अपना हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम से Hindu Nav Varsh
अपना हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल एकम से
Hindu Nav Varsh
अपना नववर्ष अपना संवतसर, अपना नववर्ष, आ रहा है,ऐसे करें तैयारी---
*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2082 ( इस वर्ष 30 मार्च 2025 को )*
*अपना नववर्ष अपना संवतसर, अपना नववर्ष, आ रहा है 30 मार्च को, ऐसे करें तैयारी*
🚩🚩दोस्तों, अपने हिन्दू नववर्ष को बहुत ही धूमधाम से मानने की तैयारी करे।
हर घर और मंदिर में सभी बंधु बच्चो संग हवन/यज्ञ करे । अपने घर को विशेष तरह से सजाएं। बच्चो को अपनी संस्कृति का ज्ञान कराएं।
वैदिक हिन्दू नववर्ष के वैज्ञानिक कारण भी गिनाएं।
🚩हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते। पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं। जो सर्वथा गलत व अवैज्ञानिक है।
🚩नव संवत्सर 2082 चैत्र शुक्ल एकम प्रतिपदा, 30 मार्च 2025 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं।
🚩चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं।
🚩 हिन्दू नववर्ष की विशेषता –
🚩पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी प्रतिपदा रविवार था।
🚩चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है। इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है। हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है।
🚩पेड़-पौधों में फूल, मंजरी,कली इसी समय आना शुरू होते हैं, वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है। इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है। जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर अपने नववर्ष की शुरूआत करते हैं।
🚩परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।
🚩न शीत न ग्रीष्म। पूरा पावन काल। ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए, श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है। संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
🚩कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी।
🚩चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में।
🚩चारों ओर पकी फसल का दर्शन, आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।
🚩नई फसल घर में आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है, जिससे पेड़ -पौधे, जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं। गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है, मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है।
🚩सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प लें। इस वर्ष 30 मार्च 2025 को हिन्दू नववर्ष आ रहा है। सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें।
🚩आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें।
🚩 संस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें।
- भारतीय इतिहास व संस्कृति का गौरवपूर्ण अवसर है हिन्दू नववर्ष को जन-जन का उत्सव बनाने में सभी हिन्दुजन योगदान करें।
- चैत्र शुक्ल एकम विक्रम संवत के दिन श्री राम व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था। महात्मा बुद्ध, गुरू गोविंद सिंह, झूलेलाल एवं संघ के संस्थापक ड़ा केशव बलिराम हेडगेवार आदि महापुरूष का जन्म भी इसी दिन हुआ। आर्य समाज जैसी सामाजिक क्रांति लानी वाली संस्था भी इसी दिन प्रादुर्भाव में आई। जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती नें की थी।
- विक्रमदित्य नें भारतभूमि को विदेशी आक्रांताओं से मुक्त करवा कर, अपने संवत और स्वराज्य की पुनरस्थापना की थी। यही विक्रम संवत है जो हमारे स्वाभिमान, सम्मान और स्वराज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह पर्व संपूर्ण पृथ्वी का है, संपूर्ण भारत में आयोजित होता है, हम सभी हिन्दू जन,अपने अपने महानगरों में, नगरों में शोभायात्रा, कलश यात्रा, युवा वाहनी आदि के माध्यम से हिन्दू नववर्ष को उल्लास और उत्साह से आयोजित कर सकते हैँ।
- स्वयं के स्तर पर आयोजन कर नववर्ष को जन-जन का उत्सव बनाने में सहयोग प्रदान करें। पताकाओं, बैनर फ्लेक्स, होर्डिंग्स, शुभकामना संदेशों के माध्यम से नागरिकों को नववर्ष की शुभकामनाएं दी जाएं। विचार गोष्ठियों आयोजित कर नागरिकों को भारतीय नववर्ष की महत्ता की जानकारी दें।
- शहर में विभिन्न चौराहांे पर सजावट करवाई जाएगी, नागरिकों को नववर्ष की बधाई देने वाले संदेश लगवाए जाएंगे। जनप्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर बधाई पताकाएं लगवाकर आमजन में भी आयोजन के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास करेंगे।
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