बाजारवाद में टूटते संयुक्त परिवार

बाजारवाद एवं संयुक्त परिवार

*जब परिवार टूटते हैं, तभी बाजार फलते हैं।* ये सिर्फ विचार नहीं, पूरी रणनीति है l

*भारत की सबसे मजबूत चीज क्या थी ?* संयुक्त परिवार 

_भारत में मुग़ल आए, अंग्रेज़ आए और कई हमलावर आए लेकिन एक चीज़ कभी नहीं टूटी_ *हमारा संयुक्त परिवार।*

        *हमारा संयुक्त परिवार*
 3 पीढ़ियाँ एक छत के नीचे।
 बुज़ुर्गों का अनुभव।
 बच्चों में संस्कार।
 खर्च में सामूहिकता।
 त्यौहारों में गर्माहट।

_यह हमारी असली *Social Security* थी। कोई पेंशन की ज़रूरत नहीं थी, कोई अकेलापन नहीं, कोई *Mental Health Crisis* नहीं।_

*पश्चिम को यह चीज़ क्यों खटकने लगी ?*
पश्चिमी देश उपनिवेशवादी रहे हैं, उनके लिए बाज़ार सबसे बड़ा धर्म है।

*लेकिन भारत जैसा देश, जहाँ लोग साझा करते हैं, कम खर्च करते हैं, और सामूहिक सोच रखते हैं, वहां वे अपने उत्पाद बेच ही नहीं पा रहे थे।*
इसलिए एक शातिर रणनीति बनाई गई।
इनके परिवार ही तोड़ दो, हर कोई अकेला हो जाएगा और हर कोई ग्राहक बन जाएगा।_
    *कैसे हुआ ये हमला ?*

         *मीडिया के ज़रिए*

_संयुक्त परिवार को *झगड़ों का अड्डा, बोझ और रुकावट* के रूप में दिखाया गया।_
_न्यूक्लियर परिवार को *फ्रीडम, मॉर्डन, Self-made* बताकर ग्लैमराइज किया गया।_
*याद कीजिए-* _टीवी पर कितने शो हैं जहां *बहू-सास की लड़ाई* दिखती है और सॉल्यूशन होता है, *अलग हो जाओ!*_
        *उपभोक्तावाद के ज़रिए*
उपभोक्तावाद के ज़रिए हर जोड़ा अलग रहने लगा।

  1 परिवार = अब 4 घर।
  1 टीवी = अब 4 टीवी।
 1 रसोई = अब 4 किचन सेट।
 1 कार = अब 4 स्कूटर + 2 कार।

_बाजार में बूम आ गया और समाज में टूटन।_
*भारत में क्या हुआ इस सोच के हमले के बाद?*
         *सामाजिक पतन*

 बुज़ुर्ग अब बोझ हैं।
 बच्चे अकेले हैं (स्क्रीन में गुम)
 रिश्तेदार *उपलब्ध नहीं* हैं।
 संस्कारों की जगह *Influencers* ने ले ली।
मानसिक स्वास्थ्य संकट।
पहले जो बात नानी-दादी से होती थी, अब काउंसलर से होती है।
अकेलापन अब इलाज़ मांगता है, पहले प्यार से दूर होता था।

        *बाजार का फायदे*

  हर समस्या का एक उत्पाद।
  हर भावना का एक ऐप।
  हर उत्सव का एक। 
 ऑनलाइन ऑर्डर, *संस्कार की जगह सब्सक्रिप्शन* ने ले ली है।

*आज का सवाल, हम क्या बनते जा रहे हैं ..?*
हमने आधुनिकता की दौड़ में_
संयुक्तता को *Outdated* कहा।
 माता-पिता को *Obstacles* कहा।
 परिवार को *फालतू भावना* कहा।
 रिश्तों को *Unfollow* कर दिया।

      *क्या आपने सोचा ?*

 *Amazon* का फायदा तभी है जब आप *Diwali* पर अकेले हों और *Shopping* करें, परिवार के साथ न बैठें।
 *Zomato* तभी कमाता है जब कोई माँ का खाना नहीं खा रहा।
 *Netflix* तभी देखेगा जब कोई दादी की कहानी नहीं सुन रहा।

       `समाधान` 
*हम अभी भी वापसी कर सकते हैं।*
संयुक्त परिवार को पुनः *संपत्ति* मानें, *बोझ* नहीं।
बच्चों को *उपभोक्ता* नहीं, संस्कारी इंसान बनाएं।
बुज़ुर्गों को घर से बाहर न करें, उनके अनुभव हर *Google Search* से ऊपर हैं।
त्यौहार मनाएं, सामान नहीं।
अकेलापन कम करने के लिए *App* नहीं, *अपनापन* बढ़ाइए।

    *निष्कर्ष*
अब समय है रुकने का, सोचने का, और अपने संस्कारों को फिर से अपनाने का नहीं तो अगली पीढ़ी को *संयुक्त परिवार* भी होते थे यह कपोल कल्पना ही लगेगी।

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