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हरभजन नही हनुमान कहो, भारत की शान कहो !

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हरभजन नही हनुमान कहो, भारत की शान कहो ! - अरविन्द सिसोदिया      अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए सात रनों की जरूरत थी और उस वक्त रैना और हरभजन मैदान पर थे और पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी ने तेज गेंदबाज मोहम्मद आमेर को मोर्चे पर लगाया। पहली गेंद पर रैना ने एक रन लिया। दूसरी गेंद हरभजन चूक गए पर रन लेने के चक्कर में रैना रन आउट हो गए। रैना के आउट होने के बाद भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा। चार गेंदों पर छह रन चाहिए थे. पुछल्ले बल्लेबाज प्रवीण कुमार ने दो और फिर एक रन लिया. आखिर की दो गेंदों में टीम इंडिया को तीन रन बनाने थे.बेहद रोमाचंक और दवाब वाली इस स्थिति में मोहम्मद आमेर के सामने स्ट्राइक पर हरभजन सिंह थे. युवा गेंदबाज आमेर ने जैसे ही गेंद फेंकी, हरभजन सिंह ने उसे सीधे मिड विकेट के ऊपर हवा में उठाते हुए सीमा रेखा के पार पहुंचा दिया.इस जीत के साथ ही भारत ने बीते साल चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान मिली हार का हिसाब चुकता हुआ   और पाकिस्तानी टीम को एशिया कप से बाहर का रास्ता दिखाया.     हलांकि  गोतम   गंभीर मे...

जवाबदेही अमरीकी कंम्पनी यूनियन कार्बाइड की

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- अरविन्द सिसोदिया     प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संकेत दिए हैं कि भोपाल गैस त्रासदी पर केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में पुनर्गठित मंत्री समूह (जीओएम) विश्व की सबसे ब़डी इस औद्योगिक भोपाल गैस  त्रासदी के लिए जवाबदेही भी तय कर सकता है।    मगर जवाबदेही तो अमरीकी कंम्पनी यूनियन कार्बाइड कापरेरेशन की ही हे . जब यह हादसा हुआ था , तब एंडरसन ३८ देशों में चल रहे ७०० प्लांटों के मालिक थे . उनकी सीधी पहुच अमरीकी राष्ट्रपति से थी . जब सारी दुनिया से लाभ कमाया जा रहा था तो इस  नुकसान की भरपाई और जबाबदेही भी उन्हें ही उठानी होगी, यह बात दूसरी हे की आप पूर्व केंद्र सरकार की तरह ही अमरीका के सामने पूँझ हिलाने लगे .   .    १- क्यों की कारखाना लगाने  का आवेदन  यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन  की अमरीकी कंम्पनी ने किया था . और मुनाफा ...

भोपाल गैस त्रासदी - बली का बकरा, नरसिंह राव मिल गया

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. अरविन्द सिसोदिया भोपाल गैस त्रासदी का अदालती फैसला ७ जून २०१० को आया हे , उसी दिन से प्रमुख सभी बड़े राजनेतिक और प्रशासनिक ओहदेदारों को पता हे की इस कांड के  मुख्य अपराधी  गणों में से एक  कंपनी चीफ वारेन एंडरसन  भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की रजा मंदी से ही, अमेरिका से भारत आया था और उनकी ही रजा मंदी से वापस गया . अर्जुन सिंह ने यही तो सोनिया को मिल कर बताया हे , वे बहुत ही घाघ नेता रहे हें , उनने ही एंडरसन को गिरिफ्तर करवाया होगा , घटना ही येसी थी , और वे नरसिंह राव के या किसी सेक्रेटरी के कहने से उसे छोड़ने वाले नही थे , अपने आप में वे एक हस्ती थे . राजीव गाँधी  (प्रधानमंत्री) के कहे बिना वे एंडरसन को छोड़ने वाले नही थे , चुनावी माहोल था , जरुर वह रहस्यमय फोन राजीव का ही था ,अर्जुन सिंह ने यह सोनिया को मुलाकात में यह बता दिया हे, वे कांग्रेस से नाराज भी चल रहे थे , राहुल उनकी उपेछ भी करते थे , वे जानते हें की चुप रहने में ही सारा फायदा ...

