My Gov लोकतांत्रिक जनसेवक आचार संहिता

अरविन्द सिसोदिया 9414180151 

लोकतंत्र का मूल कार्य जनता के हितों में न्यायपूर्ण  सुलभता लाना है। उनके हितों की रक्षा करना है। दिन प्रतिदिन की बदलती व्यवस्थाओं में जनहित सुनिश्चित करना है। इसलिए 

1- प्रत्येक मंत्री अपने विभाग की प्रतिमाह जिला स्तर पर, उनके आधार पर प्रति तीन माह में प्रदेशस्तर पर सलाहकार समिति से साथ समस्याओं के समाधान की बैठक करेंगे। क़ानून में सुधार की चर्चा करेंगे, नियम कानूनों में बदलाव की चर्चा करेंगे। एवं प्रत्येक विधानसभा सत्र के द्वारा इस तरह के लोककल्याण कारी क़ानून बनाएंगे। यह निरंतर होना चाहिए।

2- प्रत्येक जनप्रतिनिधि प्रतिदिन, जनता के बीच कम से कम दो घंटे मिलेगा जुलेगा, जगह बदल बदल कर लोगों से मिलेगा। जनता की वास्तविकता समस्याओं को जानेगा, उनके समाधान की व्यवस्था करेगा।

3-  प्रत्येक जनप्रतिनिधि को क़ानून व्यवस्था की समीक्षा हेतु प्रति सप्ताह, जुड़े हुये अफसरों के साथ बैठना अनिवार्य होगा। छोटी से छोटी घटना पर भी ध्यान देना होगा। न्याय ही हो... अन्याय न हो यह सुनिश्चित भी करना होगा।

लोकतंत्र की मूल भावना न्यायपूर्ण शासन है, भीड़ गंत्र नहीं। इसलिए वास्तविकता जबाबदेही से कार्य सुनिश्चित हो।

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लोकतांत्रिक शासन की जनकेंद्रित कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में हैं।
इन बिंदुओं के आधार पर नीचे एक "लोकतांत्रिक जनसेवक आचार संहिता (Code of Conduct for Democratic Public Servants)" का प्रारूप प्रस्तुत है, जो कार्यपद्धति और उत्तरदायित्व दोनों को सुनिश्चित करता है।
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🏛️ लोकतांत्रिक जनसेवक आचार संहिता

प्रस्तावना

लोकतंत्र का मूल उद्देश्य जनता के हितों की रक्षा करना, न्यायपूर्ण शासन स्थापित करना, और हर नागरिक को समान अवसर एवं सुलभ न्याय प्रदान करना है।
इस आचार संहिता का उद्देश्य यही सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक जनप्रतिनिधि, मंत्री, और प्रशासनिक अधिकारी, जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें तथा अपने कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता बनाए रखें।
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1. विभागीय कार्य एवं सलाहकार समिति प्रणाली

1.1 प्रत्येक मंत्री अपने विभाग की प्रति माह जिला स्तर पर समीक्षा बैठक करेंगे।
1.2 प्रत्येक तीन माह में प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति के साथ बैठक अनिवार्य होगी।

1.3 इन बैठकों में —

जनता से प्राप्त शिकायतों पर चर्चा,
नियम-क़ानूनों में आवश्यक सुधार पर विचार,
विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा,
और जनहित में नीतिगत संशोधन के सुझाव लिए जाएंगे।

1.4 प्रत्येक विधानसभा सत्र में ऐसी चर्चाओं के निष्कर्षों को लोककल्याणकारी कानूनों के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
1.5 यह प्रक्रिया निरंतर, पारदर्शी और जनसुलभ होगी।
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2. जनता से प्रत्यक्ष संवाद और जनसंपर्क

2.1 प्रत्येक जनप्रतिनिधि प्रतिदिन कम से कम दो घंटे जनता के बीच रहेंगे। बिना सूचना के अचानक कहीं भी पहुंचना और जनता से बातचीत कर उनकी राय जानना.... विशेषकर मीडिया सोसल मीडिया से उतर रहते हुये यह करना, धैर्यपूर्वक आलोचनाओं को सुनना व सुधार करना।

