सीताराम केसरी को याद कर घिरी कांग्रेस congress sitaram kesari
तब यह बात खूब चर्चा में थी कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी को टांगा टोली कर कांग्रेस दफ्तर से बाहर फेंका गया... युवक कांग्रेस का उपयोग इस हेतु किया गया और इटालियन अंग्रेज सोनिया गाँधी को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया गया.... इस षड्यंत्र में सम्मिलित कई दिग्गज कोंग्रेसी तब सोनिया गाँधी के निवास से इस घटना का लाईव कमेंट्री का मजा ले रहे थे....यह सब भीं गद्दार हिन्दुओं के कारण ही हुआ था............ कांग्रेस जहां हर साल दो साल में कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की परंमपरा रही उस पर इटालियन सोनिया गाँधी ने न केबल गुंडागर्दी से कब्जा किया बल्कि सबसे लंबे समय तक़ संभवतः 20 साल तक़ अध्यक्ष की कुर्सी पर रह कर कब्जा रखा और फिर राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाया।
यह बातें सुनी जाती हैँ.. सच कुछ कम ज्यादा होगा... मगर कांग्रेस से बिहार नाराज है।
मगर बिहार नें बदला लिया वहाँ कांग्रेस के पास मात्र 17 विधायक हैँ।
1- सीताराम केसरी कांग्रेस I के अध्यक्ष चुने गए (6224 वोट, शरद पवार-888; राजेश पायलट-354)। 6/12/1997 को
2-प्राथमिक सदस्य के रूप में शामिल होने के 62 दिनों के भीतर, उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद की पेशकश की गई जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
👉 वायरल सच ! जो तस्वीर आप देख रहे हैं, वह कांग्रेस के आखिरी गैर-गांधी अध्यक्ष सीताराम केसरी को श्रद्धांजलि देते राहुल गांधी की है।
लेकिन, कहानी में एक बड़ा 'किंतु' है! 😳
वही सीताराम केसरी, जिन्हें 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के लिए कथित तौर पर अपमानित किया गया था। आरोप लगे थे कि उन्हें बाथरूम में बंद किया गया, धोती खोल दी गई और नेम प्लेट कूड़ेदान में फेंक दी गई।
सवाल यह है: 27 साल बाद, बिहार के इस गुमनाम नेता की याद कांग्रेस को क्यों आई?
क्या यह सम्मान......उनके बिहार से होने के कारण दिया जा रहा है ? या फिर यह सब बिहार चुनावों में 'जाति कार्ड' खेलने की नई रणनीति है?
सत्ता की राजनीति में अपमान सहने वाले नेता का अचानक 'सम्मान' सिर्फ संयोग है या सोची-समझी चाल? 👀
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