भ्रष्टाचार का शिष्टाचार-यह गंगा ऊपर से नीचे बह रही हे

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अरविन्द सिसोदिया भ्रष्टाचार एक बार फिर से चर्चा में हे ,विश्व बैंक के अधिकारीयों ने बहुत  स्पष्टता  से कहा हे , की भारत में भयंकर भ्रष्टाचार हे और उन्होंने हाल ही में एक समझोता भी भ्रष्टाचार नियन्त्रण के सन्दर्भ  में भारतीय अधिकारीयों के साथ किया हे , वैसे  तो यह भारतीय सरकार, भारतीय अधिकारीयों और राजनेताओं के लिये बहुत ही शर्मिदगी का विषय हे, मगर अमरीका जबसे मनमोहन सिंह  प्रधानमंत्री बने हें तब से भारत के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहा हे जैसे मनमोहन सिंह उनकी वजह से प्रधानमंत्री बने हों . यह  ठीक हे की हम अमेरिका की तरफ तेजी से बड़ रहे हें , मगर उसका अर्थ यह भी नही हे की हमारे भ्रष्टाचार की जाँच विश्व बैंक करेगा ! हमारी जाँच हम ही करके दें यही राष्ट्र हित में हे !!        किन्तु यह भी सच हे की हमारे यहाँ भ्रष्टाचार नशे की तरह  हो गया हे ...

नितीश कुमार के मन में पाप हे...!

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   नितीश कुमार के मन में पाप हे , अन्यथा वे जब बी जे पी से जुड़े तब भी नरेंद्र मोदी तो बी जे पी के बड़े नेता थे , लेकिन तब नितीश की ओकात नही थी की वह इस भाषा में बात कर सके , आज भी उनकी ओकात इतनी ही हे की वे बी जे पी के विधायकों के कारण मुख्य मंत्री हें , वेसे उने यह मुख्य मंत्री गिरी पच नही रही हे , वे कांग्रेस से तो साठ गांठ कर रहे हें और पुराने  साथी को धोका दे रहे हें , यही उनकी असलियत हे , उन्होंने खुद के दल के लोगों के साथ भी यही किया हे , मगर ध्यान रहे जो गत मुलायम  और लालू की हुई हे वह ही नितीश की होगी , खान नरेंद्र मोदी और कहाँ नितीश कुमार !! नरेंद्र मोदी तीसरी बार खुद के बहुमत से मुख्य मंत्री हे !! और नितीश कुमार भा जा पा के समर्थन से मुख्य मंत्री हें . अब वे अपनी ही थाली में छेड़ करके , गद्दरी के स्वप्न देख रहें हें तो , जनता जबाब देने तेयार हे , मत भूलिए बिहार की ८५ प्रतिशत जनता का हीरो नरेंद्र मोदी हे !!  ...

नीतीश, सस्ती लोकपियता के लिए सोचा समझा षड्यंत्र ....!

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           मुझे मुसलमानों का मसीहा बनना हे.....! बिना हिदू वोट के कोई दल जीत ही नही सकता......! सस्ती लोकपियता के लिए सोचा समझा  षड्यंत्र ....! भोज रद्द करके तो आपने अपने ही राज्य का अपमान किया हे....!            मुझे मुसलमानों का मसीहा बनना हे , उनके वोट ठगने हें , इसलिए नरेंद्र मोदी जी तुम शहीद हो जाओ,  एल   के  आडवानी जी की राम रथ यात्रा को रोक कर लालुप्रशाद यादव ने भी १५ साल तक मुसलमानों के वोटों को ठगा था , मगर  सब जानते हें की यह तो कांग्रसी वोटर हे , मुस्लमान जब तक अपनी हिदू विरोधी छवि से बहार नही आएगा, तब तक शोषित ही  होता रहेगा , क्यों की आम हिदू इसे आच्छा थोड़े ही मनाता हे , बिना हिदू वोट के कोई दल जीत ही नही सकता , कांग्रेस जो की बिहार में हान्सिये   पर हे ने एक मुसलिम को प्रदेश आध्यक्ष बनाया हे , स...