2.2 मुलाकात का स्थान बदलते रहना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों तक पहुँच सुनिश्चित हो।

2.3 जनता से प्राप्त सुझावों, शिकायतों और समस्याओं को लिखित रूप में दर्ज कर नियमित रूप से निपटान की समीक्षा की जाएगी।

2.4 जनप्रतिनिधियों का व्यवहार सुलभ, पारदर्शी और उत्तरदायी होना चाहिए।

2.5 कोई भी नागरिक बिना भय या भेदभाव के अपनी समस्या रख सके, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
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3. कानून-व्यवस्था एवं प्रशासनिक समीक्षा

3.1 प्रत्येक जनप्रतिनिधि सप्ताह में कम से कम एक बार संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे। जहां जैसा स्तर हो, प्रदेश, संभाग, जिला तहसील, पंचायत, वार्ड आदि में...

3.2 बैठक का उद्देश्य —

स्थानीय कानून-व्यवस्था की स्थिति का आकलन,

अपराध नियंत्रण की समीक्षा,

विशेषकर थानों में सीएलजी बैठक प्रति सप्ताह अनिवार्य होगी और पूरी गंभीरता से विषय सुने समझें जायेंगे और मुखवीर व्यवस्था को भी मज़बूत किया जायेगा।

और न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करना होगा।

3.3 किसी भी छोटी से छोटी घटना को भी गंभीरता से लिया जाएगा।
3.4 यह सुनिश्चित किया जाएगा कि न्याय हो और अन्याय न हो।
3.5 प्रशासनिक कार्यवाही में पारदर्शिता और जवाबदेही का सिद्धांत सर्वोपरि रहेगा।
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4. जवाबदेही, पारदर्शिता और नैतिक आचरण

4.1 प्रत्येक जनप्रतिनिधि एवं मंत्री अपने कार्यों की मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे।
4.2 निर्णय प्रक्रिया में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और जनता — तीनों की सहभागिता सुनिश्चित होगी।
4.3 भ्रष्टाचार, पक्षपात या विलंब को अस्वीकार्य माना जाएगा।
4.4 मीडिया और नागरिक समाज को लोकतांत्रिक निगरानी में सहभागी बनाया जाएगा।
4.5 सभी सरकारी निर्णय और बैठकों की कार्यवाही ऑनलाइन सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी।
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5. न्यायपूर्ण शासन की भावना

5.1 लोकतंत्र का सार भीड़ नहीं, विवेकपूर्ण जनमत और न्यायपूर्ण नीति में निहित है।
5.2 शासन व्यवस्था को ऐसा रूप देना आवश्यक है जिसमें
संवेदनशीलता, जवाबदेही, और न्याय सुनिश्चित हो।
5.3 प्रत्येक निर्णय का उद्देश्य जनहित सर्वोपरि होना चाहिए।
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6. अनुशासन और अनुपालन

6.1 इस आचार संहिता का पालन प्रत्येक मंत्री, जनप्रतिनिधि और अधिकारी के लिए अनिवार्य होगा।
6.2 इसके अनुपालन की समीक्षा हेतु “जनसेवा मूल्यांकन प्रकोष्ठ” गठित किया जाएगा।
6.3 उल्लंघन की स्थिति में विधिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही की जा सकेगी।
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7. निषेधात्म कार्य 
7.1 जनप्रतिनिधि, मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारिगण यह ध्यान रखेंगे की, व्यावसायिक और प्रचारात्मकता के उन कार्यक्रमों से बचें जिनका सीधा सरकार या जनहित से कोई लेना देना नहीं है। यह समय का दुरूपयोग है।
7.2 आपराधिक वृति और आय से अधिक संपत्ति संग्रहकर्ता के अतिथि बनने से भी इस लिए बचना होगा कि क़ानून को ठेंगा दिखाने वालों का उत्साहवर्धन न हो...प्रत्येक प्रकार के माफियावादियों से बचना होगा...।

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