राष्ट्र सर्वाेपरी की यात्रा "पं.दीनदयाल उपाध्याय से नरेन्द्र मोदी तक"

राष्ट्र सर्वाेपरी की यात्रा पं.दीनदयाल उपाध्याय से नरेन्द्र मोदी तक

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सबसे बडी बात यह है कि भारत देश लगभग एक हजार साल बाद, भारतीय संस्कृति के वैभवपूर्ण अतीत की तरह पुनः सुसज्जित हो रहा है। यही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का उदय है। भारत अपनी स्वतंत्रता को अब 75 वर्ष पश्चात वास्तविक स्वतंत्रता के रूप में महसूस कर पा रहा है।

भारत को राष्ट्रवादी राजनीति यूं तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परमपूज्य गुरूजी की है। जिन्होनें जनसंघ नामक राजनैतिक दल भारतीय राजनीति को दिया,जो आज भाजपा के नाम से जाना जाता है। जनसंघ ही वह दल है जिसनें जम्मू और कश्मीर प्रांत को धारा 370 के द्वारा विशेष दर्जा देकर सहराष्ट्र जैसा बनानें का विरोध किया था और लगातार धारा 370 को समाप्त करनें की मांग करता रहा । तब जनसंघ के अध्यक्ष डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने अपना देशहित में बलिदान दिया था और महामंत्री दीनदयाल उपाध्याय इस लक्ष्य को लेकर निरंतर चलते रहे। इसके अलावा एक देशहित चिन्तक दल को क्या क्या करना चाहिये इसका पूरा विचार पं0 दीनदयाल उपाध्याय ने दिया। अंतिम व्यक्ति की चिन्ता करनें का लक्ष्य अन्त्योदय के रूप में उन्होनें ही निश्चित किया था। उस समय के साम्यवाद और समाजवाद के बीच भारत देश के हित का भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण एकात्म मानववाद नामक दर्शन भी उन्होने दिया। उनके लेख उनके विचार उनके भाषण देशहित को पूर्ण समर्पित भारतीय जनसंघ का निर्माण कर रहे थे। उसी मार्ग पर भाजपा चलती रही और वर्तमान भारत में सबसे बडी पार्टी है। भाजपा का 90 प्रतिशत कार्य आज भी उन्ही विचारों एवं कार्यपद्यती पर आधारित है जो जनसंघ के समय से चली आ रही है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संघ की शाखाओं से वही सीख कर निकले हैं जो पं0 दीनदयाल उपाध्याय ने सीखा था। उसी मार्ग पर चले जिस पर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी चले थे। भारत की राजनीति में इसी यात्रा ने भारत को सभी क्षेत्रों में मजबूत देश बनाया और भारत की जनता का बिना किसी भेदभाव के लोककल्याण कर रहे हैं।

भारत की राजनीति में देशहित के कामों को पूरा करने का कार्य भाजपा सरकारों में ही हो रहे हैं। क्यों कि भाजपा के प्रधानमंत्री शुद्ध स्वयंसेवक हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं से हुये चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण का ही यह प्रतिफल है कि पण्डित दीनदयाल जी उपाध्याय के बताये सांस्कृति राष्ट्रवाद के मार्ग पर भाजपा प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में देश को परमाणु बम सम्पन्न बनाया ।  देश की धाक और इज्जत पूरे विश्व में तब से ही प्रारम्भ हुई। वहीं पाकिस्तान को कारगिल युद्ध में हराया । मोबाईल क्रांती, किसानों को साहूकारों के चुगल से बचानें के लिये किसान क्रेडिट कार्ड सहित किसानों के हित की अनेकों योजनायें,प्रधानमंत्री सडक योजना, घर घर रसोई गैस सिलेण्डर जैसे लोकहित के काम भी अटल जी के समय में ही हुये।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भाजपा पहली बार पूर्ण बहूमत से सरकार में आई और उसने आम जन को बैंकों से जन धन खातों के माध्यम से जोडा। घर घर में महिलाओं को सुविधा व सुरक्षा देनें हेतु शौचालयों का निर्माण करवाया। तीन तलाक जैसी वीभत्स त्रासदी से मुक्ती दिलाई, पाकिस्तान पर सर्जीकल स्टाईकें करके देश की सुरक्षा का कडा संदेश दिया। वहीं पुनः सरकार में आनें के बाद जम्मू और कश्मीर को देश से पूरी तरह विलीन करने में बाधा बनी हुई धारा 370 समाप्त की, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है। संसोधित नागरिकता कानून के द्वारा पडौस से भारत आये हिन्दू सिख जैन बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता दी। अनेकों कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा भारत का उत्थान किया जा रहा है।

* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  भारतीय जनता पार्टी के 42वें स्थापना दिवस पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि “ केन्द्र सरकार के कामकाज में राष्ट्र हित सर्वाेपरि है।”  

* पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (2020 में) पर पीएम मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये कहा था “वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ, हमारे लिए राष्ट्र सर्वाेपरि ।”

* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर-पूर्व क्षेत्र के संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर ने गुरुदक्षिणा कार्यक्रम में कहा था कि “ राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाना ही स्वयंसेवकों का एकमात्र लक्ष्य है। हम सबको राष्ट्र सर्वाेपरि ऐसी कल्पना रख जीना चाहिए। संघ इसी का एक लघु रूप है। हम सबको आज के दिन राष्ट्र प्रथम ऐसी संकल्पना की सोच रखनी होगी। ”

* महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में कहा है कि -

प्यारे देशवासियो,
हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे अस्तित्व की सार्थकता एक महान भारत के निर्माण में ही दिखाई देगी। कन्नड़ा भाषा के माध्यम से भारतीय साहित्य को समृद्ध करने वाले महान राष्ट्रवादी कवि ‘कुवेम्पु’ ने कहा हैरू-

नानु अलिवे, नीनु अलिवे
नम्मा एलु-बुगल मेले
मूडु-वुदु मूडु-वुदु
नवभारत-द लीले।

अर्थात

‘मैं नहीं रहूंगा,न रहोगे तुम
परन्तु हमारी अस्थियों पर
उदित होगी, उदित होगी
नये भारत की महागाथा।‌’

उस राष्ट्रवादी कवि का यह स्पष्ट आह्वान है कि मातृ-भूमि तथा देशवासियों के उत्थान के लिए सर्वस्व बलिदान करना हमारा आदर्श होना चाहिए। इन आदर्शों को अपनाने के लिए मैं अपने देश के युवाओं से विशेष अनुरोध करती हूं। वे युवा ही 2047 के भारत का निर्माण करेंगे।

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* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 97(वर्ष 2022 में ) साल पहले विजयादशमी के दिन 1925 में नागपुर में हुई। आज यह सर्वव्यापी, सर्वास्पर्शी, सर्वसुलभ है जो राष्ट्र, राष्ट्रीय, राष्ट्रीयता, भारत, भारतीय, भारतीयता, हिंदू, हिंदुत्व, हिंदवाणी की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज एक विशाल वट वृक्ष बन चुका है, जो भारत ही नहीं विश्व के लगभग 154 देशों में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत है। समयानुसार विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में संघ के 24 से अधिक अनुषांगिक संगठन हैं। जैसे राजनीति के क्षेत्र में भाजपा, शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती, छात्रों के बीच में एबीवीपी, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ अन्य संगठन, जो भारत के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। हम सब को गौरवान्वित होना चाहिए कि हम इस विराट परिवार के सदस्य हैं। सभी संगठनों में एक बात कामन है कि सभी संगठनों का मुख्य ध्येय “ राष्ट्र सर्वाेपरी ” है। भारत और भारतमाता की जय विजय प्रगती उन्नती हितचिंतन प्रथम है।

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