जातीय जनगणना से, हिंषा, आराजकता और कटुता में देश को न धकेलें

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११ जून २०१० को ज्यादातर टी वी  चेनलों पर पूर्व सोवियत  देश किर्गिस्तान में जातीय हिषा में लोगों के मरने की खबर प्रमुखता से आई  हे , यह खबर उन लोगों को ध्यान से पड़नी चाहिए जो जातीय जन गणना के पक्ष में हो हल्ला कर रहे हें , पहले खबर पड़ें  .....         मास्को. दक्षिणी किर्गिस्तान में किर्गिज उज्बेक जातीय संघर्ष में कम से कम 37 लोग मारे गए हैं और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके मद्देनजर अंतरिम सरकार ने मध्य एशियाई देश में आपातकाल लागू कर दिया है। अंतरिम सरकार ने देश के दक्षिण ओश क्षेत्र में कल रात हुए जातीय संघर्ष के बाद आपातकाल की घोषणा कर दी है। यह संघर्ष अल्पसंख्यक उज्बेक समुदाय से जुड़ा हुआ है। पुलिस और सेना को उपद्रवकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।   यह दंगा दो समुदायों के युवा समूहों के बीच संघर्ष के बाद शुरू हुआ और समूचे ओश, उसके पड़ोसी जिलों करासू, अरावन और उज्गेन में फैल गया।  स्थानीय सरकार का स्थिति पर नियंत्र...

भोपाल गैस त्रासदी - धारा ३०४ क़ी काली और गेर जिम्मेवाराना व्याख्या

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सुप्रीम कोर्ट पूर्व चीफ जस्टिस एएम अहमदी ने कहा है कि भोपाल गैस त्रासदी के मामले में वे पीड़ितों से केवल ‘सॉरी’ कह सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने 1996 के अपने फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने कहा था कि संविधान कानून की मां है। इसलिए संविधान को गहराई से समझना चाहिए। जस्टिस अहमदी ने विद्यार्थियों का आह्वान भी  किया था कि वे साहित्य का अध्ययन करें, क्योंकि इसके बिना वे अच्छे वकील और न्यायाधीश नहीं बन सकते। मगर उनकी अध्यक्षता वाली बेंच के फैसले से ही भोपाल गैस त्रासदी के  मामले के आरोप को गैर इरादतन हत्या के बजाय लापरवाही में बदल गए थे। इस लिए में गंभीरता  पूर्वक उन पर आरोप लगता हु क़ी इस फेसले में उनकी नियत आरोपियों को बचाने क़ी थी .संविधान विशेषज्ञ राजीव धवन के अनुसार पूरे मामले में केवल सुप्रीम कोर्ट ही जिम्मेदार है। उसने 1996 में गैरइरादतन हत्या के मामले को लापरवाही से हुई मौत का दर्जा देकर दोषियों को छूट दी। अगर कमजोर धारा में मुकदमा दर्ज नहीं होता तो दोषियों को कम से कम दस साल की सजा होती।         ...

भोपाल गैस त्रासदी - अर्जुनसिंह इस अवसर को भी भुना लेंगे

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 भोपाल गैस त्रासदी ,  तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह चाहते तो गैस त्रासदी का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन भोपाल से फरार नहीं हो सकता था।  श्री सिंह ने 15 हजार मौतों और करीब छह लाख गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए केंद्र सरकार, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भोपाल का पक्ष नहीं रखा।  आज उनपर उगली उठी हे ,  मगर इतना तो सच हे क़ी वे इतने घाग हें क़ी यह कदम बिना राजीव गाँधी  क़ी इजाजत के नही उठा सकते थे  , हुआ यह होगा क़ी जब गैस त्रासदी का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भोपाल गिरिफ्तर कर के लाया गया होगा , तब उसके शुभ चितको ने बात  अमेरिकी सरकार से क़ी होगी , और वहां   से वारेन एंडरसन  के बचाब हेतु किसी अमरीकी उच्च राजनेता का टेलीफोन  देहली आया होगा , अमरीकी इतने ही तेज तर्रार होते हें , तब भारत के केंद्र सरकार के हस्तछेप से वारेन एंडरसन  को फरार करवाया  होगा , मेरी ...

