हिन्दू नव वर्ष का संक्षिप्त परिचय व महत्त्व Hindu Nav Varsh
हिन्दू नव वर्ष का संक्षिप्त परिचय व महत्त्व
*भारतीय हिन्दू- नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2082, युगाब्द 5127 ( अँग्रेजी तिथि अनुसार 30 मार्च, रविवार 2025)" को आरम्भ होगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
🚩इस दिन सनातनी हिन्दू अपने घरों में नया झंडा लगाते हैं, इससे देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है व घर परिवार में सुख,समृद्धि शान्ति मे वृद्धि होती है।
*1.* इसी दिन के सूर्योदय से *ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना* प्रारंभ की।
🚩ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि इसी दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी. *आज से 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख 85 हजार 124 साल पहले चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन संसार का निर्माण हुआ था इसलिए इस दिन हिंदू नववर्ष मनाया जाता है।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन *विक्रम संवत् की स्थापना* की । इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
परम्परा अनुसार जब भी धरती पर नया सम्राट बनता है तब उसके स्थापना दिवस से नया संवत पुनः 1 से गिना जाता है।
🚩विक्रम संवत से पहले युधिष्ठिर संवत् चलता था ।
3.* प्रभु *श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4.शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् *नवरात्र आरम्भ* का पहला दिन यही है।
5.सिख परंपरा के *द्वितीय गुरू श्री अंगद देव* जी के जन्म दिवस का यही दिन है।
6.स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को *आर्य समाज* की स्थापना दिवस के रूप में चुना।
7.सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार *भगवान झूलेलाल का अवतरण* इसी दिन ।
8.धर्मराज युधिष्ठिर महाराज का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व ...
1.वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास,उत्साह, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2.फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। आर्थिक महत्व का कालखंड ।
3.नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है। खगोलीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस ।
भारतीय हिन्दू- नववर्ष कैसे मनाएँ ...
1. हम परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
2. इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर पताका फेहराएँ। दीपक जलाकर, रंगोली सजाएं, लड़ियां सजाएं, अपने घरों के द्वार नीम, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ। घरों में मिठाई बनाकर खाएं और नए कपड़े पहने ।
3.घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ। इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
4.अपने आस पास के चौराहों और अपने प्रतिष्ठानों की सज्जा करे ।
5.मंदिरों और तालाब, कुएं, बावड़ी, नदी आदि स्थानों पर महाआरती का आयोजन करना ।
आप सभी से विनम्र निवेदन है कि भारतीय नववर्ष" हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" एवं जागृत करें।*
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