातार रिपीट होना । हरियाणा , महाराष्ट्र और झारखंड में राज्य सरकारों का रिपीट होना ।

जनता के बीच परोक्ष अपरोक्ष मंहगाई मुद्दा है और राहत की जरूरत भी है । बिजली के महंगे बिलों से, प्राइवेट शिक्षा और चिकित्सा से  जनता परेशान है ।  वहीं महिलाओं को कोई धन डायरेक्ट खाते में आता है तो वे उसका अहसान मानती हैं ।

हालांकि डायरेक्ट बेनीफिट योजनाओं में कुप्रबंधन हुआ , समय पर राशि खातों में नहीं डली तो यह सरकार बदलने में भी देर नहीं लगाता ।

पंजाब में , कर्नाटक में , हिमाचल में डायरेक्ट बेनीफिट पर फेल होते ही सरकारें बदल गईं और लोकसभा में भी सीटों का अंकगणित बदल गया ।

प्रधानमंत्री मोदीजी की सरकार कोरोना काल से ही गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है , मगर यह राज्य सरकारों की एजेंसी से वितरित होता है , इस कारण इसका राजनीतिक लाभ उतना नहीं मिल रहा जितना मिलना चाहिए ।

अर्थात अब सरकार को रिपीट करवानें के लिये डायरेक्ट बेनीफिट योजनाएं आवश्यक हो गईं हैं ।

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