भोपाल गैस त्रासदी - अर्जुन सिंह रहस्य बता दो, कोंन था जनसंहार का सोदागर !

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  भोपाल गैस त्रासदी , एक नरसंहार था, इस नरसंहार को इसी रूप में प्रस्तुत नही करने से सारी समस्या ने जन्म लिया हे , तब जो भी सत्ता में थे , उन लोगों का यह कम था कि सही विवेचना करते और सही ढंग से न्याय हो जाये यह सोचते , भोपाल पुलिस ने कम्पनी चेयरमेन को गिरिफ्तर किया ही था , बाद में ऊची राजनीती ने , लगता हे कि अन्याय करना शिरू कर दिया और इस विकराल महा अपराध को एक मामूली कर के एक्सीडेंट में बदल दिया . प्रशासन का दोष यह हे  कि उसने कानून  और देश के बजाये कुछ गलत लोगों के दवाव में काम किया , निश्चित रूप से कांग्रेस ही रही होगी , क्यों कि बाद में यह मामला सी बी आई को चला जाना भी तो इसी का सबूत हे , जरूरत तो अब फिर से सही जाँच  और सही न्याय दिलाने क़ी हे , सरकार क़ी दो प्रतिकियायें सामने हें -  १- भोपाल गैस हादसे से जुड़े मामले में अदालत के फैसले से असंतुष्ट मप्र सरकार अब इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान...

भोपाल गैस दुर्घटना-भारतवासी कीड़ों मकोड़ों की तरह

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शनि महाराज देंगे सजा एंडरसन को .... सरकारी  न्याय व्यवस्था से तो आच्छी , हमारे शनी महाराज की न्याय व्यवस्था हे की कोई कितना भी भारी  दानी ही क्यों न हो , पाप किया हे तो भुगतना ही पड़ेगा . एंडरसन जो की मुख्य अपराधी हे को अदालत ने भगोड़ा घोषित किया हे , उसके भागने में तो भारत सरकार ने मदद की थी    , वह न्यूयार्क के एक उपनगरीय इलाके में रहता है। अमेरिका ने उसे सोंपने की बात तो नही कही , भारत एक गुलाम मानसिकता का देश उसे यहँ ला सकेगा येशा लगता नही हे , येसे में यही ठीक हे की शनी महाराज से प्रार्थना की जाये की वे  उसे सजा  दें ,    भोपाल गैष त्रासदी में १५ हजार से ज्यादा लोग  मारे गए और २ लाख  से ज्यादा लोग निरंतर पीड़ा भोग रहे हें , यह विश्व की सबसे बड़ी ओद्योगिक दुखान्त्की हे , इस दुर्घटना  को टाला जा सकता था और रोका जा सकता था , मगर मालिक लोग कार्यरत मजदूरों को गुलाम समझते रहे और प्रशासन...

