राष्ट्रहित में कैप्टन अमरिंदर सिंह को ताकत देनीं होगी - अरविन्द सिसोदिया
Welcome Captain BJP
कांग्रेस के पंजाब में दिग्गज नेता या यूं कहें कि कांग्रेस को पंजाब में फिर से सत्ता में लानें वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में सम्मिलित हो गए हैं । कैप्टन सिंह के इस कदम से उन्हें स्वयं भी एक सही व सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ है, वहीं भाजपा को भी पंजाब में अपनेआप को खड़ा होनें के लिए योग्य नेता मिला है।
कैप्टेन अमरिन्दर सिंह का जन्म (11 मार्च 1942) को एक जाट सिख हैं, पटियाला के राजपरिवार से हैं तथा अमृतसर से सांसद भी रह चुके,कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में वे अमृतसर सीट से चुनाव जीते। उनका विवाह परनीत कौर से हुआ । परनीत कौर भी राजनीति में सक्रिय हैं तथा मनमोहन सिंह की सरकार में वे भारत की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पटियाला सीट से चुनाव लड़ा किंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
यूं तो कैप्टन सिंह के पास अब बड़ा कुछ करनें का अवसर नहीं है,उनकी उम्र हो चुकी है । मगर उन्हें पंजाब को " कनाडा व पाकिस्तान " की जमीन से चल रहे राष्ट्रघाती षड्यंत्रों से बचाना होगा, पंजाब को राष्ट्रवाद की मुख्यधारा में लाना होगा ।
कांग्रेस नें पाकिस्तान के इमरान खान को खुश करनें के लिए जिस तरह से नवज्योत सिंह सिधू को पंजाब का सर्वेसर्वा बनाया, कैप्टन को हटाया, इसका फायदा पंजाब में उन तत्वों को मिला जो सिर्फ प्रलोभनों और झूठ के आधार पर सत्ता हथियाना चाहते थे ।
कांग्रेस नें जरा भी यह ध्यान नहीं रखा कि वे कैप्टन सिंह के कारण ही दुबारा पंजाब में आये थे। अब पंजाब में कांग्रेस हांसिये पर है, शिरोमणि अकाली भी अपना विश्वास खो चुका है । इन परिस्थियों में पंजाब को नए विकल्प के लिये सड़क पर मजबूत विपक्ष भाजपा कैप्टन सिंह के रूप में दे सकती है ।
अभी तक भाजपा भी पंजाब में सहयोगी दलों के सहारे ही राजनीति करती रही है , उसनें स्वयं को स्थापित करनें की दृष्टि से कभी काम ही नहीं किया था, अब भाजपा के पास यह अवसर है कि वह स्वयं को स्थापित करनें के लिए कार्य करे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह राष्ट्रवादी हैं, सिख समुदाय भी राष्ट्रवादी और धर्म की रक्षा पर सर्वाधिक बलिदान देनें वाला रहा है। इस आधार पर पंजाब में पुनः राष्ट्रवाद का अलख जगानें में जुट जाना होगा ।
भाजपा को भी कैप्टन सिंह को ताकत देनीं होगी, उनका सही और पूरा उपयोग हो इसके लिये, उन्हें कोई योग्य पद प्रतिष्ठा देनीं पड़ेगी, ताकि वे जन विश्वास को अर्जित कर, राष्ट्रहित के कार्यों को कर सकें ।
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