My Gov केदियों से रक्षा बंधन, करबा चौथ और होली की भाई दौज पर मिलनी

उद्देश्य है कि  —  सरकार की सामाजिक दृष्टि, संवेदनशीलता और महिला सम्मान के प्रति प्रतिबद्धता को होनी ही चाहिए।


राज्य सरकार की नीति पत्रिका

“महिलाओं के पर्व विशेष पर बंदी परिजनों से मुलाकात की विशेष व्यवस्था हेतु नीति”

(रक्षा बंधन, करवा चौथ एवं होली की भाई दूज के अवसर पर)


1. भूमिका

भारतीय समाज में महिला की भावनात्मक भूमिका परिवार के केंद्र में होती है। पति, भाई और पुत्र के साथ उसका संबंध केवल पारिवारिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।
रक्षा बंधन, करवा चौथ और होली की भाई दूज जैसे पर्व महिला के स्नेह, विश्वास और पारिवारिक एकता के प्रतीक हैं।

जब किसी महिला का पति या भाई कारागार में निरुद्ध होता है, तब इन पर्वों पर उसका मनोबल टूटता है और उसका सामाजिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
ऐसे में, मानवीय संवेदनाओं के आधार पर राज्य सरकार यह नीति बनाती है कि इन तीन विशेष पर्वों पर महिलाओं को अपने बंदी परिजनों से मिलने की विशेष अनुमति दी जाएगी।


2. उद्देश्य

इस नीति का उद्देश्य है —

1. महिलाओं के पारिवारिक एवं भावनात्मक अधिकारों की रक्षा करना।


2. कारागार में निरुद्ध बंदियों के पुनर्वास और पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करना।


3. सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण करते हुए महिलाओं को सम्मान और संवेदना देना।


3. नीति का क्षेत्र

यह नीति राज्य के सभी केंद्रीय, जिला एवं उप-जेलों में लागू होगी।
यह नीति केवल महिला आगंतुकों के लिए होगी जो अपने पति, भाई या निकट परिजन बंदी से मिलना चाहती हैं।


4. पात्रता

1. महिला आगंतुक को सरकारी पहचान पत्र (आधार, मतदाता पहचान, आदि) प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।


2. उसका संबंध कारागार अभिलेख में दर्ज बंदी से विधिवत स्थापित होना चाहिए।


3. बंदी ऐसा न हो जो उच्च सुरक्षा श्रेणी या अनुशासनहीनता के कारण प्रतिबंधित हो।




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5. विशेष पर्व

इस नीति के अंतर्गत निम्न तीन पर्वों पर विशेष मुलाकात की अनुमति होगी —

(क) रक्षा बंधन

(ख) करवा चौथ

(ग) होली की भाई दूज



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6. व्यवस्था का स्वरूप

1. मुलाकात पर्व के दिन या उसके एक दिन पूर्व या बाद में कराई जा सकती है, जैसा कि कारा अधीक्षक निर्धारित करे।


2. मुलाकात के लिए पूर्व पंजीकरण प्रणाली लागू होगी।


3. महिलाओं के लिए बैठने, पेयजल, छाया, प्राथमिक उपचार, एवं सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जाएगी।


4. बुजुर्ग और दिव्यांग महिलाओं के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।




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7. सुरक्षा एवं अनुशासन

1. कारागार प्रशासन द्वारा सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू रहेंगे।


2. उपहार या वस्तुएँ केवल कारा अधीक्षक की अनुमति से ही दी जा सकेंगी।


3. किसी भी अनुशासनहीनता की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को आगामी पर्व की सुविधा से वंचित किया जा सकता है।




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8. सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक लाभ

यह नीति न केवल महिलाओं को मानसिक संबल प्रदान करेगी, बल्कि —

परिवारिक संबंधों को सशक्त बनाएगी,

बंदियों में सुधार और पुनर्वास की भावना को बढ़ाएगी,

महिलाओं के सामाजिक सम्मान को बढ़ावा देगी।



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9. कार्यान्वयन और निरीक्षण

1. इस नीति के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी कारागार महानिरीक्षक (IG Prisons) की होगी।


2. संबंधित जिलाधिकारी और महिला एवं बाल विकास अधिकारी निगरानी करेंगे कि यह व्यवस्था सुचारू रूप से चले।


3. हर वर्ष समीक्षा रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें लाभार्थी महिलाओं की संख्या, प्रतिक्रिया और सुधार सुझाव दर्ज किए जाएंगे।




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10. निष्कर्ष

यह नीति राज्य सरकार की उस मानवीय संवेदना का प्रतीक है जिसके अंतर्गत महिला के मनोबल, उसकी आस्था और पारिवारिक भावनाओं को महत्व दिया गया है।
राज्य सरकार यह मानती है कि समाज तभी संवेदनशील और सशक्त बन सकता है जब महिलाओं की भावनाओं का सम्मान किया जाए।


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