भारत के महान गुरुजन

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*शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामना*


*🚩🕉️शिक्षक दिवस :  भारत के महान  शिक्षक* 

*🌹वैसे तो संसार में सैंकड़ों ऐसे शिक्षक हुए हैं जिन्होंने अपनी शिक्षा से दुनिया को बदल कर रख दिया है। यहां प्रस्तुत है प्राचीन भारत के ऐसे शिक्षकों के नाम जिनकी शिक्षा आज भी प्रासंगिक मानी जाती है।*
 
*1. 🚩🌹गुरु वशिष्ठ : सप्त ऋषियों में से एक गुरु वशिष्ठ ने राज दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को शिक्षा दी थी। गुरु वशिष्ठ के ही काल में विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, परशुराम और अष्टावक्र भी थे।*
 
*2. 🚩भारद्वाज : महान ऋषि अंगिरा के पुत्र गुरु बृहस्पति हुए जो देवताओं के गुरु थे। इन्हीं गुरु बृहस्पति के पुत्र महान ऋषि भारद्वाज हुए। चरक ऋषि ने भारद्वाज को 'अपरिमित' आयु वाला कहा है। भारद्वाज ऋषि काशीराज दिवोदास के पुरोहित थे। वे दिवोदास के पुत्र प्रतर्दन के भी पुरोहित थे और फिर प्रतर्दन के पुत्र क्षत्र का भी उन्हीं ने यज्ञ संपन्न कराया था। वनवास के समय प्रभु श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का संधिकाल था। उक्त प्रमाणों से भारद्वाज ऋषि को अपरिमित वाला कहा गया है। इनका आश्रम प्रयागराज में था।*

*3. 🚩वेद व्यास : महाभारत काल में वेद व्यास एक महान गुरु और शिक्षक थे। श्रीकृष्‍ण के अलावा उनके चार अन्य शिष्य थे। मुनि पैल, वैशंपायन, जैमिनी तथा सुमंतु। इन्हीं के काल में गर्ग ऋषि, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे महान ऋषि थे। इस काल में सांदीपनि भी थे। महान ऋषि सांदीपति ने श्रीकृष्ण को 64 कलाओं की शिक्षा दी थी।*
 
*4. 🚩ऋषि शौनक : महाभारत के अनुसार शौन ऋषि ने ही राजा जनमेजय का अश्वमेध और सर्पसत्र नामक यज्ञ कराया था। शौनक ने दस हजार विद्यार्थियों के गुरुकुल को चलाकर कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया और किसी भी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया। वे दुनिया के पहले कुलपति थे।*

*5. 🚩शुक्राचार्य : भृगुवंशी दैत्यगुरु शुक्राचार्य का असली नाम शुक्र उशनस है। गुरु शुक्राचार्य को भगवान शिव ने मृत संजीवनी दिया था जिससे कि मरने वाले दानव फिर से जीवित हो जाते थे। गुरु शुक्राचार्य ने दानवों के साथ देव पुत्रों को भी शिक्षा दी। देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच इनके शिष्य थे।*
*6. 🚩देवगुरु बृहस्पति : महान अंगिरा ऋषि के पुत्र बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहते हैं। देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षा करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं। युद्ध में जीत के लिए योद्धा लोग इनकी प्रार्थना करते हैं।* 

*7. 🚩धौम्य ऋषि : गुरु धौम्य का आश्रम सेवा, तितिक्षा और संयम के लिए प्रख्यात था। ये अपने शिष्यों को सुयोग्य बनाने के लिए उनको तप व योग साधना में लगाते थे। स्वयं गुरु महर्षि धौम्य की तपःशक्ति केवल आशीर्वाद से शिष्य को शास्त्रज्ञ बनाने में समर्थ थी। आरुणि, उपमन्यु और वेद (उत्तंक)- ये 3 शास्त्रकार ऋषि महर्षि धौम्य के शिष्य थे।*
 
*8. 🚩कपिल मुनि : कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक थे। इनकी माता का नाम देवहुती व पिता का नाम कर्दम था। कपिल ने माता को जो ज्ञान दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाया। महाभारत में ये सांख्य के वक्ता कहे गए हैं। कपिलवस्तु, जहां बुद्ध पैदा हुए थे, कपिल के नाम पर बसा नगर था*

*9. 🌹वामदेव : वामदेव ने इस देश को सामगान (अर्थात संगीत) दिया। वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तदृष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा जन्मत्रयी के तत्ववेत्ता माने जाते हैं। भरत मुनि द्वारा रचित भरतनाट्यम शास्त्र सामवेद से ही प्रेरित है। हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए सामवेद में संगीत और वाद्य यंत्रों की संपूर्ण जानकारी मिलती है।*
 
*10. 🌹आदि शंकराचार्य : आदि शंकराचार्य का जन्म  508 ईसा पूर्व हुआ था। शंकराचार्य के चार शिष्य : 1. पद्मपाद (सनन्दन), 2. हस्तामलक 3. मंडन मिश्र 4. तोटक (तोटकाचार्य)। माना जाता है कि उनके ये शिष्य चारों वर्णों से थे।*

*11. 🚩गुरु द्रोणाचार्य*

*🌹द्रोणाचार्य को कौन नहीं जानता भला। कौरवों और पांडवों को शस्त्रों की शिक्षा देने वाले द्रोणाचार्य का स्थान शिक्षकों में काफी ऊपर कहा जाता है। वो द्रोणाचार्य की शिक्षा ही थी जिसने अर्जुन को एक महान योद्धा बनाया। अर्जुन ने भी कठिन परिश्रम से अपने गुरु का मान रखा, जिससे प्रसन्न होकर द्रोणाचार्य ने अर्जुन को ब्रह्मा के शक्तिशाली दिव्य हथियार ब्रह्मास्त्र का आह्वान करने के लिए मंत्र बताए थे।*