आतंकवादी,उग्रवादी और विघटनवादी गतिविधियों में दया याचिका अस्वीकार हो

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दया याचिका के प्रकरणों का वर्गीकरण होना चाहिए , सामान्य जनता के मध्य हुए आपसी विवाद के अपराध और देश के विरुद्ध हुए अपराध में फर्क हे , वही किसी दूसरे देश के इशारे पर किये गये अपराध की भी अलग श्रेणी हे , अर्थार्त अपने देशवासियों के आपस के सामान्य किस्म के विवादों के लिए दया याचिका और फ़ांसी की सजा माफ़ी की बात का द्रष्टिकोण अलग हो सकता हे , मगर विदेशी भूमि के  धन और दिमाग से भारत के विरुद्ध चल rhe  हे आतंकवादी ,उग्रवादी और विघटनवादी गतिविधियों में  दया याचिका अस्वीकार होनी चाहिए ,  इस तरह के मामलों में दया याचिका का प्रावधान ही नही होना चाहिए , व्यवस्था का दोष न्याय में बाधक बने तो उसे तय समय में निर्णय लेने के आदेस सर्वोच्च न्यायालय तो दे ही सकता हे , किसी अपराध की वाजिव सजा देने में केंद्र सरकार या राज्य सरकार भी भय  ग्रस्त हे या डरती हे तो उसका सरकार होना ही नही माना जाना चाहिए , न्यायलय को स्पस्ट...

अफजल गुरु - फ़ांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की साजिस हे

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अफजल गुरु की दया याचिका को जिस तरह से लंबित रखा जा रहा हे उसकी पीछे कांग्रेस की अत्यंत निंदनीय कूटनीति काम कर रही हे , ये लोग अफजल को फाँसी देने से डर रहे हें और किसी तरह  से उसे आजीवन कारावास में बदलना चाहते हें , खासखबर . कॉम पर ३१-०५-२०१० की तारीख में एक खबर हे , अफजल गुरू की फांसी टालने की साजिश तो नहीं , इसका शरांस हे की - इस तरह  के कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा फाँसी से आजीवन कारावास में बदलने के निर्णय दिए गये हें , उनमें न्यायलय  का तर्क था की फ़ांसी देने में  की गई अत्यधिक देरी फ़ांसी  की सजा को उम्र केद में बदलने का पर्याप्त आधर हे , प . बंगाल के रोड्र्ग्स की फ़ांसी को उम्र केद में बदला था , इसी तरह से उ प्र की एक निचली अदालत ने तीन व्यक्तियों की हत्या के आरोपी को फ़ांसी की सजा दी थी मगर इलाहवाद हाई कोर्ट ने  उसे बरी कर दिया था मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा सजा को सही मानते हुए अधिक समय गुजरने से उसे उम्र केद में तब्दील कर दिया गया . बताया ...

डॉ केतन देसाई,उच्च स्तरीय राजनीती और प्रशासन,चोर-चोर मोसेरे भाई

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क्या अपने सुना हे की १८०१.५करोड़ रुपया और १.५ टन   स्वर्ण आभूषण किसी पर पकडे गये हें , हाँ, यह अकूत धन दोलत विश्व मेडिकल एसोसिएसन के १८ मई २०१० को बनाने वाले अध्यक्ष डॉ केतन देसाई से पकड़ी गई हे , यही असली चेहरा भारत के उच्च स्तरीय राजनीती और प्रशासन का हे , इतनी कमाई बिना सत्ता को खुश रखे हो ही नही सकती , और पकडे भी इस लिए गये की , कोई न कोई आप से चिड गया था . अब ये तिहाड़ जेल में हें , इनका बड़ा भरी धन बिल्डर के रूप में भी इन्वेस्ट हे ,       यूरोलोजिस्ट   डॉ केतन देसाई के पिता जी मुम्बई में साधारण   शिक्षक थे . देसी ने जो कुछ भी किया वह कांग्रेस में अच्छी पकड़ के द्वारा  ही किया ,  इसमें उनके शातिर दिमाग ने भी बहुत साथ दिया , केतन अपने कॉलेज  के दिनों में युवक कांग्रेस में  बड़े  सक्रिय थे व तत्कालीन मुख्य मंत्री चिमनभाई पटेल के ख़ासम खास...

