राजू श्रीवास्तव - मेहनत करनें वालों की हार नहीं होती
आए हैं तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर।
एक सिंघासन चढ़ चले , एक बंधे जंजीर ।।
जो आया है उसे जाना ही होता है,यह प्रकृति का नियम। करोडों करोडो लोगों की गुमनाम मौत हो जाया करती है, जन्म लिया, जीवन जिया और चले गये। बहुत कम होते हैं जो अपनी कला से,शौर्य से, किसी कार्य विशेष से कई दसकों तक जानें जाते हैं। 58 वर्षिय मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ा था,कॉफी दिनों से वे मौत से संघर्ष कर रहे थे और अन्ततः 21 सितंबर 2022 को उनका देवलोक गमन हो गया। वे उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जिनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम राजनैतिक ,सामाजिक एवं कला क्षैत्र सहित देश के आम नागरिकों ने श्रद्धांजली अर्पित की, याद किया ।
कानपुर के रहने वाले श्रीवास्तव एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे,उनका असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था, किन्तु वे राजू श्रीवास्तव के नाम से ही मशहूर थे । राजू श्रीवास्तव के अंदर हास्य कलाकार बचपन से ही मौजूद था, वे अपने मास्टरों एवं घर आनें वालों की नकल उतारनें में बहुत माहिर थे, इस कारण कई बार उन्हे नाराजगी का शिकार भी होना पडता था। वे बचपन से ही कॉमेडियन बनना चाहते थे। वे कानपुर में अभिनेता अमिताभ बच्चन की नकल के लिये प्रसिद्ध थे तथा एक्टर बनने का सपना संजोये मुंबई आ गए।
अमिताभ बच्चन की नकल करते
जब वे अमिताभ बच्चन की नकल करते हुये स्वयं अभिनेता बनने मुंबई पहुंचे तो सबसे पहले एक कब्बाल के पास कब्बाली शो में मंजीरे बजानें का काम मिला, उनके पास न रहने को घर था, न खाने को पैसे। उन्होंने किसी तरह ऑटो चलाकर अपना गुजारा किया और एक दिन ऑटो में बैठी एक सवारी ने ही राजू के स्टाइल से प्रभावित होकर उन्हें “स्टेज परफॉर्मेंस” देने को कहा। इसके बाद राजू स्टेज परफॉर्मेंस देने लगे और इसके लिए उन्हें 50 रुपए मिला करते थे। इस बीच उनकी जान पहचान लोगों से हुई और कुछ ऑफर मिलने लगे। इसके बाद राजू ने दूरदर्शन के टी टाइम मनोरंजन से लेकर द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चौलेंज तक में अपना टैलेंट लोगों को दिखाया। लाफ्टर चेलेंज से उनका गजोधर भैया का किरदार काफी लोकप्रिय हो गया। इसके अलावा राजू श्रीवास्तव ने कई बड़े कॉमेडी शो और कई फिल्मों में भी काम किया और कानपुर के ये सत्यप्रकाश श्रीवास्तव, करोडों लोगों के बीच राजू श्रीवास्तव और गजोधर भैया जैसे नामों से मशहूर हो गये।
सबसे मंहगें हिंदी कॉमेडियन थे
वेे सबसे ज्यादा फीस लेने वाले हिंदी कॉमेडियन थे। उनकी नेट वर्थ करीब 1 से 3 मिलियन थी, उन्हे घर-घर में पहचाना जाता था, टीवी, मूवीज, वर्ल्ड टूर कॉमेडी शो, अवॉर्ड होस्टिंग, तमाम ब्रांड्स, टीवी के विज्ञापन और कई अन्य तरीकों से उन्हे निरंतर अच्छी खासी रकम मिलती रहती थी। फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले कामेडियन राजू श्रीवास्तव ने अपनी मेहनत के बूते करोड़ों रुपए कमाए। राजू की गुदगुदी का ही जादू था कि अपने एक-एक शो के लिए लाखों रुपए फीस लेते थे। उनकी डिमांड केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 30 से अधिक देशों में थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजू श्रीवास्तव अपने एक शो के लिए 5 से 7 लाख रुपए फीस लेते थे।
महंगी कारों के शौकिन राजू
उनकी विज्ञापन, स्टेज होस्टिंग, फिल्मों और टीवी शो से भी उनकी अच्छी खासी कमाई होती थी। राजू श्रीवास्तव के करीबियों के मुताबित उनकी कुल संपत्ति 25 से 30 करोड़ रुपए हो सकती है। राजू के पास मुंबई में व कानपुर में अपना शानदार घर है। बहुत ही कम लोगों को पता है कि राजू श्रीवास्तव को कारों का भी शौक था। उनके पास कारों का शानदार कलेक्शन है जिसमें बीएमडब्लू, ऑडी, इनोवा क्रिस्टा जैसी महंगी गाड़ियां शामिल हैं।
राजू श्रीवास्तव भले ही हमारेू बीच नहीं हैं। मगर उनकी कला हमारे बीच कई कई दसकों तक रहेगी। उनका जीवन यही संदेश देता है कि मेहनत करने वाले की हार नहीं होती और उनकी मौत यह संदेश देती है कि जो आज करना है वह आज ही करले, कल हमेश काल की तरह होता है।
ईश्वर उन्हे अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब”
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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
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कितना संघर्ष करता है इंसान और कितना कुछ जोड़ता चला जाता है लेकिन अंत में सब यहीं धरा रह जाता है फिर भी सबक कहाँ लेता है जीवन में, लगा रहता है तीन-पांच में ...
जवाब देंहटाएंराजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था, यह आपके लेख से पता चला। अभी दिन में रजत शर्मा की अदालत में उन्हें लालू और अमिताभ जी के मिमिक्री करते देखा था, यकीन नहीं होता कि लोगों को हँसा हँसा के लोटपोट कराने वाला एक दिन यूँ शांत होकर चला जाएगा।
शत-शत नमन। हार्दिक श्रद्धांजलि !