*12. 🚩महर्षि सांदीपनि*

*🌹महर्षि सांदीपनि विष्णु के अवतार कृष्ण के गुरु थे। उनका आश्रम मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ करता था जहां श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा पूरी होने के बाद कृष्ण और बलराम ने सांदीपनि से गुरु दक्षिणा मांगने के लिए कहा था, जिसपर सांदीपनि ने उनसे अपने खोया हुआ पुत्र ढूंढने के लिए कहा था। श्रीकृष्ण और बलराम ने मिलकर उनके बेटे को ढूंढा था।*

*13 🚩चाणक्य*

*🌹चंद्रगुप्त मौर्य को सत्ता के सिंहासन पर बिठाने के पीछे चाणक्य का ही हाथ कहा जाता है। राजनीति और अर्थशास्त्र को लेकर ये उनकी बारीक समझ ही थी कि उन्हें भारतीय इतिहास का सबसे महान राजनीतिज्ञ कहा जाता है। उन्होंने अपनी कूटनीति और राजनीतिक समझ से चंद्रगुप्त जैसे एक साधारण इंसान को सिंहासन के तख्त पर बैठा दिया।*

*14. 🚩विश्वमित्र*

*🌹विश्वामित्र प्राचीन भारत के सबसे सम्मानित ऋषियों में से एक है। उन्हें गायत्री मंत्र सहित ऋग्वेद के मंडला 3 के अधिकांश लेखक के रूप में भी श्रेय दिया जाता है। वशिष्ट से युद्धा हार जाने का बाद विश्वामित्र ने अपना राजकाज छोड़, तपस्या में ध्यान लगाया था। घोर तपस्या के बाद उन्होंने वशिष्ट से ही ब्रह्मर्षि का पद लिया था।*

*15. 🚩स्वामी समर्थ रामदास* 

*🌹महाराष्ट्र के आध्यात्मिक कवि थे। उन्हें अपने अद्वैत वेदांतवादी पाठ, दासबोध के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है। रामदास हनुमान और राम के भक्त थे। वो छत्रपति शिवाजी महाराज का आध्यात्मिक गुरु भी थे।*

*16. 🚩परशुराम*

*🌹विष्णु के छठें अवतार परशुराम अपने क्रोध के लिए भी जाने जाते थे। परशुराम ने अपने पिता के कहने पर माता का वध कर दिया था। वे एक ब्राह्मण के रूप में जन्में अवश्य थे लेकिन कर्म से एक क्षत्रिय थे। उन्हें भार्गव के नाम से भी जाना जाता है।*

*17 🚩रामकृष्ण परमहंस*

*🌹रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरू थे। एक योगी और आध्यात्मिक गुरू रामकृष्ण परमहंस का झुकाव काली और वैष्णव के तरफ काफी माना जाता है। उनके मुख्य शिष्य स्वामी विवेकानंद ने ही उनके सम्मान में रामकृष्ण मिशन का गठन किया था, जिसका उद्देश्य धर्मों की सद्भावना और मानवता के लिए शांति और समानता को बढ़ावा देना है।*

*18. 🚩गौतम बुद्ध*

*🌹गौतम बुद्ध का जन्म 480 ईसा पूर्व में हुआ था। वे एक दार्शनिक, शिक्षाविद, ध्यानी, आध्यात्मिक शिक्षक और धार्मिक नेता थे जो प्राचीन भारत में रहते थे। वह बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने कर्म को पार कर जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से निजात पा ली थी।* 

*19. 🌹रवींद्रनाथ टैगोर*

*🚩रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को हुआ था। वे एक बंगाली कवि, लेखक, संगीतकार, दार्शनिक और चित्रकार थे। उन्होंने एक ऐसे स्कूल की स्थापना की, जिसने भारत और दुनिया के बीच एक 'कनेक्टिंग थ्रेड' के रूप में काम किया और 'गुरुकुल' की अवधारणा को सुदृढ़ किया।*

*20.🚩 डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम*

*🌹डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। वह एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे। 2002 से 2007 तक, उन्होंने भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा प्रदान की। उन्होंने विभिन्न कॉलेजों जैसे IIT, IIM, BHU आदि में भी पढ़ाया है।*

*21. 🚩स्वामी दयानंद सरस्वती*

*🌹स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी, 1824 को हुआ था। वह एक भारतीय दार्शनिक, सामाजिक नेता और आर्य समाज के संस्थापक थे। 1876 ​​में उन्होंने 'भारतीयों के लिए भारत' का आह्वान किया,  जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। उन्होंने महिलाओं के लिए समान अधिकारों के प्रचार की दिशा में भी काम किया।*

*21 .🚩सावित्रीबाई फुले*

*🌹सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को हुआ था। वह एक भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद् और कवि थीं। वह भारत की पहली महिला शिक्षक हैं जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर भारत में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारतीय नारीवाद की जननी भी माना जाता है।*

*22. 🌹स्वामी विवेकानंद*

*🚩स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था। वह एक भारतीय हिंदू भिक्षु थे जो रामकृष्ण मिशन के पीछे थे। उन्होंने देश में गुरुकुल प्रणाली का प्रचार किया, जहाँ शिक्षक और छात्र एक साथ रहते थे।*

*23. 🌹प्रेमचंद*

*🚩🌹प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को धनपत राय श्रीवास्तव के रूप में हुआ था। वे अपने कल्पित नाम 'मुंशी प्रेमचंद' से जाने जाते थे। वे एक भारतीय लेखक थे जो अपने आधुनिक हिंदुस्तानी साहित्य के लिए प्रसिद्ध थे। वह स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे।*

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