नक्सलवाद - य़ूपीए की मनमोहन सरकार त्यागपत्र दे

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मनमोहन सिंह जी य़ू भी कमजोर और छाया प्रधान मंत्री ही कहलाते हें .अब यह बात और ज्यादा प्रमाणित हो रही हे . की वे नाकाबिल हें उनमें कोई क्षमता नही हे , हर मामला इसका गवाह हे .   नक्सलवाद के उग्र तेवरों ने एक बार फिर, अपने निर्मम तेवर दिखाते ही  ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को उड़ा दिया ,६५ यात्री मरे और २५० से ज्यादा घायल हुए यह संख्या और ज्यादा  हो जाएगी . सवाल यही हे की गत एक माह में , नक्सलियों ने एक के वाद एक चुनोती दी और केंद्र सरकार असाह हे , कारण  की वे बहुत मजबूत हो चुके हें , वे यह भी जानते हें की गुडों की गुलामी आप की  विशेसता हे , राजीव के हत्यारों के साथ आप सरकार चला रहे हें , जिस  करुणानिधि को आप ने राजीव हत्या के लिए तमिलनाडू  सरकार से बर्खास्त किया था और उसके साथ मिल कर चल  रही गुजराल की सरकार को गिराया था , अब आप उसके साथ सरकार चला रहे हें ,कांग्रेस के लिए राजीव से बड़ी ...

नाकाम राजनेता , नोकरशाह और उधोगपति के चुगुल से खेल संगठन मुक्त हो

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खेल संघों के अध्यक्षों व सचिवों के पदों के कार्यकाल को लेकर खेल मंत्रालय ने १९७५ के नियम के हवाले से संसोधन किये हें . जो देश के शीर्स ३६ फेड्रेसनों और एसोसियेसनो पर लागु होगा , इसके पीछे कारण  यह हे की , लगभग १८-२० संगठनो  पर राजनेता , नोकरशाह और उधोगपति काबिज हें और एक प्रकार से यह संगठन उनकी जागीर हो गए हें , सबसे बड़ा सच यह हे की इन लोगों को इन खेलों से कोई लेनादेना नही हे . इसे लोकतंत्र का मजाक ही कहा जायेगा , अब सरकार ने उच्चतम सीमा लागु की हे , नये नियमो के तहत कोई एक व्यक्ति १२ साल से ज्यादा फेडरेशन का अध्यक्ष एवं ८ साल से अधिक सचिव पद पर नही रह सकेगा , मुझे लगता हे की यह कदम खेल हित में न होकर इन गेर बाजिव कविज राजनेता , नोकरशाह और उधोगपति को संरक्षण देने का ही रास्ता हे . स्वतन्त्रता के वाद १६ ओलंपिक खेलो में भारत ने भाग लिया हे , जिनमें २००८ में मात्र ३ पदक १९५२ में २ पदक और १९४८, १९५६, १९६०, १९६४,...

गरीव कि परिभाषा और उसकी गणना पर पहले संसद में बहस होनी चाहिए

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कांग्रेस सरकार देश के साथ कितने झूठ बोल सकती हे वह उतने से भी ज्यादा झूठ बोलती हे . इसका सबसे जोरदार नमूना गरीवों की गणना में देखने को मिल सकता हे . योजना आयोग ने गरीव लागों की गड़ना के नियम इस तरह के बनाये की ज्यादातर उससे बहार  ही रह गये क्यों की वह विश्व  को समर्द्ध और विकसित देश दिखाना चाहता था . उसने इस तरह का गणना प्रारूप बनाया की गरीवी काम दिखे . सो हुआ भी यही की उनके अनुसार की गी गणना सिर्फ २७.५ प्रतिसत ही रही . देश के लगभग सभी राज्य इस गणना से अस्न्तुस्ट थे , मगर योजना योग की दादागिरी को कोंन रोक सकता हे . बाद में अर्जुन सेनगुप्ता समिति ने जब यह घोषणा की कि देश कि ७७ प्रतिशत आबादी गरीब हे तो यह चर्चित विषय बन गया , संसद में बात बात में यह उदाहरन आने लगा कि ७७ प्रतिशत लोग २० रूपये से भी काम में प्रतिदिन गुजर बसर करते हें . यह एक क्ररुर सच भी हे. भारत कि शांति प्रिय  जनता कि सहन शक्ति...

एक ही उपलब्धी - तरसती जनता और तरसता गरीव

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अब जोर से नारा लगाओ , सी बी आई  हमारी  हे हमको वोट दिलाती हे . सी बी आई  जिन्दावाद कांग्रेस पार्टी जिदावाद . य़ू पी ए कई सरकार कई दूसरी पारी का एक साल बीत गया हे . २१ मई २०१० को उसकी वर्षगांठ  थी इस एक साल क़ी सबसे चर्चित उपलब्धी यही हे क़ी कांग्रेस के हाथ एक येशा मन्त्र लगा हे क़ी उसकी अल्पमत सरकार पूरे ५ साल चलेगी , क्यों क़ी भगबान क़ी दया से ज्यादातर प्रदेश स्तरीय दल और उनके नेता जी भ्रस्ट हें . सब पर आय से अधिक धन या सम्पत्ति हे . सबके  सब सी बी आई के दायरे में हें . सो हमारी सम्पत्ति हमें दो हमारा धन हमें दो और हमसे समर्थन ले लो , फायदा तो यह हे क़ी अब कांग्रेस को बिना मंत्री पद क़ी इक्षा  के भी वोट मिल रहे हें . खेर गत सरकार को नोटों से बचाने वाली कांग्रेस को यह तो फायदा ही हे क़ी अब बिना पैसा सरकार चलेगी . - इस सरकार क़ी सबसे बड़ी कामयाबी यह हे क़ी सीना ठोक कर मन्हगाई बड़ी , सरकार रोज रोज मंहगाई...

राजीव गाधी को , कांग्रेस की श्रधान्जली झूठी.....

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राजीव गाधी की दुखद हत्या २१ मई १९९१ में हुई थी . तब यह सामने आया था की हत्या के लिए एल टी टी ई जिम्मेवार  हे उसकी सुबह चिन्तक ड़ी एम् के की करुनानिधि सरकार को १९९१ में बर्खास्त कर दिया गया था, तब कांग्रेस की १ नम्वर दुश्मन करुनानिधि की पार्टी थी . केंद्र में गुजराल सरकार का हिस्स भी ड़ी एम् के थी और जेन आयोग  ने भी इस की भूमिका को संदिग्ध ठहराते हुए टिप्पणी की थी . तब कांग्रेस ने गुजराल सरकार से समर्थन वापिस  ले लिया था . और सरकार को गिरा दिया था .तब तक कांग्रेस को और सोनिया जी को राजीव बड़े थे , दुश्मन दुश्मन था . मगर सत्ता का सुख बहुत बुरा होता हे सब कुछ भुला देता हे . आज जब भारत सरकार कांग्रेस चला रही हे तब कुराना निधि को गले लगाया जा चूका हे . कांग्रेस और करुणानिधि आब एक हें . कुछ साल पहले शत्रु थे , स्वार्थ की दोस्ती हे , राजीव की जाँच कर रहे, जेन  आयोग ने हत्या के लिए करुणानिधि के सामने ऊँगली उठाई थी . मगर सत्ता की लिए सब भूल गये .  . प्रश्न यह हे की सोनिय...

भारत संचार निगम - मुझे बचाव मुझे बचाव

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भारत संचार निगम कुछ समय में घाटे में आकर डूब जायेगा और फिर इस बीमार सार्वजनिक उपक्रम कहलाने लगेगा , क्यों की गठबधन सरकार की सोदे बाज़ी में,.यह मॉल कमाऊ विभाग DMK  दल पर हे . यह दल is  विभाग से खूब पैसा बना रहा हे . इसमें सरकार की भी रजामंदी हे . क्यों की उन्हें सरकार चलानी हे .समर्थन चाहिए . में खुद भी एक संसद सदस्य के निकट रहा हु और टी ए सी का भी सदस्य रहा हूँ . मेरा अनुभव  हे की जानबुझ कर भारत संचार निगम को  डुबोया जा रहा हे . इस निगम को बचने के लिए इसके कर्मचारियों ने प्रदर्सन किये हें . उन्होंने बहुत साफ साफ आरोप भी लगाये हें की भारत सरकार, प्राईवेट टेलिकॉम कंपनियों को लाभ पहुचने के लिए यह कर  रही हे यह सच हे की भारत संचार निगम के लिए जितने उपकरण चाहिए उसे खरीदने की अनुमति नही मिल रही हे . उसे मंत्रालय जानबुझ  कर vilnmv  दर विलम करता जा रहा हे ताकि प्रिवेट कंपनियों को लाभ हो जाये और बी एस एन  एल की गुणवत्ता खराब हो जाये . यह कृत्य लंबे सालों  से चल  रहा हे , anekon bar prsn sns...

अफजल गुरु जेसे आतंकवादी कांग्रेस के घरजमाई

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न्यू देहली , संसद भवन पर १३ दिसम्बर २००१ को हमला हुआ था , उस का मास्टर माईंड अफजल गुरु को स्थानीय अदालत २००२ में , उच्च न्यायलय २००३ में और सर्वोच्च न्यायाके २००५ में फांशी की सजा सुना चूका हे , अब किस बात का इंतजार हो रहा हे । संसद पर हमला देश के मष्तिष्क पर हमला था , सिपाहियों की सूझ बुझ से सांसद बच गये तो आप खामोश ही हो गये । यह मामला और अन्य मामले भिन्न हें , यह मामला देश की सम्प्रभुता की गिरेवान पर हाथ डालना हे। इस तरह के मामले में , कोई क्रम बाध्यता नही देखि जाती । इंदिरा जी के हत्यारों ने भी बचाव का यह रास्ता चुना था मगर उसका निव्टारा तुरंत कर दिया गया था । कोई कानून नही हे क्रम का । जब तय हे की दया याचिका का कोई महत्व ही नही हे तो विल्म्वित करने का क्या ओचित्य हे । सामान्य प्रकरणों में दया याचिका का पश्न हे । मगर देश के साथ युद्ध जेसे विषयों पर जब यह तय हे की माफ़ी होही नही सकती तो लम्बित करने का मतलब क्या हे . कांग्रेस के प्रवक्ता कह रहे हें की अभी तक राजीव गाँधी के हत्यारों को फंशी नही दी गई हे . बुरा न मने विदेशों में तो राजीव जी की हत्या के लिए कुँत्रोची को जिम्मेवार ...

शेखावत - एक जीवन परिचय

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राजस्थान का एक ही सिंह, भेंरोसिंह..... , भेंरो सिंह..... , यह नारा बहुत सालों से गूजता रहा , अब यह नारा नही लगेगा , क्यों की शेखावत साहव नही रहे । १६ मई २०१० को उनकी अंतिम यात्रा निकली जिसमें जयपुर सहित राजस्थान से भारी संखया में लोग पहुचे । देश की जानी मानी हस्तिय आं समिलित हुई । यात्रा मार्ग में रह रह कर बार बार गूजता रहा ...... जब तक सूरज चाँद रहेगा , शेखावत तेरा नाम रहेगा। वे सचमुच राजस्थान की शान थे । उनका जन्म धनतेरस, २३ अक्तूबर १९२३ को हुआ था । पिता देवी सिंह अध्यापक और माता बन्ने कंवर , मध्यम वर्गीय राजपूत परिवार था । शेखावत सूर्यवंशी कछवाह राजपूत होते हें । उनके तीन भाई विशन सिंह , गोर्धन सिंह, लक्ष्मण सिंह । शिक्षाफर्स्ट इयर , विवाह १९४१ में सूरज कंवर से विवाह कर दिया गया .इसी वर्ष पिता जी का देहांत हो गया । सो उन्हें पुलिस की नोकरी करनी पड़ी मगर १९४८ में पुलिस छोड़ दी। तब राजस्थान की गठन प्रक्रिया चल रही थी । वे जनसंघ के संस्थापक काल से ही जुड़ गये और जनता पार्टी तथा भा ज पा की स्थापना में भी सक्रिय रहे । १९५२ में वे १० रूपये उधर ले कर दाता रामगढ से दीपक चुनाव चिन्ह पर ...